Jharkhand News: झारखंड में कम नहीं हो रहा पलायन का दर्द, तमिलनाडु में मजदूर की सड़क हादसे में मौत पर मातम

Jharkhand News : रोजी-रोटी की तलाश में हैदराबाद गये बोकारो के पेटरवार प्रखंड के सदमा कला बुढ़वाटांड़ के एक युवक की मौत के बाद उसका दशकर्म भी नहीं पार हुआ और सदमा कला के एक अन्य दूसरा युवक पलायन की भेंट चढ़ गया. शुक्रवार की रात करीब साढ़े ग्यारह बजे एक हाइवा वाहन की चपेट में आने से मौत हो गयी.

By Prabhat Khabar News Desk | August 28, 2022 6:40 AM

Jharkhand News : रोजी-रोटी की तलाश में हैदराबाद गये बोकारो के पेटरवार प्रखंड के सदमा कला बुढ़वाटांड़ के एक युवक की मौत के बाद उसका दशकर्म भी नहीं पार हुआ और सदमा कला के एक अन्य दूसरा युवक पलायन की भेंट चढ़ गया. सदमाकला निवासी दिनेश महतो के पुत्र प्रमोद महतो की मौत चेन्नई(तमिलनाडु) के मुटुर नामक स्थान में शुक्रवार की रात करीब साढ़े ग्यारह बजे एक हाइवा वाहन की चपेट में आने से हो गयी. मृतक के परिजनों को साथ में काम करने वाले साथियों ने शुक्रवार की देर रात में फोन से घटना की जानकारी दी. इसके बाद से प्रमोद के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. मृतक अपने पीछे पत्नी, दो पुत्री, भाई सहित माता-पिता छोड़ गया है. परिजनों के घर में शनिवार को चूल्हा भी नहीं जला.

प्रमोद पांच युवकों के साथ गया था चेन्नई : सदमाकला का प्रमोद महतो अपने गांव के पांच मजदूरों के साथ गत सात अगस्त 2022 को चेन्नई के लिए निकला था. वहां पहुंच कर सभी चेन्नई में ओरियन कंपनी में कांटेक्टर श्रवण कुमार के अंडर में रोड निर्माण का कार्य कर रहे थे. इसी दौरान शुक्रवार की रात्रि करीब साढ़े ग्यारह बजे एक हाइवा की चपेट में आने से प्रमोद की मौत घटनास्थल पर हो गयी. हालांकि उसे उठा कर इलाज के लिए तुरंत एक अस्पताल में ले जाया गया, जहां चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया.

आज शाम तक पहुंचने की संभावना : घटना की सूचना पाकर जिला परिषद सदस्य प्रह्लाद महतो, सांसद प्रतिनिधि पंकज कुमार सिन्हा, मुखिया प्रति निधि लालदेव महतो, पूर्व पंसस बैजनाथ महतो, मदन महतो, तेजनाथ महतो, तिवारी महतो, नरेंद्र कुमार चौधरी आदि मृतक के घर पहुंचे और परिजन को ढाढस बंधाया. साथ ही कंपनी के ठेकेदार से फोन पर बात कर मुआवजा देने की मांग की.

पलायन की त्रासदी : पेटरवार प्रखंड के विभिन्न गांवों से भारी संख्या में बेरोजगार युवक रोजी-रोटी की तलाश में अन्य राज्यों में पलायन कर गये हैं. बड़ी आशा व उम्मीद के साथ युवक हिम्मत कर रोजगार के लिए बाहर जाते हैं, परंतु जब उन युवकों का शव गांव पहुंचता है तो परिजनों की सभी उम्मीदें चकनाचूर हो जाती हैं. उनके जीने का आधार छीन जाता है. श्रम विभाग में निबंधन नहीं कराने के कारण सरकारी लाभ परिजनों को नहीं मिल पाता है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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