Loading election data...

Bokaro : मस्जिदों में पढ़ी गयी माह-ए-रमजान की अंतिम जुमा की नमाज, इबादत के बाद अब ईद का इंतजार

झारखंड के बोकारो जिले में अलग-अलग जगहों पर शुक्रवार को अंतिम जुमा की नमाज पढ़ी गई. इबादत के बाद अब लोगों को ईद का इंतजार है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 15, 2024 1:00 PM
an image

बोकारो जिले में माह-ए-रमजान के अंतिम शुक्रवार को मस्जिदों में अलविदा जुमे की नमाज पढ़ी गयी. इस दौरान 41 डिग्री की गर्मी में रोजेदारों ने नमाज अदा की. जुमे की नमाज को लेकर भी लोगों में एक अलग ही उल्लास छाया हुआ था.

बोकारो के इन इलाकों में पढ़ी गई अंतिम जुमा की नमाज

सिवनडीह, डुमरो, आजाद नगर, मखदुमपुर, हैसाबातु, इस्लामपुर, मिल्लत नगर, सिलुजा झोपरो, बालीडीठ, भर्रा, अंसारी मोहल्ला, गौसनगर, सुलतान नगर, चास, न्यू पिंडरगडिया, सोलागिड़ी, उत्तरी क्षेत्र-धनगरी, अगरडीह, बास्तेजी, करमागोड़ा, पिपरांटंड, महेशपुर, पचौड़ा, रजा नगर (रामडीह) दक्षिणी क्षेत्र – मोहनडीह, जाला, घटयारी, नारायणपुर, सौनाबाद, बहादुरपुर सहित बोकारो- चास व ग्रामीण क्षेत्रों के अन्य मस्जिदों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नमाज पढ़ी और देश और आवाम के शांति की दुआ मांगी. इसमें बच्चे, युवा और बूढ़े सभी शामिल थे.

सौहार्दपूर्ण वातावरण के साथ अदा की गयी अलविदा नमाज

बताते दें कि रमजान महीने के आखिरी जुम्मा की अलविदा नमाज सौहार्दपूर्ण वातावरण के साथ अदा की गयी. अलविदा का मतलब रुखसत होना, जुदा होना, यानी माहे रमजान का महीना जो हम से रुखसत (जुदा) हो रहा है. लोग सुबह से ही नहा, धोकर, इत्र, सुरमा लगाकर विभिन्न मस्जिदों में अलविदा की नमाज अदा करने की तैयारी में लगे रहे.

Bokaro : मस्जिदों में पढ़ी गयी माह-ए-रमजान की अंतिम जुमा की नमाज, इबादत के बाद अब ईद का इंतजार 3

कारी साहब ने रोजे के बारे में दी विस्तार से जानकारी

मोमिन वेलफेयर एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के प्रधान सचिव सह समाजसेवी रिजवानुल होदा उर्फ कारी साहब ने कहा कि यह अलविदा की नमाज रमजान महीने की आखरी जुमे की नमाज है. उन्होंने कहा कि रमजान महीने का 30 (तीस) रोजे में पहला 10 (दस) रोजे रहमत का, दूसरा दस रोजे बरकत का और आखिरी 10 रोजे मगर्फित का होता है.

Also Read : Alvida Jumma 2024: माह-ए-रमजान का अलविदा जुमे की नमाज आज, मस्जिद में होगी सबसे बड़ी जमात

हर इंसान को देना चाहिए एक फितरा का मूल्य

उन्होंने कहा कि रमजानुल मुबारक के महीने में हर इंसान को जो गरीब ना हो उस पर फितरा वाजिब है यानी एक फितरा का मूल्य दो किलो, 45 ग्राम (2 केजी, 45 ग्राम) गेंहू के मूल्य के बराबर होता है. उस पैसे को लाचार, गरीबों को दिया जाता है. ताकी गरीब भी ईद का त्योहार खुशी-खुशी मना सकें.

सुरक्षा के थे व्यापक इंतजाम

मुस्लिम समाज में अलविदा जुमे का अपना अलग ही महत्व है. अलविदा जुमे के बाद इद का त्योहार मनाया जाता है. ऐसे में अलविदा जुम्मे को लेकर काफी उत्साह रहता है. अलविदा जुमे के अवसर पर किसी तरह की समस्या न होने पे इसको लेकर जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक के इंतजाम किए थे. सेक्टर नौ जामा मस्जिद के अध्यक्ष हाजी इरशाद अहमद खान व चास गोस नगर के निजाम अंसारी ने बताया कि ईद एकता का त्योहार है. इसलिए कोई ऐसा कदम मत उठाएं जिससे अमन में खलल पड़े.

Also Read : अलविदा जुमा की नमाज में मांगी गयी अमन-चैन की दुआ

ईद से पहले बाजार गुलजार, खूब हो रही खरीदारी

Bokaro : मस्जिदों में पढ़ी गयी माह-ए-रमजान की अंतिम जुमा की नमाज, इबादत के बाद अब ईद का इंतजार 4

ईद की खुशियां बांटने की तैयारी जोर शोर से चल रही है. ईद की खरीदारी भी चरम पर है. शहर के विभिन्न बाजारों में खरीदारों की भीड़ रही. सेवई, कपड़े, शृंगार की सामान, टोपियां, चप्पल, जूतों की खरीदारी लोगों ने की. महिलाएं व बच्चों की खासी भीड़ हो रही है. जिन लोगों ने इद के लिए कपड़े सिलवाने के लिए दिए थे, अब वे उन कपड़ों को लेने दर्जी के दुकानों पर पहुंच रहे है.

Exit mobile version