Bokaro News: सीसीएल कथारा एरिया में बनेगी नयी कोल वाशरी
Bokaro News:सालाना तीन मिलियन टन कोयला वॉश करने की होगी क्षमता. वाशरी से उत्पादित वॉश्ड कोयला जायेगा स्टील प्लांट में. शिलान्यास की तैयारी को लेकर प्रबंधन हुआ रेस.
Bokaro News:सालाना तीन मिलियन टन कोयला वॉश करने की होगी क्षमता. वाशरी से उत्पादित वॉश्ड कोयला जायेगा स्टील प्लांट में. शिलान्यास की तैयारी को लेकर क्षेत्रीय प्रबंधन हुआ रेस.Bokaro News: बेरमो स्थित सीसीएल कथारा एरिया में सालाना तीन मिलियन टन क्षमता के नयी कोल वाशरी का जल्द निर्माण शुरू होगा. नयी कोलवाशरी के शिलान्यास को लेकर कथारा एरिया प्रबंधन रेस है. जल्द ही इसका शिलान्यास होगा. ग्लोबल कोल माइंस (निजी कंपनी) करीब 400 करोड़ की लागत से इस नयी वाशरी का निर्माण करेगी. यहां से उत्पादित वाश्ड कोयला देश के स्टील प्लांटों को भेजा जायेगा.
काफी पुरानी हो गयी है कथारा वाशरी
कथारा एरिया में वर्तमान में संचालित कथारा वाशरी काफी पुरानी हो गयी है. प्रबंधन के अनुसार एक वाशरी की लाइफ करीब 20 साल होती है. जबकि कथारा वाशरी की लाइफ 54 साल हो चुकी है. इसलिए कोल इंडिया प्रबंधन ने इस पुरानी वाशरी के स्थान पर एक नयी वाशरी निर्माण का फैसला कोल इंडिया बोर्ड में लिया है. कथारा वाशरी का सालाना उत्पादन क्षमता तीन मिलियन टन था, लेकिन वाशरी पुरानी होने के कारण इसका उत्पादन घटकर सालाना मात्र .8 मिलियन टन रह गया है. फिलहाल इससे सालाना से .55 (साढे पांच लाख टन) वॉश्ड कोल का उत्पादन हो रहा है. कथारा एरिया में एक और स्वांग वाशरी है. यह वाशरी भी पुरानी हो चुकी है. स्वांग वाशरी 50 साल पुरानी है. इसका सालाना उत्पादन क्षमता .75 मिलियन टन था, जो अब घटाकर .2 मिलियन टन हो गया है. इस वाशरी से सालाना ढाई से तीन लाख टन वॉश्ड कोल का उत्पादन होता है.
ढोरी एरिया में भी आयेगी एक नयी कोल वाशरी
सीसीएल ढोरी एरिया में भी सालाना तीन मिलियन टन क्षमता की एक नयी कोलवाशरी आनी है. सीसीएल के तत्कालीन डीटी (पीएंडपी) तथा वर्तमान में एनसीएल के सीएमडी बी साइराम के कार्यकाल में ढोरी एरिया में सालाना तीन मिलियन टन क्षमता की एक नयी वाशरी का प्रपोजल कोल इंडिया बोर्ड से अनुमोदन के बाद अवार्ड हुआ. ढोरी एरिया के तारमी में इस वाशरी का निर्माण किया जाना है. जहां वाशरी बनेगी, वहां 12 हेक्टेयर क्लीयर फॉरेस्ट लैंड था. इसका स्टेज वन तथा स्टेज दो का क्लीयरेंस हो गया था. लेकिन कुछ कारणों से जमीन हैंडओवर नहीं हो सका. फिलहाल इसकी प्रक्रिया चल रही है और आनेवाले समय में ढोरी एरिया में एक नयी वाशरी आयेगी.
स्थायी रूप से बंद हो गयी करगली कोल वाशरी
सीसीएल बीएंडके एरिया की करगली कोकिंग कोलवाशरी को मुख्यालय प्रबंधन ने दो साल पहले स्थायी रूप से बंद कर दिया है. प्रबंधन के अनुसार सुरक्षा तथा भविष्य में करगली परियोजना के विस्तार को देखते हुए इस वाशरी को सीसीएल मुख्यालय ने बंद किया है. इस वाशरी का उद्घाटन वर्ष 1958 में तत्कालीन गृह मंत्री केसी पंत ने किया था. इस वाशरी में 2.72 मिलियन टन कच्चा कोयला फीड करने की क्षमता थी. कोयला धुलाई की प्रक्रिया रोम जीग पर आधारित थी. करीब 61 साल पुरानी इस वाशरी को पहले नन कोकिंग मोड में कोयला फीड कर चलायी गयी. बाद में इसे कोकिंग कोल वाशरी में तब्दील कर दी गयी. यहां से उत्पादित वॉश कोल डीवीसी के बीटीपीएस और सेल बोकारो के अलावा विशाखापत्तनम स्थित पावर प्लांट जाता था. इस वाशरी को कोकिंग कोल नही मिल पाना भी बंद होने का एक मुख्य कारण था. जिस समय कोकिंग कोल के रूप में इसे चालू किया गया था, उस समय प्रतिदिन छह हजार टन रॉ कोल फीड होता था तथा 3.3 हजार टन पावर व वॉश्ड कोल निकलता था.
बीसीसीएल अपनी चार वाशरियों को लीज पर देगी
कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई बीसीसीएल अपनी चार कोल वाशरियों को लीज पर निजी स्टील प्लांटों को देगी. इसमें दुगदा, मधुबन, महुदा व सुदामडीह कोल वाशरी शामिल है. बीसीसीएल की दुगदा कोल वाशरी को लीज पर देने का टेंडर हो गया है. मार्च माह में निजी कंपनियों ने इसके लिए टेंडर डाला था. बीसीसीएल वाशरी डिवीजन के महाप्रबंधक के अनुसार कोल वाशरियों के मोनेटाइजेशन से कोल इंडिया को मुनाफा होगा. कोल इंडिया ने बंद कोल वाशरियों को निजी स्टील प्लांटों को 25 वर्षों के लिए लीज पर देने की योजना बनायी है. स्टील प्लांट कोल वाशरियों का संचालन सिर्फ अपने प्लांट के लिए करेगी. खुले बाजार में वाश्ड कोल बेचने का अधिकार नहीं होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है