Loading election data...

झारखंड : 7 लाख की योजना, 7 पौधे भी नहीं हुए विकसित, बोकारो के कसमार में देखें आम की बागवानी का हाल

बोकारो जिला अंतर्गत कसमार के मेढ़ा में एक साल में ही मनरेगा की बागवानी योजना की हवा निकल गई. यहां आम बागवानी की दो योजनाएं पूरी तरह अनियमितता और लापरवाही की भेंट चढ़ गयीं. सात लाख की योजना तैयार हुई, लेकिन सात पौधे भी तैयार नहीं हुए.

By Prabhat Khabar News Desk | July 20, 2023 6:04 AM

कसमार (बोकारो), दीपक सवाल : बोकारो जिला अंतर्गत कसमार प्रखंड में मनरेगा के तहत आम बागवानी की कई योजनाएं काफी सफल हुई हैं. वहीं, कुछ जगहों पर इस योजना का बंटाधार होकर रह गया है. दुर्गापुर पंचायत के मेढ़ा गांव में कुछ ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है. यहां आम बागवानी की दो योजनाएं पूरी तरह अनियमितता और लापरवाही की भेंट चढ़ गयीं. योजना के तहत लगाये गये सभी पौधे पूरी तरह बर्बाद हो गये हैं और वर्तमान में योजनास्थल सपाट मैदान बन गया है. योजनास्थल पर एक भी आम का पौधा नहीं बचा है.

क्या है मामला

मेढ़ा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 के तहत नूनीबाला देवी व मंगरी देवी की जमीन पर वर्ष 2022-23 की योजना मद से आम बागवानी की दो योजनाएं स्वीकृत हुई थीं. इसके तहत पौने तीन-पौने तीन लाख रुपये से आम के पौधे लगाने और उसे विकसित करने थे, लेकिन एक वर्ष में ही इस योजना की पूरी तरह से हवा निकल गयी. स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, पिछले वर्ष जैसे-तैसे कुछ पौधे जरूर लगाये गये थे, लेकिन उसे भगवान भरोसे छोड़ दिया गया. योजना के तहत घेरान कर उसकी सुरक्षा का भी प्रावधान है, लेकिन घेरान के नाम पर भी केवल खानापूर्ति की गयी. नतीजा, जो भी पौधे लगे थे, वह धीरे-धीरे मवेशियों का निवाला बनते गये और देखरेख व संरक्षण के अभाव में कुछ सूखकर बर्बाद हो गये. एक वर्ष बाद करीब साढ़े सात लाख रुपये की इन योजनाओं में सात पौधे भी विकसित नहीं हो सके.

निकाल लिये डेढ़ लाख रुपये

जानकारी के अनुसार, योजना मद के तहत रोजगार सेवक ने दोनों योजनाओं से करीब डेढ़ लाख रुपये निकाल लिये. जब एक भी पौधा विकसित नहीं हुआ तो इतने पैसे कहां और कैसे खर्च हुए, यह बताने वाला कोई नहीं है. उपमुखिया पंचानन महतो ने कहा कि इस योजना में केवल खानापूर्ति का काम हुआ है. उनका आरोप है कि रोजगार सेवक ने मनमाना काम किया है और इसे विकसित करने में कभी भी गंभीरता नहीं दिखायी. यही कारण है कि ये दोनों योजनाएं पूरी तरह से विफल साबित हुई हैं.

Also Read: झारखंड : जोर पकड़ रहा बेरमो को जिला बनाने का आंदोलन, दशकों पुरानी है मांग

मुखिया से मामले की करायी जाएगी जांच : बीपीओ-मनरेगा

इस संबंध में कसमार के बीपीओ-मनरेगा राकेश कुमार का कहना है कि मामला संज्ञान में आने के बाद पड़ताल की गयी. लाभुकों ने बताया कि कुछ दिनों पहले तक पौधे थे, लेकिन रास्ता विवाद में कुछ ग्रामीणों ने घेरान तोड़ दिया, जिसके चलते सभी पौधे मवेशी चर गये. मुखिया से मामले की जांच करायी जायेगी. घेरान तोड़नेवालों पर एफआइआर दर्ज करायी जाएगी.

Next Article

Exit mobile version