Jharkhand news, Bokaro news : बेरमो (बोकारो) : गिरिडीह के पूर्व सांसद और बेरमो विधानसभा क्षेत्र में 90 के दशक में राजनीतिक धुरी के केंद्र बिंदु बने राजकिशोर महतो का बुधवार को निधन हो गया. इन्हाेंने अपने पिता झारखंड केशरी स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो के पदचिह्नों पर चलते हुए बेरमो में अपने आपको राजनीतिक के क्षेत्र में स्थापित किया था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राजकिशोर महतो के निधन पर गहरा शोक जताया है. उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिवार को दुख की इस घड़ी को सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है.
वर्ष 1991 में जब बिनोद बिहारी महतो गिरिडीह लोस का चुनाव लड़ रहे थे, उस समय राजकिशोर महतो उनके एलेक्शन एजेंट थे. बिनोद बाबू के निधन के बाद वर्ष 1992 में राजकिशोर महतो ने गिरिडीह लोकसभा चुनाव झामुमो के टिकट पर लड़ा और चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने. सांसद बनने के बाद बेरमो की राजनीतिक में उनका पदार्पण हुआ. झामुमो नेता जगरनाथ महतो, बेनीलाल महतो, सूरज महतो, जयनारायण महतो, मोहर महतो, धनेश्वर महतो, रतनलाल गौड़, अक्षयवर शर्मा, विस्थापित नेता बिनोद महतो सहित कई लोगों के साथ उन्होंने बेरमो में कई आंदोलनों का नेतृत्व प्रदान किया.
बेरमो के एक- एक कोलियरियों में उन्होंने विस्थापितों के हक-अधिकार को लेकर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की. अपने नेतृत्व में आंदोलन को धारदार बनाने के लिए कमांडो फोर्स का गठन किया, जो खासकर इनके द्वारा किये जाने वाले आंदोलनों को मजबूती प्रदान करते रहे. बेरमो में कुछ विशेष लोगों के एकाधिकार एवं वर्चस्व को वे तोड़ना चाहते थे. इसी कड़ी में उन्होंने फुसरो एवं करगली बाजार में बैरियर लगाकर लिये जाने वाले टैक्स प्रथा को समाप्त किया.
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राजकिशाेर दा ने झारखंड के लोगों को हक एवं सम्मान के लिए काम किया. सीसीएल के बीएंडके, ढोरी एवं कथारा एरिया सहित डीवीसी के बीटीपीएस एवं सीटीपीएस में विस्थापित आंदोलन को तेज किया. बीएंडके एरिया के घुटियाटांड में डीआरएंडआरडी से जुड़े 78 विस्थापितों को नियोजन दिलाया. बीएंडके एरिया के ही कारो परियोजना में 50-60 विस्थापितों को नियोजन दिलाया.
पहली बार राजकिशोर महतो के प्रयास से कोल इंडिया में विस्थापित महिलाओं को भी नियोजन देने की प्रक्रिया शुरू हुई. 90 के दशक में शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो युवा नेता के रूप में राजनीति में उभर रहे थे, उसी समय बोकारो के पूर्व एसपी दिनेश सिंह बिष्ट ने उनकी गिरफ्तारी के बाद सीसीए लगा दिया था. जिसके बाद उन्हें हजारीबाग सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया. राजकिशोर महतो उस वक्त सांसद थे. जब इसकी जानकारी उन्हें मिली तो वे आग-बबूला हो गये एवं पुलिस से स्पष्ट शब्दों में कहा कि मुझे जगरनाथ महतो जिंदा चाहिए. इसके बाद जगरनाथ महतो के मामले को उन्होंने स्वयं न्यायालय में एक सांसद के साथ एक वकील होने के नाते लड़ना प्रारंभ किया. साथ ही उन्होंने जगरनाथ महतो के जेल से रिहा करने को लेकर व्यापक रूप से आंदोलन की रूपरेखा तैयार की.
इसी क्रम में राजकिशोर महतो ने एक नारा दिया था कि अगर जगरनाथ महतो को जेल से जल्द रिहाई नही हुई, तो पूरे कोयलांचल चिरकुंडा से भुरकुंडा तक चक्का जाम होगा. जगरनाथ के बेल पर जेल से बाहर आने के बाद उनके साथ खुले जीप पर कोयलांचल में जबर्दश्त जुसूस निकाला एवं जगरनाथ को टाइगर की उपाधी दी. इसके बाद अपने शिष्य के रूप में जगरनाथ महतो को राजनीति में आगे बढ़ाने का काम किया.
इधर, उनकी निधन की खबर मिलते ही बेरमो में उनके समर्थक एवं विस्थापितों में शोक की लहर दौड़ पड़ी. उनके निधन पर झामुमो उलगुलान के बैनीलाल महतो, भाजपा नेता बिनोद महतो, आजसू नेता सूरज महतो, झामुमो नेता जयनारायण महतो सहित कई लोगों ने गहरी संवेदना प्रकट की है. कहा कि राजकिशोर महतो ने अपने संसदीय कार्यकाल में बेरमो क्षेत्र को काफी कुछ दिया था, जिसे भुलाया नहीं जा सकता है.
उनके निधन पर गिरिडीह के पूर्व सांसद रवींद्र कुमार पांडेय ने शोक जताते हुए कहा कि राजकिशोर बाबू एक अच्छे राजनेता के साथ-साथ बेहतर वकील भी थे. उन्होंने दुख की इस घड़ी में शोकाकुल परिवार को ईश्वर से हिम्मत एवं धैर्य प्रदान करने की कामना की है. बेरमो विधायक जयमंगल सिंह व झामुमो नेता मदन मोहन अग्रवाल, लोकेश्वर महतो, जयलाल महतो, वासुदेव महतो, मंत्री जगरनाथ महतो के पुत्र अखिलेश महतो, यदु महतो आदि ने भी शोक जताया है.
Posted By : Samir Ranjan.