BOKARO NEWS : बेरमो क्षेत्र के कई काली मंदिरों से जुड़ी है लोगों की आस्था
BOKARO NEWS : बेरमो अनुमंडल क्षेत्र के कई काली मंदिरों से लोगों की आस्था जुड़ी है. कई मंदिर 200 वर्ष तो कई 50 साल से ज्यादा पुराने हैं.
बेरमो. बेरमो अनुमंडल क्षेत्र के कई काली मंदिरों से लोगों की आस्था जुड़ी है. कई मंदिर 200 वर्ष तो कई 50 साल से ज्यादा पुराने हैं. गोमिया, साड़म, बोकारो थर्मल, गांधीनगर, कथारा, फुसरो, चंद्रपुरा ,अंगवाली, पिछरी के कई काली मंदिरों में प्रतिवर्ष काली पूजा के दिन विशेष पूजा का आयोजन होता है. बकरे की बलि देने की भी प्रथा है. कई गांवों में माघ अमावस्या को भी काली पूजा की परंपरा है. परंतु कार्तिक मास में अमावस्या की रात काली पूजा प्रसिद्ध है.
200 साल से हो रही है बिरनी के बोरवाडीह में काली पूजा
बिरनी पंचायत के बरवाडीह गांव में काली पूजा का इतिहास 200 साल पुराना है. मान्यता है कि यहां संतान की मुराद पूरी होती है. पूजा के अगले दिन मेला भी लगाता है. जानकारी के अनुसार गांव के अनंतराम पाण्डेय की संतान नहीं थी. उन्होंने मां काली से मन्नत मांगी. इसके बाद लगभग 50 वर्ष की उम्र में वह पिता बने. तब मां काली की प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू की. जिसके बाद से गांव के लोगों के सहयोग से पूजा का आयोजन किया जाने लगा. हर वर्ष यहां सैकड़ों बकरों की बली दी जाती है.गांधीनगर के पहाड़ी काली मंदिर में अन्य राज्यों से भी आते है भक्त
गांधीनगर स्थित पहाड़ी काली मंदिर 50 साल पुराना है. यह मंदिर पहाड़ के ऊपर स्थित है. मंदिर की चाहरदीवारी के ठीक बगल में ईदगाह और कब्रिस्तान है. मंदिर की स्थापना वर्ष 1970 में हुई थी. इसमें मजदूर नेता रामाधार सिंह, जयमंगल सिंह, डॉ घोष, ज्ञान मुकुल मुखर्जी, पीएन झा, शिवरतन भगत आदि की अहम भूमिका रही. उस वक्त टिन के शेड में मां काली की पूजा होती थी. बाद में छोटे मंदिर का निर्माण सीसीएल प्रबंधन व अन्य लोगों के सहयोग से किया गया. कुछ दिनों बाद सीसीएल प्रबंधन व जन सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण हुआ. काली मंदिर के समीप शिव व हनुमान मंदिर भी है. मंदिर के प्रथम पुजारी ज्ञान मुकुल मुखर्जी थे. इसके बाद लाल बाबा ने कुछ वर्षों तक पूजा की. इसके बाद लगभग चार दशक तक पारस मुखर्जी ने पूजा की. उनके निधन के बाद उनके दामाद सुब्रतो गोस्वामी तथा नाती तन्मय गोस्वामी पूजा करा रहे हैं. वर्तमान में मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मंदिर के संस्थापक रामाधार सिंह के पुत्र रामचंद्र सिंह हैं. बिहार, प बंगाल, ओडिसा तथा छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.गोमिया रेलवे स्टेशन काली मंदिर में 1970 से हो रही पूजा
गोमिया रेलवे स्टेशन के काली मंदिर में वर्ष 1970 से पूजा हो रही है. इसके बाद गोमिया पोस्ट ऑफिस मोड़ के समीप भव्य काली मंदिर का निर्माण किया गया और यहां डेढ़ दशक से पूजा का आयोजन हो रहा है. इसके अलावा हजारी मोड़ काली मंदिर, स्वांग के जारंगडीह सीम काली मंदिर, आइइएल गर्वमेंट कॉलोनी के काली मंदिर, स्वांग पुराना माइंस के काली मंदिर में भी पूजा को लेकर कमेटी ने तैयारी शुरू कर दी है.ऊपरघाट के कंजकीरो में होती है वैष्णवी पूजा
नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट स्थित कंजकीरो में 24 वर्षों से काली पूजा की जा रही है. यहां वैष्णवी पूजा की जाती है. प्रतिवर्ष तीन दिवसीय मेला भी लगता है. बोकारो थर्मल स्थित बस स्टैंड में काली पूजा बंगाली रीति रिवाज से की जाती है. यहां बच्चों के लिए कई तरह की प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है