CCL के स्वांग कोल वाशरी से बर्खास्त कर्मियों को हाईकोर्ट से राहत, वापस बहाल करने का आदेश
हाईकोर्ट ने सीसीएल और लेबर कोर्ट की ओर से सीसीएल के 44 स्थायी मजदूरों को हटाने के आदेश को रद्द कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि लेबर कोर्ट द्वारा किसी को बर्खास्त करने का आदेश देना, उसके क्षेत्राधिकार के बाहर का है.
बेरमो (बोकारो) राकेश वर्मा : बेरमो कोयलांचल के सीसीएल के कथारा प्रक्षेत्र अंतर्गत स्वांग कोल वाशरी में कार्यरत बर्खास्त किये गये मजदूरों को माननीय झारखंड हाईकोर्ट द्वारा बडी राहत मिली है. इस आदेश से जहां मजदूरों में खुशी की लहर है वहीं इन मजदूरों के समर्थन में शुरु से खडी यूनियन ने भी राहत की सांस ली है. मिली जानकारी के अनुसार 14 सितंबर 2023 को झारखंड हाईकोर्ट ने सीसीएल के स्वांग कोल वाशरी में कार्यरत स्थाई मजदूर बाबू राम सहित 44 मजदूरो को हटाए जाने के सीसीएल प्रबंधन एवं लेबर कोर्ट, धनबाद के वर्ष 2017 के आदेश को रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इन 44 मजदूरों को पुर्नबहाल करने का आदेश सीसीएल को दिया है. कोर्ट ने मामले में दाखिल सीसीएल के हटाए गए 44 स्थाई मजदूरो की अलग-अलग अपील याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि लेबर कोर्ट द्वारा किसी को बर्खास्त करने का आदेश देना उसके क्षेत्राधिकार के बाहर का है.अगर कोई विवाद है तो लेबर कोर्ट उसका समाधान कर सकता है, वह खुद विवाद क्रिएट करें, ऐसा नहीं होना चाहिए. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता सौरभ शेखर ने पैरवी की.
क्या था पूरा मामला
सीसीएल के कथारा प्रक्षेत्र अंतर्गत स्वांग कोल वाशरी में स्थायी प्रवृति के कार्य में लगे कुल 356 मजदूरों के स्थायीकरण की मांग को लेकर मजदूर संगठन ठेका मजदूर यूनियन (एटक) ने 1992 में इंडस्टि्रयल लेबर ट्रिब्यूनल कोर्ट,धनबाद में 324 अस्थाई मजदूर को स्थाई करने का आग्रह करते हुए केस किया था. जिसमें कहा गया था कि चुकी भारत सरकार ने वर्ष 1990 में कोल वाशरी में ठेका मजदूर की बजाय स्थाई मजदूरों से काम लेने की बात कही है. वे कोल वाशरी में लंबे समय से अस्थाई मजदूर के रूप में कम कर रहे हैं, इसलिए अब उन्हें स्थाई किया जाए.3.10.1996 को कोर्ट ने सभी मजदूरों को रेगूलराइज करने का आदेश दिया.लेबर कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीसीएल ने वर्ष 1999 में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने सीसीएल की याचिका खारिज कर दी थी, फिर सीसीएल द्वारा हाईकोर्ट की खंडपीठ में दाखिल याचिका भी खारिज हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट में भी सीसीएल को राहत नहीं मिली थी, सुप्रीम कोर्ट में भी सीसीएल की याचिका खारिज हो गई थी. सीसीएल की रव्यिू याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी. इसके बाद भी सीसीएल द्वारा इन मजदूरों को स्थाई नहीं करने पर ठेका मजदूर यूनियन ने वर्ष 2002 में झारखंड हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानने को लेकर सीसीएल प्रबंधन के खिलाफ कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट दाखिल किया. जिसका नंबर था 2795-2002. वर्ष 2008 में हाई कोर्ट की एकल पीठ ने आदेश दिया कि चुकी लेबर कोर्ट ने इन मजदूरों को नियमित करने का आदेश दिया है और सुप्रीम कोर्ट ने भी बात को कंफर्म किया है ऐसे में इन्हें स्थाई मजदूर के रूप में नियुक्त किया जाए. इसके बाद वर्ष 2010 में सीसीएल मैनेजमेंट एवं ठेका मजदूर यूनियन के बीच सेटलमेंट के बाद 134 मजदूरों की बहाली नियमित की गई थी.
71 मजदूरों ने स्वांग तथा 71 ने करगली वाशरी में दिया था योगदान
सीसीएल प्रबंधन ने कोर्ट के आदेश के बाद 2010 में मजदूरों से आवेदन लेना शुरु किया. कुल 324 आवेदन सीसीएल प्रबंधन को दिया गया. प्रबंधन ने सभी 324 मजदूरों को सीसीएल के स्वांग वाशरी, कथारा वाशरी, करगली वाशरी, गिद्दी वाशरी, रजरप्पा कोल वाशरी में समायोजित करने का निर्णय लिया. इसके तहत 71 मजदूरों ने सीसीएल के स्वांग कोल वाशरी में तथा 71 मजदूरों को सीसीएल के करगली कोल वाशरी (दोनो बेरमो कोयलांचल) में ज्वाइंनिंग देने का पत्र आया. जिसके बाद दोनो वाशरी मिलाकर कुल 142 मजदूरों ने अपना योगदान दिया.142 मजदूरों में 04 मजदूर जो कही बाहर काम कर रहे थे उन्हें इसकी जानकारी नहीं मिलने के बाद उन्होंने ज्वाइंन नही किया तथा कुल 03 मजदूरों को मेडिकल अनफिट के कारण ज्वाइनिंग नही दिया गया.कुल 134 मजदूरों ने स्वाग व करगली वाशरी में अपना योगदान दिया.
ल्वाइनिंग के बाद कुछ लोगों ने फर्जी बहाली का आवेदन प्रबंधन को दिया
सभी मजदूरों के ज्वाइनिंग के बाद कुछ लोगों ने 2012 में इसे पूरी तरह फर्जी बहाली बताते हुए सीसीएल प्रबंधन को आवेदन दिया. ऐसे लोगों का कहना था कि इन सभी मजदूरों के स्थान पर दूसरे लोगों की फर्जी तरीके से बहाली की गई है. बाद में यह मामला मिडिया में भी काफी सुर्खियों में रहा.जिसके बाद प्रबंधन ने 2012 सें उम्र के आधार पर बहाल किये गये मजदूरों को चार्जसीट देना शुरु किया. प्रबंधन के इस निर्णय के खिलाफ बहाल किये गये मजदूर 2013 में लेबर कोर्ट,धनबाद गये तथा केस किया. 5 साल तक केस चलने के बाद वर्ष 2017 में लेबर कोर्ट, धनबाद ने कहा कि चुकी उन पर आरोप है कि वे दूसरों के नाम पर नौकरी लिए हैं, इसलिए उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाए. लेबर कोर्ट के इस आदेश के आलोक में वर्ष 2017 में सीसीएल ने विभागीय कार्रवाई बंद करते हुए स्वांग व करगली कोल वाशरी में नियुक्त किए गए 134 स्थाई मजदूरों को हटाने का आदेश दिया.इस बीच प्रबंधन ने कुल 134 मजदूरों में 31 मजदूरों को इंक्वायरी के बाद नौकरी से बैठा दिया तथा शेष मजदूरों की इंक्वायरी चल ही रह थी लेबर कोर्ट ने सभी बहाली को वापस लेने का आदेश दे दिया. इसके बाद 54 स्थायी मजदूरों ने लेबर कोर्ट और सीसीएल के द्वारा हटाने के इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में 2017 में याचिका दाखिल की. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने लेबर कोर्ट, धनबाद के आदेश में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करने की बात करते हुए इन मजदूरों की याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद सीसीएल के 44 मजदूरों ने हाई कोर्ट की एकल पीठ के आदेश को 2022 में खंडपीठ में चुनौती दी थी. खंडपीठ ने लेबर कोर्ट, धनबाद और सीसीएल के द्वारा इन कर्मियों को हटाने के आदेश को गलत बताते हुए 44 स्थाई मजदूर को पुनर बहाल करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि आगे क्या कार्रवाई करना है यह इसपर सीसीएल नर्णिय ले.
क्या कहना है यूनियन नेता
एटक नेता व जेबीसीसीआई सदस्य लखनलाल महतो ने कहा कि अंतत: मजदूरों को न्यायालय द्वारा न्याय मिला. हाई कोर्ट के निर्णय को हम स्वागत करते है. अब इस निर्णय को लागू करने के लिए सीसीएल बाध्य है.