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Bokaro News : एक करोड़ के इनामी विवेक सहित सात नक्सली दस्तों पर बोकारो पुलिस की नजर

Bokaro News : पांच से 15 लाख के इनामी छह नक्सलियों की तेजी से हो रही तलाश

Bokaro News : बोकारो जिला में नक्सली गतिविधियां लगभग समाप्त हो चुकी हैं. फिलहाल सात नक्सलियों की चहलकदमी क्षेत्र में हो रही है. एक करोड़ का इनामी नक्सली विवेक के अलावा छह नक्सलियों पर पांच लाख से 15 लाख तक का इनाम है. सभी नक्सलियों का दस्ता पारसनाथ पहाड़ से झुमरा पहाड़ तक व झुमरा पहाड़ से पारसनाथ पहाड़ तक भ्रमण करता है. सभी बोकारो पुलिस की नजर में हैं. नक्सलियों के खिलाफ बोकारो पुलिस का अभियान उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में लगातार चलाया जा रहा है. जल्द ही सभी पुलिस गिरफ्त में होंगे. यह जानकारी शुक्रवार को बोकारो एसपी मनोज स्वर्गियारी ने कैंप दो स्थित कार्यालय में बातचीत के क्रम में दी.

एसपी श्री स्वर्गियारी ने कहा : एसपीओ (स्पेशल पुलिस ऑफिसर) में शामिल पुलिस अधिकारी सप्ताह में दो से तीन बार नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अभियान चला रहे हैं. स्थानीय ग्रामीण भी नक्सलियों को नकार रहे हैं. पिछले दिनों चतरोचट्टी में पुलिया निर्माण में लगी एक कंपनी के मुंशी का अपहरण कर लिया गया था. इसमें नक्सली के नाम का उपयोग किया गया था. मुंशी को स्थानीय युवकों के चंगुल से मुक्त करा लिया गया था. पुलिया निर्माण कार्य में लगी कंपनी क्षेत्र में काम कर रही है.

तीन नक्सलियों ने किया था आत्मसमर्पण :

एसपी श्री स्वर्गियारी ने बताया कि बोकारो पुलिस के समक्ष तीन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था. एक नक्सली को सरकार की ओर से एक करोड़ की राशि, घर बनाने के लिए जमीन, इंश्योरेंस सहित परिवार के भरण पोषण के लिए समुचित व्यवस्था दी गयी है. दो नक्सलियों को सभी तरह की सुविधा देने की पहल की गयी है. समाज की मुख्यधारा से भटक कर नक्सली गतिविधियों में शामिल युवक खुद व परिवार के सुखद भविष्य के लिए पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दें. सरकार उनके भविष्य को सुखद बनायेगी.

आत्मसमर्पण ही सुखद भविष्य का रास्ता :

एसपी श्री स्वर्गियारी ने कहा : नक्सली आत्मसमर्पण कर सुखी जीवन व्यतीत कर सकते हैं. यदि आत्मसमर्पण नहीं करेंगे, तो पुलिसिया कार्रवाई में मारे जायेंगे. सरकार ने घोषणा कर रखी है कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज के मुख्यधारा में लौटने में मदद की जायेगी. साथ ही आर्थिक मदद के साथ-साथ परिवार का भी ध्यान रखा जायेगा. अब नक्सलियों के सोचने की बारी है कि सुखद भविष्य चाहिए या दु:खद अंत.

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