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झारखंड : बरसात में किया जा रहा तालाबों का जीर्णोद्धार, जलस्तर घटने से इस साल ठंड में भी होगी पानी की समस्या

इस साल ठंड के मौसम में भी परेशानी होगी. कारण है जलस्तर का कम होना. ऐसा इसलिए कि इस साल अभी तक सामान्य से 38 प्रतिशत से कम बारिश हुई है.

बोकारो जिला में पेयजल संकट से हर कोई वाकिफ है. चास व बेरमो अनुमंडल में तो गर्मी में भी समस्या से दो-चार होना पड़ता है. यह हर साल की कहानी है, लेकिन इस साल ठंड के मौसम में भी परेशानी होगी. कारण है जलस्तर का कम होना. ऐसा इसलिए कि इस साल अभी तक सामान्य से 38 प्रतिशत से कम बारिश हुई है. दूसरी ओर बरसात में तालाब का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. जिला में लघु सिंचाई विभाग की ओर से 55 तालाबों की सफाई कराने की योजना है. वहीं, चास नगर निगम की ओर से 13 तालाबों की सफाई करायी जा रही है.

दरअसल, तालाब समेत अन्य वेटलैंड को धरती का फेफड़ा माना जाता है. तालाब में संचित पानी भूगर्भ जल की मात्रा को संतुलित बनाती है. गर्मी में सूखने के बाद माॅनसून में तालाब भर जाता है. लेकिन, निगम की ओर से सफाई व जीर्णोद्धार के नाम पर तालाब से पानी निकाल दिया गया है. ऐसे में तालाब वर्तमान परिवेश में भी सूखा हुआ है. इधर, लघु सिंचाई विभाग की ओर से 55 तालाब की सफाई का टेंडर 14 जून को खुला. माॅनसून व एनजीटी की रोक के कारण कार्य शुरू नहीं हुआ है. लेकिन, माॅनसून बाद जब तालाबों की सफाई होगी, तो पानी बहा दिया जायेगा. ऐसी स्थिति में पूरे साल भूगर्भ रिचार्ज की होनेवाली प्रक्रिया रुक जायेगी, जिसका असर जलस्तर पर पड़ेगा.

नीति आयोग ने 200 तालाबाें की सूची दी है

विभाग की मानें तो फरवरी 2023 में विभाग को नीति आयोग की ओर से 200 तालाबों की सफाई की सूची दी गयी थी. वित्तीय वर्ष 2023-24 में तालाब की सफाई के उद्देश्य से फरवरी माह में ही सूची दी गयी थी, ताकि समय से काम हो. इसके बाद विभाग ने सूची के अनुसार साइट विजिट किया, शॉर्ट लिस्ट किया और टेंडर निकाला. तालाब सफाई के लिए जारी टेंडर में कार्य पूरा करने का समय छह माह दिया गया है. योजना के तहत चंदनकियारी प्रखंड में नौ तालाब, चंद्रपुरा में आठ, जरीडीह में नौ, कसमार में आठ, नावाडीह में एक पेटरवार में तीन, चास में चार, बेरमो में 11 व गोमिया प्रखंड में एक तालाब की सफाई होनी है. इन तालाबों की सफाई होने पर निश्चित तौर पर आनेवाले दिनों में लोगों को फायदा होगा. लेकिन, इस साल तो भूगर्भ जल की स्थिति बिगड़ने की संभावना ही है.

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सुधर रही थी जिले की स्थिति

2017 से लेकर 2022 तक की सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट से पता चलता है कि बोकारो जिला की स्थिति में सुधार हो रहा था. ब्लॉक दर ब्लॉक की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में बेरमो प्रखंड की स्थिति अति संवेदनशील थी, जबकि चास व चंद्रपुरा की स्थिति सेमी क्रिटिकल थी. जबकि 2020 की रिपोर्ट में बेरमो प्रखंड की स्थिति अति संवेदनशील व चास की स्थिति सेमी क्रिटिकल की रही. हालांकि, चंद्रपुरा सेफ जोन में आ गया. वहीं 2022 की रिपोर्ट में बोकारो जिला के बेरमो प्रखंड की स्थिति अति संवेदनशील रही, लेकिन चास की स्थिति भी सेफ जोन में पहुंच गयी.

क्या कहती है रिपाेर्ट

जनवरी 2020 से 2021 में जिला के सात कुआं के जल स्तर का अध्ययन किया गया. तीन कुआं में पानी न्यूनतम 0.06 मीटर से अधिकतम 0.65 मीटर चढ़ा. वहीं चार कुआं का पानी 0.14 मीटर से 1.46 मीटर गिरा. इससे पहले अगस्त 2019 से अगस्त 2020 के दौरान नौ कुआं का अध्ययन किया गया. इनमें से पांच कुआं का पानी 1.49 मीटर से अधिकतम 4.15 मीटर चढ़ा था और 04 कुआं का पानी 0.16 मीटर से 2.10 मीटर उतरा था. इसी तरह नवंबर 2019 से नवंबर 2020 के दौरान 11 कुआं का अध्ययन हुआ. इसमें 07 कुआं का पानी 0.13 मीटर से 1.81 मीटर चढ़ा था और 04 कुआं का पानी 0.31 से 0.90 मीटर तक उतरा था. मई 2019 से मई 2020 तक 04 कुआं पर रिपोर्ट तैयार की गयी. इस दौरान सभी कुआं का जलस्तर 2.10 से 3.45 मीटर तक ऊपर आया था. मई 2019 से जनवरी 2021 तक की रिपोर्ट जिला में गिरते जलस्तर को इंगित करती है.

बोकारो में वर्षा जल संरक्षण समय की मांग है. राज्य भू-गर्भ निदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में बोकारो का जलस्तर 12.25 मीटर था, जो 2002 में 8.14 मीटर था. यानी हर साल जलस्तर घट रहा है. राज्य भूगर्भ निदेशालय झारखंड की रिपोर्ट की मानें तो राज्य के 19 जिलों में 2002 की तुलना में 2021 में दो से छह मीटर तक जलस्तर नीचे चला गया. इसके कारण कई जिलों को जल दोहन क्षेत्र घोषित किया गया है. बोकारो भी इसमें शामिल है.

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