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BOKARO NEWS : बेरमो, गोमिया व डुमरी के उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में अब होती है बंपर वोटिंग

BOKARO NEWS : बेरमो, गोमिया व डुमरी विधानसभा क्षेत्र के अधिकतर बूथ उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में पड़ते हैं. पूर्व में लोकसभा व विधानसभा चुनाव में इन बूथों पर 40 फीसदी से भी कम मतदान होता था. अब 40 फीसदी होता है.

राकेश वर्मा, बेरमो : बेरमो, गोमिया व डुमरी विधानसभा क्षेत्र के अधिकतर बूथ उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में पड़ते हैं. डुमरी प्रखंड का उत्तराखंड की 15 पंचायतें, नावाडीह प्रखंड अंतर्गत ऊपरघाट की नौ पंचायतें सहित गोमिया प्रखंड की 20 पंचायतें उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में पड़ती हैं. पूर्व में लोकसभा व विधानसभा चुनाव में इन बूथों पर 40 फीसदी से भी कम मतदान होता था. लेकिन अब इन बूथों पर 70 फीसदी से ज्यादा मतदान होता है. हालांकि विधानसभा चुनाव को लेकर बोकारो व गिरिडीह जिला प्रशासन उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र के बूथों में शांतिपूर्ण चुनाव कराने को लेकर प्रशासनिक तैयारी पूरी कर ली है. सभी बूथों और क्लस्टर का भौतिक सत्यापन किया जा चुका है. विधि व्यवस्था तथा बूथों तक आवागमन को लेकर तैयारी कर ली गयी है. बेरमो व डुमरी के एसडीएम व एसडीपीओ थाना प्रभारियों के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं.

ऊपरघाट की नौ पंचायतें हैं उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र

डुमरी विधानसभा क्षेत्र में नावाडीह व चंद्रपुरा प्रखंड की बूथों की संख्या 174 है. नावाडीह प्रखंड में 129 तथा चंद्रपुरा प्रखंड में 45 बूथ हैं. नावाडीह प्रखंड नीचे घाट और ऊपरघाट के इलाके में बंटा है. बोकारो ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड का एक समय सबसे ज्यादा उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में ऊपरघाट का इलाका शुमार रहा है. नावाडीह प्रखंड में 15 पंचायत हैं, जबकि ऊपरघाट में नौ हैं. चंद्रपुरा प्रखंड में भी नौ पंचायत हैं. नावाडीह प्रखंड की 15 पंचायत में बूथों की संख्या 84 तथा ऊपरघाट की नौ पंचायतों में बूथों की संख्या 45 है. ऊपरघाट के सभी बूथ अतिसंवेदनशील की श्रेणी में आते हैं. एक समय था जब ऊपरघाट के इलाके में विधानसभा व लोकसभा चुनाव के समय नक्सलियों के दहशत के कारण ग्रामीण वोट देने से वंचित रह जाते थे. वोट में हिस्सा लेने वाले ग्रामीणों को नक्सलियों का कहर झेलना पड़ता था. लेकिन अब तस्वीर बदली है. पिछले एक दशक से अब इन इलाकों के ग्रामीण लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने झूम कर निकलते हैं. अब इन क्षेत्रों में नक्सलियों का खाैफ नहीं के बराबर दिखता है.

एक नजर नावाडीह व चंद्रपुरा प्रखंड की पंचायतों पर

नावाडीह प्रखंड के नीचे घाट में 15 पंचायतें हैं. इसमें खरपीटो, पोटसो, सुरही, अहारडीह, नावाडीह, भलमारा, चपरी, बिरनी, चिरुडीह, सहरिया, भंडरा, बाराडीह, दहियारी, गुंजरडीह एवं परसबनी मुख्य रूप से शामिल हैं. नावाडीह प्रखंड के उग्रवाद प्रभावित पंचायतों में कंजकीरो, पलामू, गोनियाटो, नारायणपुर, काछो, मुंगो-रांगामाटी, पोखरिया व बरई पंचायत शामिल हैं. चंद्रपुरा प्रखंड की नौ पंचायतों में चंद्रपुरा, बंदियो, नर्रा, अलारगो, तारानारी, पपलो, तंरगो, तेलो पश्चिमी, तेलो मध्य, तेलो पूर्वी मुख्य रूप से शामिल हैं.

डुमरी विस क्षेत्र के उत्तराखंड के 69 बूथ हैं अति संवेदनशील

डुमरी विधानसभा क्षेत्र में बूथों की संख्या 373 हैं. इसमें डुमरी प्रखंड में बूथों की संख्या 199 है. इसमें डुमरी प्रखंड अंतर्गत उत्तराखंड में कुल 15 पंचायत हैं. पहले इसमें 12 पंचायत थी, जिसे बढ़ा कर 15 किया गया. इन 15 पंचायतों में बूथों की संख्या 70 हैं, जो अति संवेदनशील की श्रेणी में आते हैं. उत्तराखंड की सभी 15 पंचायतें उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में आती हैं.

गोमिया प्रखंड के 194 बूथों में 112 क्रिटिकल

गोमिया विस क्षेत्र में बूथों की संख्या 341 है. इसमें 60 फीसदी अतिसंवेदनशील तथा 25 फीसदी संवेदनशील हैं. लेकिन गोमिया प्रखंड की 36 पंचायतों में क्रिटिकल बूथों की संख्या 112 हैं. 36 पंचायतों में 50 फीसदी इलाका अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में पड़ता है. इसमें मुख्य रूप से हुरलूंग, बड़की सीधावारा, चुट्टे, चतरोचट्टी, कर्री, लोघी, बड़की चिदरी, तिलैया पचमो, कुंडा, कोदवाटांड़, धवैया, ललपनिया, धवैया, कंडेर, बड़की पुन्नू, बारीडारी, टिकाहारा पंचायत आदि इलाका शामिल है. गोमिया थाना क्षेत्र अंतर्गत तुलबूल सियारी पंचायत उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में आता है. झूमरा का इलाका पचमो पंचायत में पड़ता है. गोमिया के उग्रवाद प्रभावित बूथों पर भी पिछले डेढ़ दशक से 70 फीसदी से ज्यादा पोलिंग हो रहा है.

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