बोकारो कोलियरी को एमडीओ मॉडल से चलाने की तैयारी, बढ़ेगा कोयले का उत्पादन

आने वाले वर्ष में कोयला उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता घटाने की योजना के तहत कोल इंडिया ने माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर (एमडीओ) मॉडल के माध्यम से परिचालन के लिए 15 ग्रीनफील्ड परियोजनाओं की पहचान की गयी है. इसके लिए लगभग 36,600 करोड़ रुपये निवेश की योजना बनायी गयी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 28, 2023 2:22 PM

बोकारो (बेरमो),राकेश वर्मा : सीसीएल के बीएंडके एरिया की सौ साल से ज्यादा पुरानी बोकारो कोलियरी के स्वर्णिम दिन एक बार फिर से लौटने की उम्मीद जतायी जा रही है. सीसीएल प्रबंधन के अनुसार अब इस कोलियरी को माइन डेवलपर कम ऑपरेटर (एमडीओ) मॉडल से चलाने की तैयारी चल रही है. इसको लेकर गत दिनों सीसीएल के जीएम (सीएमसी), जीएम (ऑपरेशन) एवं सर्वेयर डिपार्टमेंट के एचओडी ने बोकारो कोलियरी का दौरा कर इसका वर्क आउट किया था. मालूम हो कि बोकारो कोलियरी को स्टेट रेलवे ने वर्ष 1918 में शुरू किया था. वर्ष 1956 में यह एनसीडीसी (नेशनल कोल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) के अधीन चला गया.

वर्ष 1973 में कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद यह सीसीएल के अंतर्गत आ गया. फिलहाल यह कोलियरी सालाना सौ करोड़ से ज्यादा के नुकसान पर चल रही है. इस कोलियरी का वर्तमान मैन पावर 415 है, जबकि क्वार्टरों की संख्या चार हजार से ज्यादा है. प्रति माह इस कोलियरी का बजट पांच करोड़ से भी ज्यादा का है. चालू वित्तीय वर्ष में इस कोलियरी का कोयला उत्पादन लक्ष्य तीन लाख टन है. प्रबंधन के अनुसार सालाना कम-से-कम पांच लाख टन कोयला उत्पादन करने पर कोलियरी का नफा-नुकसान बराबर पर आ जायेगा. कोलियरी अंतर्गत डीडी माइंस से फिलहाल उत्पादन चल रहा है, जहां से कुल 1100 संगठित व असंगठित मजदूरों को शिफ्ट करना था. इसमें से करीब 800 मजदूरों को अभी तक शिफ्ट किया जा चुका है. अभी भी तीन सौ मजदूरों को शिफ्ट किया जाना है, जिसके बाद यहां से 16 लाख टन कोयला मिलेगा.अब एमडीओ मॉडल में चलाने से इस कोलियरी का भविष्य आगामी कई वर्षों के लिए सुरक्षित हो जायेगा.

1995 में 30 साल के लिए बना था पुराना प्रोजेक्ट रिपोर्ट

मिली जानकारी के अनुसार बोकारो कोलियरी का पुराना प्रोजेक्ट रिपोर्ट वर्ष 1995 में बनाया गया था, जिसके तहत 30 साल तक आठ लाख टन कोयला उत्पादन किया जाना था. इसका खनन बोकारो कोलियरी के पुराना एक्सवेषण से लेकर बेरमो रेलवे साइडिंग तक था. यह आगे जाकर बेरमो सीम में मिल जाता, जहां 29 मिलियन टन कोयला है. अब नया प्रोजेक्ट रिपोर्ट कारो ग्रुप ऑफ सीम तथा बेरमो 8, 9, 10 नंबर सीम को मिलाकर बनाया जाना है. सीएमपीडीआइ इसका प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनायेगा, जिसे बाद में सीसीएल बोर्ड में ले जाया जायेगा. सीसीएल बोर्ड से एप्रूवल मिलने के बाद फाइनल एप्रूवल के लिए नया पीआर कोल इंडिया बोर्ड में जायेगा. इस नये पीआर के अनुसार कुल 230 हेक्टेयर जमीन में लगभग 75 मिलियन (77.84 एमटी) टन कोकिंग कोल वाशरी ग्रेड-4 कोयला मिलेगा. इसके अलावा 155.27 मिलियन घन मीटर टन ओबी का निस्तारण होगा. जबकि कारो परियोजना का जो पीआर है, उसके अनुसार 227 हेक्टेयर में 68 मिलियन टन कोयला मिलेगा.

कोल इंडिया में एमडीओ मॉडल के माध्यम से कोयला उत्पादन बढ़ाने पर जोर

मालूम हो कि आने वाले वर्ष में कोयला उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता घटाने की योजना के तहत कोल इंडिया ने माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर (एमडीओ) मॉडल के माध्यम से परिचालन के लिए 15 ग्रीनफील्ड परियोजनाओं की पहचान की गयी है. इसके लिए लगभग 36,600 करोड़ रुपये निवेश की योजना बनायी गयी है. वित्तीय वर्ष 2024 के अंत तक 17 हजार करोड़ का निवेश होने का अनुमान है. एमडीओ के माध्यम से खनन के लिए जो 15 परियोजनाएं चिह्नित की गई हैं, उसमें 12 खुली खदान तथा तथा तीन भूमिगत खदान हैं. अनुबंध की अवधि 25 साल के लिए होगी. यदि खदानों की क्षमता इससे कम वर्ष की है तो वहां अनुबंध जीवन काल के लिए होगा.

कोल इंडिया की हर कंपनी में एमडीओ आने के बाद जमीन का अधिग्रहण किया जायेगा. कोयला उत्पादन से लेकर कोल डिस्पैच तक का सारा काम एमडीओ के माध्यम से होगा. सिर्फ कोल इंडिया की कंपनी का नाम रहेगा. काम के एवज में जो भी पैसा आयेगा, वह कंपनी के नाम से आयेगा तथा कंपनी एमडीओ को बिडिंग की दर से उस राशि का भुगतान करेगी. फिलहाल कोल इंडिया की कंपनी सीसीएल की तीन नयी परियोजनाएं चंद्रगुप्त और संघमित्रा माइंस के अलावा कोतरे-बंसतपुर-पचमो को एमडीओ के माध्यम से चलाने के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरा करने के बाद अवार्ड किया गया. इसके अलावा तीन भूमिगत खदान पिपरवार, परेज इस्ट सहित एक अन्य को भी एमडीओ से चलाया जायेगा. सीसीएल के अलावा महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल), साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड और इस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड प्रत्येक की एक-एक परियोजना को भी एमडीओ मॉडल में चलाया जायेगा.

क्या हैं मुख्य चुनौतियां

  • डंपिंग की समस्या आयेगी, जिसका रास्ता निकालना होगा.

  • करीब 3 हजार मिलियन गैलन पानी का डिवाटरिंग करना होगा.

  • सीआइएसएफ बैरक का एक यूनिट, 230 हटमेंट, 36 डीप हाउस, प्राइमरी हेल्थ सेंटर को शिफ्ट करना होगा

  • 21 हेक्टेयर लैंड में 52500 पेड़ लगाना होगा.

कोलियरी के भूगर्भ में है लाखों टन प्राइम कोकिंग कोल

बीएंडके एरिया अंतर्गत सौ साल से ज्यादा पुरानी बोकारो कोलियरी को जल्द ही एमडीओ (माइन डेवलपर कम ऑपरेटर) के तहत चलाये जाने की योजना है. इसके लिए पुरानी प्रोजेक्ट रिपोर्ट के स्थान पर फिर से एक नया पीआर बनाया जायेगा. इसका ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया गया है. इस कोलियरी के भूगर्भ में लाखों टन प्राइम कोकिंग कोल है. यहां के कई माइंसों में पानी भरा हुआ है, जिसके अंदर छिपे कोयले का खनन किया जायेगा. इससे कोलियरी का लाइफ आगामी कई वर्षों के लिए सुरक्षित हो जायेगी.

-एमके राव, जीएम, सीसीएल बीएंडके एरिया

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