Bokaro News : दामोदर किनारे बड़े पैमाने पर पत्थरों का हो रहा है खनन. बेरमो में दामोदर नदी की प्राकृतिक सौंदर्यता, स्वच्छता, संस्कृति और पहचान खतरे में है. पत्थर व बालू माफियों द्वारा दामोदर नदी को जख्म देने का काम किया जा रहा है. यही नहीं औद्योगिक प्रतिष्ठानों का कचरा, आवासीय कॉलोनियों के मल-जल नदी में बहाने से इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. खनन माफियाओं ने दामोदर नदी के प्राकृतिक स्वरूप को ही बिगाड़ दिया है. असहज पीड़ा से आज दामोदर नदी कराह रही है. प्रस्तुत है दामोदर में हो रहे अवैध खनन पर राकेश वर्मा व उदय गिरि की रिपोर्ट.
दामोदर नदी में इन दिनों बड़े पैमाने पर पत्थरों का खनन हो रहा है. क्रशर वाले नदी के मूल स्वरूप को बिगाड़ रहे हैं. बारुद ब्लास्टिंग से दामोदर नदी छलनी हो रही है. इस नदी के किनारे काफी संख्या में क्रशर उद्योग संचालित हैं. चंद्रपुरा थाना क्षेत्र के राजाबेड़ा के समीप व्यापक पैमाने पर नदी में पिछले कुछ माह में ब्लास्टिंग के साथ साथ अवैध खनन किया जा रहा है. राजाबेड़ा काफी रमणीक स्थल है, जहां हर वर्ष सैकड़ों लोग पिकनिक मनाने जुटते हैं. लेकिन यहां भारी पैमाने पर पत्थरों के खनन ने इसके प्राकृतिक स्वरूप को ध्वस्त कर दिया है. दामोदर में पत्थर खनन के लिए बड़े पैमाने पर ब्लास्टिंग की जा रही है. इसके अलावा मजदूरों से भी पत्थरों को तुडवाया जाता है. तांतरी इलाके में भी नदी तट पर पत्थरों का खनन किया जा रहा है. माइनिंग प्रावधानों के अनुरूप लीज कहीं का होता है, लेकिन नदी में कही भी पत्थर तोड़ते हैं. इससे दामोदर नदी की प्राकृतिक सौंदर्यता दिनोंदिन खत्म होती जा रही है. खेतको, राजाबेड़ा, बोरवाघाट, फुसरो, बेरमो, जारंगडीह आदि इलाकों में नदी तट के बालू घाटों से दिन भर अवैध रुप से बालू का उठाव हो रहा है. राजाबेड़ा में लगभग एक किमी. की परिधि में पत्थर के कारोबारियों ने नदी के बड़े आकर्षक चट्टानों को तोड़कर खदान का स्वरूप दे दिया है. वहां मशीनों का भी उपयोग किया जा रहा है. जेसीबी मशीन से लेकर ब्लास्टिंग के सभी उपकर प्रयोग में लाये जा रहे हैं.झारखंड की संस्कृति से जुड़ी है दामोदर नदी की महत्ता
: झारखंड में 270 वर्ग किमी में बहने वाली दामोदर नदी सदियों से झारखंड की संस्कृति, आचार-विचार, संस्कार तथा पर्वों का बोध कराती आ रही है. यहां की लोक-संस्कृति व परंपरा इस नदी से जुड़ी है. मकर संक्रांति व टुसू पर्व में इसकी महत्ता बढ़ जाती है. मकर संक्रांति में हथियापत्थर ( पिछरी), दामोदरनाथ मंदिर (जरीडीह बाजार), बोरवाधाट (चंद्रपुरा), भंडारदह (राजाबेडा), दामोदर ब्रिज (बोकारो-लोहपटी मार्ग), चेचका धाम (डुमरदहा), कुमरही (चास), पेटवार के गागा व तेनुघाट में कोयलांचल के लाखों श्रद्धालुओं का जुटान होता है. राजा-महाराजाओं के काल से ही इसका गौरवमयी इतिहास रहा है. दामोदर तट पर भव्य मेले को आयोजन होता आ रहा है. लाखों श्रद्धालु दामोदर तट पर पहुंचकर मकर संक्रांति में स्नान-दान कर पुण्य के भागी बनते हैं. यहां स्थापित देवी-देवताओं से श्रद्वालु मन्नत मांगते हैं. शादी-विवाह, यज्ञ, श्राद्धकर्म के साथ-साथ पर्व-त्योहारों में दामोदर नदी की विशेष महत्व है. वर्ष 1997 में दामोदर बचाओ अभियान अस्तित्व में आया. जो निरंतर कार्य कर रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है