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इस ऐप के जरिये सड़क हादसे में घायल लोगों को मिलेगी मदद, झारखंड के रूपेश कुमार ने किया है तैयार

रक्षक की मदद से दुर्घटना होते ही घटनास्थल के एक किलोमीटर के दायरे में सभी अस्पतालों, परिजनों व पुलिस को कॉल व एसएमएस से लोकेशन के साथ सूचना मिल जायेगी

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 6, 2023 1:55 PM
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एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की माैत हो जाती है. इनमें लगभग 30% लोगों की मौत समय पर एंबुलेंस के नहीं पहुंचने से होती है. दुर्घटनाग्रस्त लोगों की जान बचाने व समय पर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से डीपीएस-4 के 10वीं के रूपेश कुमार ने ‘रक्षक’ नामक खास डिवाइस और मोबाइल एप्लीकेशन तैयार किया है.

इसकी मदद से दुर्घटना होते ही घटनास्थल के एक किलोमीटर के दायरे में सभी अस्पतालों, परिजनों व पुलिस को कॉल व एसएमएस से लोकेशन के साथ सूचना मिल जायेगी. इससे समय पर घायल व्यक्ति तक एंबुलेंस पहुंच सकेगी. इसके अलावा ऐप में आसपास के रजिस्टर्ड कार चालकों को भी इसकी सूचना मिल जायेगी.

कैसे आया आइडिया :

रूपेश के अनुसार दो साल पहले उसके पिता रविशंकर कुमार के पूर्व सैनिक मित्र की सड़क हादसे में मौत हो गयी थी. उसने सोचा कि क्यों नहीं ऐसा उपकरण हो जिससे सड़क हादसे में घायल लोगों की जान समय रहते बचाई जा सके. उसने गाइड टीचर मो ओबैदुल्लाह अंसारी से बात की. उनकी मदद से प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया. प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने में एक महीने का समय लगा.

लगभग 1200 रुपये खर्च आया. उसका कहना है कि जिस तरह का सेफ्टी डिवाइस उसने बनाया है, अगर कार कंपनियां पहल करे, तो लोगों की जान बचेगी. साथ ही वाहन चालकों का डाटा एक जगह सुरक्षित रहेगा. रूपेश ने हाल ही में नागपुर यूनिवर्सिटी में 108वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में झारखंड का प्रतिनिधित्व किया था. मूक-बधिर लोगों के लिए बनाये गये खास सॉफ्टवेयर की कंप्यूटर कोडिंग करने पर उसका चयन किया गया था.

कैसे काम करता है ऐप

इस डिवाइस में एमसीयू (माइक्रो कंट्रोलर यूनिट), सेंसर, जीपीएस, सिम कार्ड, एक्सीलरेशन डिटेक्टर व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का इस्तेमाल हुआ है. ऐप में वाहन चालक का नाम, पता, ब्लड ग्रुप व परिजनों के मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड रहते हैं. इस नवाचार के लिए रूपेश का चयन इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए किया गया है.

सरकार की ओर से प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 10 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी मिली है. रूपेश ने बताया कि इसमें खास तरह के सेंसर का इस्तेमाल किया गया है, जो कार की स्पीड और झटके के दबाव का पता लगाता है. अधिक रफ्तार होने पर यह डिवाइस ड्राइवर को अलर्ट भी करता है.

वहीं, एक्सीडेंट होने पर वाहन की गति और गाड़ी पर झटके से अचानक पड़ने वाले दबाव का पता लगाकर सेंसर एमसीयू को संदेश भेजता है, जहां से संबंधित नंबरों पर फोन और एसएमएस चला जाता है. ‘रक्षक’ में कंप्यूटर कोडिंग की मदद से डिवाइस में सभी संबंधित डाटा को फीड किया जाता है

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