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प्लेनेट वर्सेज प्लास्टिक : कुछ मामलों में हिट, तो कुछ में फेल है बोकारो

बाजारों में खुलेआम हो रहा सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल

बोकारो. 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया गया. इस साल अर्थ डे 2024 का थीम है ””प्लेनेट वर्सेज प्लास्टिक”” यानी ग्रह बनाम प्लास्टिक. इस थीम का मकसद सिंगल यूज प्लास्टिक के खपत को कम करने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाना है. यह हर साल की कहानी है.

31 दिसंबर 2022 से भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गयी है. उस समय बताया गया था कि प्रति व्यक्ति औसतन हर साल 18 किलो ग्राम तक सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करता है. प्रकृति पर सिंगल यूज प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के कारण रोक लगायी गयी, लेकिन, बोकारो में इसका असर नहीं के बराबर है. मुख्य बाजार से लेकर सभी हटिया तक में ऐसे प्लास्टिक का इस्तेमाल खुलेआम होता है. चाहे सब्जी खरीदना हो या कुछ और खरीदना हो, लोग प्लास्टिक कैरी बैग में ही खरीदारी करना शान समझते हैं. दुकानदार भी ग्राहक के अनुसार काम करते हैं.

एक रिपोर्ट के मुताबिक बोकारो जिला में प्रतिदिन 1200 किलो से अधिक प्लास्टिक (कैरी बैग) का इस्तेमाल किया जाता है. इसका बड़ा हिस्सा सब्जी, मांस-मछली व अन्य जरूरत के सामान की खरीदारी के लिए होता है. यह प्लास्टिक हर दिन कचरा का रूप लेती है. कारण यह कि इन प्लास्टिक कैरी बैग को रिसाइकिल करना आसान नहीं होता. इसी कारण सफाई बंधु भी प्लास्टिक कैरी बैग (120 माइक्रो से पतला) का संग्रहण नहीं करते. बोकारो जिला में चास नगर निगम व फुसरो नगर परिषद को सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल बिक्री करने व इस्तेमाल पर रोक लगाने की जिम्मेदारी है, लेकिन, दोनों कार्यालय से कुछ मीटर की दूरी पर सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल आसानी से करते हुए लोग दिख जाते हैं.

जिला में एक कचरा निस्तारण केंद्र नहीं

बोकारो जिला में एक भी कचरा निस्तारण केंद्र नहीं है. चास नगर निगम क्षेत्र में जमीन भरावट के हिसाब से कचरा को फेंका जाता है, तो बोकारो स्टील सिटी में सेक्टर आठ में चिन्हित स्थान पर कचरा डंप किया जाता है. वहीं फुसरो नगर परिषद में स्थिति ऐसी ही है. जबकि, शहरी क्षेत्र में ही प्लास्टिक का इस्तेमाल ज्यादा होता है. कचरा निस्तारण केंद्र निर्माण को लेकर कई बार योजना बनी. जगह चिन्हित किया. फाइल वाला घोड़ा भी दौड़ा. लेकिन, जमीन पर कुछ नहीं उतरा.

गांवों में सफाई तो ठीक, पर प्लास्टिक मैनेजमेंट नहीं

स्वच्छता क्षेत्र में बोकारो के गांव जीरो से हीरो बनने की दिशा में कदम बढ़ा चुके है. लेकिन, प्लास्टिक मैनेजमेंट के लिए कुछ नहीं हुआ है. स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण 2.0 के तहत बोकारो के 95 प्रतिशत से अधिक गांवों ने खुद को ओडीएफ प्लस घोषित किया है. जिला में कुल 693 गांव हैं, इनमें से 664 गांव ने खुद को ओडीएफ प्लस घोषित किया है. जबकि एक अप्रैल 2022 को यह संख्या मात्र आठ थी. 82 गांव ने खुद को स्वच्छता क्षेत्र में मॉडल विलेज के रूप में घोषित किया है. एक अप्रैल 2022 को यह संख्या मात्र एक थी. इसी तरह एक अप्रैल 2022 को जिला में एक भी ओडीएफ प्लस राइजिंग विलेज नहीं थी, लेकिन वर्तमान में 85 गांव ऐसे गांव हैं. ओडीएफ प्लस एस्पायरिंग विलेज की संख्या इस दौरान सात से बढ़कर 497 हो गयी. जिला में 181 गांव में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था है. वहीं लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट वाले 658 गांव हैं. जिला के 351 गांव में कचरा कलेक्शन व पृथक्करण शेड का निर्माण स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण 2.0 के तहत हुआ है. योजना के तहत विभिन्न गांव में 3462 सोख्ता गड्ढा का निर्माण किया गया है. 3432 सामुदायिक खाद गड्ढा का निर्माण किया गया है. 441 कचरा संग्रहण व स्थानांतरण वाहन का इस्तेमाल जिला में किया जा रहा है. 900 ड्रेनेज फेसिलिटी विकसित की गयी है. जिला में दो गोबर धन प्लांट भी बनाया गया है.

क्या कहते हैं अधिकारी

सिंगल यूज प्लास्टिक के निर्माण प्लांट को बंद करा दिया गया है. बिक्री व इस्तेमाल पर रोक लगाने की जिम्मेदारी नगर निगम व नगर परिषद की है. एनजीटी भी इन चीजों को मॉनिटर कर रहा है. सभी नगर निगम क्षेत्र में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट बनाने का निर्देश दिया गया है. यह प्रोसेस में भी है.

जितेंद्र कुमार सिंह,

अधिकारी, झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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