क्षेत्रीय श्रम आयुक्त ने बीएसएल प्रबंधन को बोनस समझौता पर फिर भेजा नोटिस
बोनस-2023 के लेकर थम नहीं रहा विवाद, कर्मियों के खाते में आये थे 23,000 रुपये बोनस, बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने भेजा था शिकायती पत्र
बोकारो. बोनस-2023 के लेकर बवाल बढ़ता ही जा रहा है. कर्मियों के बैंक खाते में 23,000 रुपये बोनस आया था. बोनस को लेकर बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने एक जुलाई 2024 को धनबाद डीएलसी को पत्र लिखकर उनके द्वारा पूर्व में दिये गये आदेश का अनुपालन कराने की मांग की थी. इसके आलोक में क्षेत्रीय श्रम आयुक्त (कें.) धनबाद मनीष शंकर ने एक बार फिर तीन जुलाई को बोकारो इस्पात संयंत्र के इडी-पीएंडए को नोटिस भेजकर सात दिनों के अंदर जवाब देने को कहा है. यहां उल्लेखनीय है कि यूनियन ने इसके पहले 25 अक्तूबर 2023 को शिकायती पत्र भेजा था, जिसपर डीएलसी कार्यालय ने संज्ञान लेकर सात दिसंबर 2023 को अधिशासी निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) को विशेष प्राथमिकता का तहत जवाब देने के लिये निर्देश दिया था. लेकिन, उसके बाद भी कुछ पहल नहीं की गयी. पुनः यूनियन ने एक जुलाई को पत्र लिखकर उप श्रम आयुक्त धनबाद का संज्ञान में बोनस का मामला लाया. क्षेत्रीय श्रम आयुक्त ने पत्र पर संज्ञान लेकर बीएसएल ईडी पीएंडए को नोटिस जारी किया है.
क्या है मामला
आठ फरवरी 2023 को एनजेसीएस सब कमेटी में बोनस फॉर्मूले पर पांच में से तीन यूनियन प्रतिनिधियों ने ही हस्ताक्षर किया था. बगैर सर्वसम्मति हुए ही सेल प्रबंधन द्वारा उपरोक्त फॉर्मूले को लागू कर दिया गया. इसके आधार पर सेल प्रबंधन द्वारा एक तरफा तरीके से कर्मचारियों के बैंक खाते में 23,000 रुपये बोनस मद में भेज दिया गया. बीऐकेएस बोकारो ने इसके विरुद्ध अक्टूबर-2023 को उप श्रम आयुक्त (कें.) धनबाद का पास शिकायत दर्ज कराया था. यूनियन के अनुसार, एनजेसीएस संविधान के तहत सभी मुद्दों पर आम सहमति बनने के बाद ही समझौता माना जा सकता है. लेकिन, उक्त बोनस समझौते में आम सहमति बनी हीं नही थी. समझौता पर इंटक, बीएमएस व एचएमएस ने ही हस्ताक्षर किया था. सीटू व एटक के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर नहीं किया था. उसके बावजूद सेल प्रबंधन ने उक्त बोनस समझौता को लागू कर दिया. यूनियन का कहना है कि उपरोक्त समझौता ही अवैध है.
कर्मियों के साथ भेदभाव करने का आरोप
यूनियन का कहना है कि दूसरी तरफ यही सेल प्रबंधन अपने अधिकारी वर्ग को कर पूर्व लाभ का 5% हिस्सा परफॉर्रमेंस रिलेटेड पे (पीआरपी) के रूप में भुगतान कर रही है. वहीं गैर कार्यपालक कर्मचारियों को गैर निर्वाचित व गैर सेल कर्मचारी यूनियन नेताओं को प्रभावित कर जटिल एएसपीएलआइएस फॉर्मूला बना कर उसमें भी बगैर आम सहमति के ही समझौता को लागू कर दिय गया. प्रबंधन कर्मियों के साथ एक तरह से भेदभाव और शोषण कर रही है. इस संबंध में बोकारो बीएकेएस के महासचिव दिलीप कुमार ने कहा कि. यूनियन को न्याय नहीं मिला तो न्यायालय की शरण में जायेगी.
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