Rajendra Prasad Jayanti 2024: राजेंद्र बाबू ने गोमिया को दिया था एशिया का पहला बारूद प्लांट, जानें आज क्या है स्थिति

Rajendra Prasad Jayanti 2024 : देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बोकारो के बेरमो में एशिया का पहला बारूद कारखाना देश को समर्पित किया था. गोमिया स्थित इस बारूद कारखाना में आज भी बारूद का निर्माण होता है जो कि कोल इंडिया के कोयला खदानों में ब्लास्टिंग के लिए इस्तेमाल होता है.

By Kunal Kishore | December 3, 2024 8:43 AM
an image

Rajendra Prasad Jayanti 2024, राकेश वर्मा ( बेरमो) : देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बेरमो अनुमंडल के गोमिया में पांच जनवरी 1958 को एशिया महादेश के पहले बारूद कारखाना का उद्घाटन किया था. स्पेशल सैलून से वह गोमिया आये थे. रेलवे धनबाद ऑफिस में हवलदार के पद पर कार्यरत गोमिया के रामधन राम उनके साथ ड्यूटी में स्पेशल सैलून से धनबाद से गोमिया तक साथ आये थे. यहां से डॉ राजेंद्र प्रसाद खुली जीप से आईसीआई कंपनी गये और बारूद कारखाना का उद्घाटन और निरीक्षण करने के बाद मजदूरों को संबोधित किया था.

लौटते वक्त ग्रामीणों ने किया ये आग्रह

डॉ राजेंद्र प्रसाद जब गोमिया से लौट रहे थे तभी सड़क के दोनों ओर खड़े ग्रामीणों से मिले और उनकी समस्याएं सुनी थी. उन्होंने वहां मौजूद लोगों से कहा था इस कि प्लांट को चलाने में आप सहयोग करें. यह देश आपका है. देश में उद्योग-धंधों का विस्तार होगा तो लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. डॉ राजेंद्र प्रसाद गोमिया के स्वतंत्रता सेनानी होपन मांझी और उनके पुत्र लक्ष्मण मांझी से भी मिले थे. उन्हें बताया गया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी होपन मांझी के घर रुके थे. डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह से लक्ष्मण मांझी को एमएलसी बनाने की अनुशंसा की थी, जिसके बाद में उन्हें एमएलसी बनाया भी गया था. गोमिया बारूद कारखाना का उद्घाटन करने के बाद शाम को करीब पांच बजे डॉ राजेंद्र प्रसाद उसी स्पेशल सैलून से वापस धनबाद लौट गये थे.

बाद में गोमिया बारूद कारखाना का नाम हो गया आईईएल

गोमिया में बारूद कारखाना खोलने के पीछे सरकार ने कई दृष्टिकोण से गोमिया को उपयुक्त माना था. बगल में कोनार नदी का पानी मिल गया. निर्मित सामान को बाहर भेजने के लिए मुश्किल से एक किमी की दूरी पर गोमिया रेलवे स्टेशन था. यहां प्रचुर मात्रा में बारूद खपाने के लिए कोयला खदानें भी मिल गयी. आज भी कोल इंडिया की कई खदानों में गोमिया का ही बारूद कोयला खनन के क्रम में ब्लास्टिंग के लिए उपयोग किया जाता है.

केंद्र सरकार ने युके की कंपनी आईसीआई से गोमिया में बारूद कारखाना खोलने का किया आग्रह

यूनाईड किंगडम (लंदन) की कंपनी आईसीआई (इम्पेरियल कैमिकल इंडस्ट्रीज) से गोमिया में बारूद कारखाना खोलने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने आग्रह किया था. 90 के दशक में ऑस्ट्रेलिया की कंपनी ओरिका ने इसे अपने अधीन ले लिया और इसका नाम आईईएल ओरिका पड़ गया. इस बारूद कारखाना में बारूद के अलावा नाइट्रिक एसिड, अमोनिया, नाइट्रो फ्लोराइड का भी उत्पादन किया जाने लगा. यहां बनने वाले सामानों की सप्लाई पूरे देश के अलावा अरव कंट्री, चीन, भूटान, इंडोनेशिया, वर्मा आदि आदि देशों में भी की जाती थी. अभी भी यहां का बारूद देश- विदेश में जाता है. आईसीआई कंपनी ने गोमिया में बारूद कारखाना के अलावा उस वक्त कानपुर में खाद कारखाना (चांद छाप यूरिया) तथा मद्रास में आईसीआई पैंट का कारखाना खोला था. जिस वक्त गोमिया में बारूद कारखाना खोला गया था, उस वक्त करीब 12 सौ एकड़ जमीन अधिग्रहित की गयी थी.  

द एक्जामिनी इज बेटर दैन एक्जामिनर

राजेंद्र प्रसाद अपने स्कूल के अच्छे स्टुडेंट माने जाते थे. उनकी एग्जाम शीट को देखकर एक एग्जामिनर ने कहा था कि द एक्जामिनी इज बेटर देन एग्जामिनर. राजेंद्र बाबू ने अपनी आत्मकथा के अलावा कई पुस्तकें भी लिखीं. इनमें बापू के कदमों में बाबू, इंडिया डिवाइडेड, सत्याग्रह ऐट चंपारण, गांधीजी की देन और भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र शामिल हैं. अपने जीवन के आखिरी वक्त में वह पटना के निकट सदाकत आश्रम में रहने लगे थे. यहां 28 फरवरी 1963 में उनका निधन हो गया था.

Also Read: जयंती विशेष: सादगी की मूर्ति थे डॉ राजेंद्र प्रसाद, पढ़ें कृष्ण प्रताप सिंह का खास लेख

Exit mobile version