Jharkhand: पलायन निगल गया गोमिया सिमराबेड़ा गांव के मेहीलाल का परिवार, मां को मिट्टी भी नहीं दे सका बेटा
राज्य सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद राज्य में पलायन बदस्तुर जारी है. राज्य का शायद ही कोई जिला हो, जहां से पलायन न होता हो. यह आए दिन किसी न किसी परिवार को निगल ले रहा है.
नागेश्वर
Bokaro News: राज्य सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद राज्य में पलायन बदस्तुर जारी है. राज्य का शायद ही कोई जिला हो, जहां से पलायन न होता हो. यह आए दिन किसी न किसी परिवार को निगल ले रहा है. पलायन रूपी काल के गाल में समाने की एक घटना बोकारो जिले के झुमरा पहाड़ की तलहटी में बसे संताली बहुल गांव सिमराबेड़ा के मेहीलाल मांझी परिवार में घटी है.
सड़क हादसे में मां की मौत, बेटा मिट्टी भी नहीं दे सका
रोजगार की तलाश में सिमराबेड़ा गांव का मेहीलाल मांझी उत्तर प्रदेश चला गया. वहीं उसका बेटा मुकेश किस्कू भी मुंबई काम करने चला गया. घर में मेहीलाल मांझी की पत्नी देवंती देवी रह गयी. बीते दिनों सड़क हादसे में घायल होने के बाद उसकी मौत हो गयी. इस बीच घटना की सूचना पति व बेटे को दी गयी. मुंबई में रहने की वजह से बेटा मुकेश किस्कू नहीं पहुंच सका. वह मेहीलाल मांझी व देवंती देवी का इकलौता बेटा था. वहीं पति मेहीलाल मांझी उत्तर प्रदेश से मिट्टी देने पहुंचा.
मौत होने तक बेटे व पति को याद करती रही महिला
सड़क हादसे में घायल होने के बाद मौत आने तक महिला बेटे व पति को याद कर रोती रही. ग्रामीणों के मुताबिक मरने से पहले वह बेटे व पति को देखना चाहती थी, जो नहीं कर सकी. मुंबई में रह रहा बेटा चाह कर भी मां को देखने नहीं पहुंच सका. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में रोजगार की भारी कमी है. ऐसे में गांव छोड़ कर जाना मजबूरी हो जाता है. उनका कहना है कि इस परिवार को पलायन ने ही निगल लिया.
खेती नहीं होने पर छोड़ दिया गांव
जानकारी अनुसार समय पर बारिश नहीं हो पाने की वजह से मेहीलाल मांझी का परिवार धान की खेती नहीं कर पाया. ऐसे में पेट की आग बुझाने के लिए दोनों रोजगार की तलाश में गांव छोड़ पलायन कर गए. लेकिन परिवार को कहां पता था कि यह दिन देखने को मिलेगा. गांव में आलम यह है कि खेती न हो पाने की वजह से इलाके से युवा काम की तलाश में पलायन कर रहे हैं. इस इलाके से अधिकांश युवा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब, असम की ओर जाते हैं.
Posted By : Rahul Guru