बोकारो जिले के नौ प्रखंडों में से तीन प्रखंड (कसमार, पेटरवार एवं जरीडीह) आज भी रेल सुविधा से वंचित है. इन तीनों प्रखंड के किसी भी हिस्से से होकर रेल लाइन नहीं गुजरी है. स्वाभाविक है कि रेल लाइन नहीं है तो रेलवे स्टेशन भी नहीं होंगे. खासकर कसमार प्रखंड की जनता को इसके चलते अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इस प्रखंड का निकटवर्ती रेलवे स्टेशन बोकारो एवं पुनदाग (बंगाल) है.
कसमार प्रखंड से बोकारो रेलवे स्टेशन की दूरी 25 से 45 किलोमीटर एवं पुनदाग स्टेशन की दूरी 20 से 40 किलोमीटर है. रेल सुविधा से वंचित होने के कारण इस प्रखंड का विकास भी प्रभावित हुआ है. ग्रामीणों को रांची, जमशेदपुर समेत अन्य शहरों में जाने के लिए समय और पैसे दोनों ही काफी अधिक खर्च करने पड़ते हैं. प्रखंड के ग्रामीणों को सड़क मार्ग से रांची आने-जाने में कम से कम तीन सौ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. जबकि टाटा के लिए पांच सौ से अधिक रुपए खर्च हो जाते हैं.
कसमार को रेलवे लाइन से जोड़ने की मांग एक बार फिर जोड़ पकड़ने लगी है. सामाजिक कार्यकर्ता कमलेश जायसवाल इस पर लगातार मांग उठाते रहे हैं. इसके लिए संबंधित मंत्रालय में कई बार पत्राचार किया है. इधर, भाषा व खतियान आंदोलनकारियों ने इस मामले को लेकर आंदोलन खड़ा करने का निर्णय लिया है. दुर्गापुर पंचायत के मुखिया सह खतियान आंदोलनकारी अमरेश कुमार महतो उर्फ अमरलाल, खतियान आंदोलनकारी सुकदेव राम, भुवनेश्वर महतो, मिथिलेश कुमार महतो, इमाम सफी आदि ने बयान जारी कर कहा कि पांच जनवरी को इस मुद्दे को लेकर मंगल चंडी मंदिर परिसर में बैठक बुलाई गई है.
कसमार को रेलवे लाइन से जोड़ने और यहां रेलवे स्टेशन खोलने की मांग को लेकर आंदोलन करने की रूपरेखा तैयार की जाएगी. उन्होंने बताया कि संगठन का \Bएक प्रतिनिधिमंडल स्थानीय सांसद और विधायक से भी मिलेगा तथा इस मामले में को लेकर उनके स्तर से सकारात्मक पहल करने का आग्रह करेगा. बयान में कहा गया है कि अगर जरूरत पड़ी तो कार्यकर्ता इस मांग को लेकर सड़क पर भी उतरेंगे और रोड जाम भी करेंगे.
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लोगों के अनुसार, कसमार प्रखंड को रेलवे लाइन से जोड़ने के लिए वर्ष 1961 में यहां भू सर्वेक्षण हुआ था. इसके तहत बरकाकाना जंक्शन से रेलवे लाइन का विस्तार कर पेटरवार, कसमार व जरीडीह प्रखंड क्षेत्र से होते हुए निकटवर्ती रेलवे स्टेशन बोकारो, राधागांव के साथ जोड़ने की योजना थी. परंतु कतिपय कारणों से योजना पर काम आगे नहीं बढ़ा. लोगाें का मानना है कि यह प्रखंड अगर रेलवे लाइन से जुड़ा हुआ होता तो यहां की स्थिति कुछ और होती. आवागमन में समय, संसाधन और किराया कम खर्च करने पड़ते तथा विकास को भी रफ्तार मिल पाती. हालांकि, बाद के दिनों में भी कसमार को रेलवे लाइन से जोड़ने की मांग समय-समय पर होती रही है, पर ठोस राजनीतिक पहल और प्रयास के अभाव में कसमार का यह सपना अभी तक अधूरा पड़ा है.