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BOKARO NEWS : सांसद-विधायक रहे रामदास सिंह निर्दलीय लड़े तो जमानत हो गयी जब्त

BOKARO NEWS : गिरिडीह से सांसद व बेरमो से विधायक रहे चर्चित समाजवादी व मजदूर नेता रामदास सिंह निर्दलय मैदान में उतरे तो हार गये.

राकेश वर्मा, बेरमो : बेरमो के चर्चित समाजवादी व मजदूर नेता रामदास सिंह (अब स्वर्गीय) स्वच्छ छवि को लेकर कोयला मजदूरों के बीच लोकप्रिय थे. जब भी उन्होंने लोकसभा व विधानसभा का चुनाव लड़ा तो कोयला मजदूरों और क्षेत्र की जनता के चंदा दिये. कोयलांचल के छत्तीसगढ़ी मजदूरों के बीच लोकप्रियता इतनी थी कि चुनाव के समय वह घर में नहीं मिलते तो खिड़की से चुनाव लड़ने के लिए पैसे डाल जाते थे. कोयलांचल में कांग्रेस के अलावा जनता पार्टी से लेकर भारतीय जनता पार्टी की भी राजनीति इन्होंने की. वर्ष 1972 में रामदास सिंह ने अपना पहला बेरमो विधानसभा चुनाव एसओपी के टिकट पर लड़ा था. उनके समक्ष मुख्य प्रतद्वंद्वी कांग्रेस व इंटक नेता बिंदेश्वरी दुबे थे. इस चुनाव में रामदास सिंह मात्र 1,628 वोट से हार गये थे. बिंदेश्वरी दुबे को 19,937 तथा रामदास सिंह को 18,309 वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर रहे भारतीय जनसंघ के यमुना सिंह को 7, 098 तथा निर्दलीय शिवा महतो को 2,519 मत मिले थे. वर्ष 1977 में रामदास सिंह ने जनता पार्टी के टिकट पर गिरिडीह लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के डॉ इम्तियाज अहमद को पराजित किया. रामदास सिंह को 1,64,120 तथा डॉ अहमद को 85843 मत मिले थे. तीसरे स्थान पर रहे झामुमो प्रत्याशी बिनोद बिहारी महतो को 24,360 मत मिले.

कांग्रेस से 1972 में मिली हार का बदला लिया 1980 में

वर्ष 1980 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूर्व सांसद रामदास सिंह को बेरमो सीट से प्रत्याशी बनाया. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह को हरा कर 1972 के चुनाव में मिली हार का बदला लिया. इस चुनाव में रामदास सिंह को 23,492 तथा दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के केपी सिंह को 17,507 मत मिले थे. तीसरे स्थान पर 11,677 मत लाकर झामुमो के आरआर टोप्पो रहे. इसके बाद 1985 में एक बार फिर से भाजपा ने रामदास को बेरमो से प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह हार गये. राजेंद्र प्रसाद सिंह को 30,029 तथा तीसरे स्थान पर रहे रामदास सिंह को 10,500 मत मिले थे. वर्ष 1980 में ही गिरिडीह लोकसभा सीट से रामदास सिंह भाजपा के प्रत्याशी बनाये गये, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी बिंदेश्वरी दुबे से पराजित हो गये. बिंदेश्वरी दुबे को 1,05,282 और रामदास सिंह को 79,253 मत मिले थे. तीसरे स्थान पर झामुमो के बिनोद बिहारी महतो रहे और 56287 मत मिले. 1984 में गिरिडीह लोकसभा सीट से तीसरी बार रामदास सिंह भाजपा के प्रत्याशी बनाये गये, लेकिन इस चुनाव में वह तीसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस प्रत्याशी डॉ सरफराज अहमद को 1,95,519, झामुमो प्रत्याशी बिनोद बिहारी महतो को 70,766 और भाजपा को 65,563 मत मिले थे.

टिकट लेने पहुंचे थे राजद सुप्रीमो लालू यादव के आवास

वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में बेरमो सीट से टिकट के लिए रामदास सिंह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के पटना स्थित आवास पहुंचे. लालू यादव ने आदर व सम्मान के साथ उन्हें टिकट देने का आश्वासन भी दिया, लेकिन टिकट नहीं मिला तो रामदास सिंह निर्दलीय मैदान में उतर गये. इस चुनाव में उन्हें मात्र 664 वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गयी. इस चुनाव में कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद सिंह ने लगातार चौथी बार जीत दर्ज की थी. दूसरे स्थान पर भाजपा प्रत्याशी रामाधार सिंह रहे थे. राष्ट्रीय जनता दल के बसंत कुमार सिंह को 6,848 वोट मिले थे. समता पार्टी के बिनोद महतो 3,216 और बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मदन रवि को 1229 वोट मिले थे.

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