झारखंड के प्रमुख पिकनिक स्पॉट में से एक है दलाही बुलबुला का जलकुंड, यहां हर साल लगता है मेला

Picnic spots of Jharkhand: झारखंड के प्रमुख पिकनिक स्पॉट में से एक है दलाही बुलबुला का जलकुंड. यहां हर साल 14 जनवरी को मेला लगता है. इस कुंड में गरमी के मौसम में ठंडा जल और जाड़े के मौसम में गर्म जल शारीरिक एवं मानसिक सुकून पैदा करता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 9, 2022 3:02 PM

Picnic spots of Jharkhand: जरीडीह प्रखंड की अरालडीह पंचायत के गझंडीह गांव में ऐतिहासिक एवं भूगर्भीय शोध स्थल दलाही बुलबुला इस क्षेत्र के प्रमुख पिकनिक स्पॉट में से एक है. यहां दूर-दराज से भी लोग पिकनिक मनाने आते हैं. यहां का दलाही बुलबुला कुंड लंबे समय से आकर्षण का केंद्र है.

यह कुंड धार्मिक आस्था का केंद्र के साथ-साथ प्राचीन काल से कौतूहल का विषय बना हुआ है. यहां पर जमीन के अंदर से ऊपर की ओर आती जलधारा वात्स्यायन के शीते तु उष्म उष्मे तु शीत की कल्पना को सच्चाई में परिणत करती है. गरमी के मौसम में ठंडा जल और जाड़े के मौसम में गर्म जल शारीरिक एवं मानसिक सुकून पैदा करता है. दैहिक, दैविक एवं भौतिक कष्टों के निवारण के लिए इस दलाही कुंड के पास जाने पर लोगों को अलौकिक आनंद की अनुभूति होती है. इस जल कुंड में एक रहट के आयतन के बराबर हमेशा पानी निकलता रहता है. लेकिन, ताली बजाने, जोर से बोलने या पैर पटकने आदि की आवाज से कुंड से बुलबुला के रूप में पानी निकलने की गति और तेज हो जाती है.

Also Read: रांची में पड़ रही हाड़ कंपा देने वाली ठंड, अगर रात गुजारने का नहीं है ठिकाना, तो आइए यहां…

आवाज उत्पन्न होते ही मुख्य कुंड के अलावा चारों ओर अन्य जगहों से भी पानी के बुलबुले निकलते रहते हैं. इस जलस्रोत के आसपास कहीं से भी पानी आने की गुंजाइश नहीं है. फिर भी एक निश्चित दायरे पर बने इस गड्ढे में पानी भरा रहता है और अतिरिक्त जल एक किनारे से नदी में गिरता रहता है. एक और कुंड की जमीनी सतह ऊपर से दिखाई देती है. ऐसी मान्यता है कि इस कुंड के जल से स्नान करने पर चर्म रोग समेत अन्य कई बीमारियां दूर हो जाती है. इस कारण भी यहां हर वर्ष काफी संख्या में लोग आते हैं.

वर्ष 1981 से प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति मेला भी लगता है. स्थानीय भीम कुमार साव, तुलसी साहू, माथुर हजाम, अशोक साहू, धीरेन कपरदधार, नीलमोहन दास, मदन मोहन साहू, गोपाल कपरदार, दुर्गा प्रसाद महतो, गोपाल साहू के अनुसार, यह स्थल पूर्वजों के समय से ही धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है. हाल के दिनों में इसे विकसित करने के लिए सरकारी स्तर पर कई काम हुए हैं. कुंड को चारों ओर से घेर के सुरक्षित कर दिया गया है. चहारदीवारी, शेड, शौचालय आदि का निर्माण भी हुआ है. गांव से वहां तक जाने के लिए पक्की सड़क भी निर्माणाधीन है. जैनामोड़-चिलगड्डा मार्ग में चलकर यहां पहुंचा जा सकता है.

रिपोर्ट : दीपक सवाल, कसमार

Next Article

Exit mobile version