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एनजेसीएस का अकाउंट सीज, मुश्किल में नेताओं का टीए-डीए

बीएसएल : एनजेसीएस मीटिंग के मिनट्स से हुआ खुलासा

बोकारो. बोकारो स्टील प्लांट के कर्मियों के बीच फिर एक बार नेशनल ज्वाइंट कमेटी फॉर स्टील इंडस्ट्री (एनजेसीएस) चर्चा में है. एनजीसीएस सदस्यों को स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया-लोधी रोड, नयी दिल्ली की जिस ब्रांच से टीए व डीए का भुगतान होता था, उस खाते से लेनदेन पर रोक लगा दी गयी. कारण, एनजीसी का पैन कार्ड उपलब्ध नहीं होना बताया गया है. इसका खुलासा एनजीसी बैठक 294 के मिनट्स सार्वजनिक होने के बाद हुआ है. इससे अब मीटिंग अटेंड करने वाले सदस्यों के यात्रा व दैनिक खर्च के लिए किये जाने वाले भुगतान पर समस्या होगी.

सोशल मीडिया में सार्वजनिक की गयी जानकारी में यह सामने आया है कि सेल ने कॉर्पोरेट मामले के एक्सपर्ट से भी सलाह मशविरा किया था, जिसके अनुसार पैन कार्ड के लिए समिति का सोसाइटी या एसोसिएशन के रूप में पंजीकृत होना अनिवार्य होता है. इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि एनजीसीएस संस्था के स्थान पर उसके सदस्यों का पैन कार्ड बैंक को उपलब्ध कराया जायेगा. इसके लिए इडी फाइनेंस व अकाउंट और सेल कॉरपोरेट अधिकारी आवश्यक कार्यवाही करेंगे.

बैठक का खर्च का सिर्फ 15 प्रतिशत ही श्रमिक संगठन वहन

सेल प्रबंधन व केंद्रीय यूनियन के बीच वर्ष 2016 में हुई बैठक में भी इस बात का जिक्र था कि बैठक में शामिल होने वाले सदस्यों के लिए यात्रा व अन्य भत्तों को लेकर लगातार लगातार सूचना के अधिकार के तहत प्रश्न पूछे जा रहे हैं. इसके बाद प्रबंधन व श्रमिक संगठनों के सदस्यों ने आम सहमति बनाते हुए एनजेसीएस से जुड़ी कोई भी बात को सार्वजनिक नहीं करना तय किया था. कर्मियों के मुद्दों पर निराकरण के लिए होने वाली एनजेसीएस बैठक का खर्च का सिर्फ 15 प्रतिशत ही श्रमिक संगठनों द्वारा वहन किया जाता है. खर्च का 85 प्रतिशत सेल प्रबंधन खर्च करता है.

1969 में हुआ नेशनल ज्वॉइंट कमेटी फॉर स्टील का गठन

मीटिंग्स के मिनट्स में यह साफ किया गया है कि संस्था का पैन कार्ड न होने की वजह उसका रजिस्टर्ड ना होना और सदस्यों का लगातार बदलते रहना है. अब कर्मचारी इस बात को भी लेकर सवाल खड़ा कर रहे हैं. नेशनल ज्वॉइंट कमेटी फॉर स्टील का गठन 1969 में हुआ. इसका मकसद कर्मियों की समस्याओं और वेतन समझौते को बातचीत के आधार पर शांतिपूर्ण तरीके से तय करना है. इसमें प्रबंधन के प्रतिनिधियों के साथ इंटक, एटक और एचएमएस शुरुआती सदस्य थे. एटक के विभाजन के बाद बनी यूनियन सीटू को भी इसमें शामिल कर लिया गया. भारतीय मजदूर संघ को बाद में शामिल किया गया है.

क्या कहते हैं अधिकारी

तकनीकी कमी की वजह से यह मामला सामने आया, जिसके सुधार दिशा में काम हो रहा है.

रामाश्रय प्रसाद सिंह, महासचिव, बोकारो इस्पात कामगार यूनियन व सदस्य, एनजेसीएस

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