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National Sports Day 2021 : झारखंड के कोडरमा में खेल सुविधाओं की कमी के बीच खिलाड़ियों के हौसले की उड़ान

कोडरमा में खेल सुविधाओं (sports facilities) का घोर अभाव है. इसके बावजूद खिलाड़ी (player) राज्य स्तर पर तो अच्छा प्रदर्शन कर लेते हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर पीछे छूट रहे हैं. इस बीच राहत की बात यह है कि गुमो में स्टेडियम (stadium) निर्माण को लेकर प्रशासनिक पहल शुरू हुई है

National Sports Day 2021, कोडरमा न्यूज (साहिल भदानी): खिलाड़ी किसी भी खेल का क्यों न हो. जोश व जुनून के साथ आगे बढ़ने की ललक ही उसे आगे लेकर जाता है. जब खेल प्रतिभाओं को सुविधाएं न मिले, तो प्रतिभा कुंठित होती जाती है. हालांकि, विषम परिस्थिति के बावजूद कुछ ऐसे खिलाड़ी भी होते हैं जो अच्छा प्रदर्शन कर अपनी अलग छाप छोड़ते हैं. कोडरमा जिले का मुख्य शहर खेल सुविधाओं से आज भी महरूम है. खास कर यह शहर एक अदद स्टेडियम को तरस रहा है. इसके बाद भी अपने दम पर खिलाड़ी बेहतर कर रहे हैं.

कोडरमा जिले में एकमात्र मुख्य स्टेडियम कोडरमा जिला मुख्यालय में बना है, जिसका फायदा खिलाड़ी आसानी से उठा नहीं पाते हैं. ऐसे में चाहे फुटबाल का मैच हो या फिर क्रिकेट या फिर अन्य प्रतियोगिता खिलाड़ियों के लिए एक मात्र सहारा बचता है, वह है सीएच हाई स्कूल मैदान. वहीं अगर कुश्ती, जूडो आदि की बात करें तो इन खेलों से जुड़े खिलाड़ी आज भी मैट सहित अन्य खेल सुविधाओं से महरूम हैं. इस वजह से खिलाड़ी राज्य स्तर पर तो अच्छा प्रदर्शन कर लेते हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर पीछे छूट रहे हैं. इस स्थिति के बीच राहत की बात यह है कि गुमो में स्टेडियम निर्माण को लेकर प्रशासनिक पहल शुरू हुई है.

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राष्ट्रीय साम्बो प्रतियोगिता में झारखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए विद्यापुरी झुमरीतिलैया की रहने वाली इशिका कास्य पदक जीत कर कोडरमा के साथ ही राज्य का भी नाम रोशन कर चुकी है. इशिका बताती है कि उसने सबसे पहले कराटे का क्लास ज्वाइन किया था. इसी बीच इनके कोच द्वारा इन्हें कुश्ती में दम आजमाने का मौका दिया गया. बाद में मैंने जिला स्तर पर अपने प्रदर्शन से आगे बढ़ते हुए राज्य स्तर में भी मेडल हासिल किया. इसी के बाद मुझे नेशनल खेलने का मौका मिला. नेशनल में पहला मुकाबला एमपी के खिलाड़ी के साथ हुआ तो पहले ही राउंड में उसे चित कर अगले राउंड के लिए बढ़ी. आगे मेरा मुकाबला पंजाब के साथ हुआ. इसमें भी मैं अपने प्रतिद्वंद्वी को पछाड़ते हुए आगे बढ़ी गई, लेकिन अगले राउंड में हरियाणा की खिलाड़ी से मुझे हार मिली. ऐसे में मुझे इस प्रतियोगिता में कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा. इशिका ने बताया कि हाल ही में वह हिमाचल प्रदेश में आयोजित 22वीं वीमेन्स जूनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में भी हिस्सा लिया, लेकिन वहां मेडल जीतने में असमर्थ रही. उसने अफसोस जताते हुए कहा कि हम लोगों की प्रैक्टिस के लिए जिला स्तर से न ही कोई इन डोर स्टेडियम की सुविधा है और न ही मैट की. ऐसे में पर्याप्त अभ्यास नहीं होने के कारण उसे हार का सामना करना पड़ा. उसने बताया कि अगर हम खिलाड़ियों को खेल सुविधाए मिलती तो जिले के साथ राज्य का भी नाम रोशन करते.

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मथुरा में आयोजित सीबीएसई ईस्ट जोन जूडो चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत कर खुशी थापा कोडरमा का नाम रौशन कर चुकी हैं. खुशी ने बताया कि बच्चपन से ही उसे खेल में रुचि थी. खुशी के बड़े भाई भी जूडो के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं. ऐसे में जूडो में रुचि रखते हुए कई जिलास्तरीय प्रतियोगिताओं में मेडल हासिल करने के बाद राज्य व राष्ट्रीय स्तर तक अपनी खेल प्रतिभा का लोहा मनवाया है. खुशी ने चार जिलास्तरीय प्रतियोगिता में तीन बार गोल्ड व एक सिल्वर मेडल जीता है, जबकि धनबाद में आयोजित 8वीं व रांची में आयोजित 9वीं राज्य स्तरीय जूडो चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल कर जिले का मान बढ़ाया है. खुशी ने बताया कि वह जुडो फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा पटना में आयोजित राष्ट्र स्तरीय प्रतियोगिता में झारखंड का प्रतिनिधित्व कर चुकी है. हालांकि, इस प्रतियोगिता में वह कोई मेडल नहीं जीत पाई. खुशी की मानें तो जिले में खेल सुविधाओ में बढ़ोतरी होने से इनके साथ-साथ कई खिलाड़ियों की प्रतिभा निखर कर सामने आएगी.

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इधर, प्रतिभाओं की उड़ान के बीच खेल सुविधाओं के अभाव में प्रतिभा कुंठित होने के भी मामले हैं. इसका जीता जाता उदाहरण हैं झुमरीतिलैया के जुडो खिलाड़ी रहे करण थापा. करण सात साल खेल से जुड़े रहे. इस दौरान उन्होंने छह जिला स्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया. वहीं राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी तीन गोल्ड मेडल जीता. करण ने बताया कि वह जुडो फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित राष्ट्र स्तरीय प्रतियोगिता में भी भाग ले चुका है. इसमें जब वे दो मैच में क्वालीफाई कर तीसरा मैच खेल रहे थे. इस दौरान उनके हाथ से गलती से उनके अपोनेंट को चोट लग गया था और वे डिसक्वालीफाई हो गए थे. करण की मानें तो जिले में अच्छे कोच के साथ ही स्टेडियम और अन्य खेल सुविधाओ की कमी के कारण वे राष्ट्र स्तर पर मेडल हासिल नहीं कर पाए. अगर वे रांची में अभ्यास करते तो शायद राज्य के लिए गोल्ड मेडल जीत सकते थे. करण ने बताया कि वह जामताड़ा में आयोजित राज्य स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता और बोकारो में आयोजित राज्य स्तरीय खोखो प्रतियोगिता में भी हिस्सा ले चुका है. अच्छा खेलने के बाद भी जिला स्तर से कोई प्रोत्साहन नहीं मिलने और खेल सुविधाओ के अभाव में आज खेल को अलविदा कहना पड़ा है. अगर खेल सुविधाओं में बढ़ोतरी होती तो खिलाड़ियों का हौसला बुलंद होगा.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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