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40 साल पहले भी Royal थी एनफील्ड की बुलेट 350, बोकारो के इस डीलर का बिल देखकर चौंक जाएंगे आप

भारत में एनफील्ड बुलेट 1954 से ही काफी लोकप्रिय है. सरकार ने 1954 में सेना के लिए एनफील्ड से 800 बुलेट्स खरीदी थी. इसके बाद 1955 और 1956 में सरकार ने सेना के साथ पुलिस के लिए भी बुलेट्स की मांग की.

Royal Enfield Bullet 350: रॉयल एनफील्ड बुलेट 350 को वैसे ही ‘शान की सवारी’ नहीं कहा जाता है. भारत में रॉयल एनफील्ड बुलेट 350 के प्रेमियों की कमी नहीं है. जमाना चाहे कोई हो, हर जमाने में इसके चाहने वाले काफी रहे हैं. दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी भारत में बुलेट 350 का प्रोडक्शन काफी बरसों से कर रही है. हालांकि, रॉयल एनफील्ड समय-समय पर इसमें तकनीकी बदलाव किया है, लेकिन आज भी बुलेट 350 का कोई मुकाबला नहीं है. आपको यकीन नहीं होगा कि आज से करीब 40 साल पहले भी इस मोटरसाइकिल की मांग काफी थी. सोशल मीडिया पर वर्ष 1986 का बिल काफी तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे झारखंड के बोकारो के किसी डीलर ने अपने ग्राहक के लिए जारी किया है.

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1986 में कितनी थी बुलेट 350 की कीमत

आज भारत के एक्स-शोरूम में रॉयल एनफील्ड बुलेट 350 की कीमत भले ही 2 लाख रुपये से भी अधिक है, लेकिन जब आप आज से करीब 37 साल पहले की कीमत जानेंगे, तो चौंके बिना नहीं रह सकेंगे. साल 1986 में रॉयल एनफील्ड की बुलेट 350 की कीमत मात्र 18,700 रुपये थी. इसका एक बिल सोशल मीडिया मंच इंस्टाग्राम पर विंटेज बाइक के एक शौकीन ने पोस्ट किया है. इस बिल को 23 जनवरी 1986 को झारखंड के बोकारो स्थित ऑटो कंपनी के डीलर संदीप ने जारी किया था. इस बिल को देखने के बाद पता चलता है कि उस समय बुलेट 350 की कीमत 18,700 रुपये थी.

1986 में एनफील्ड बुलेट के नाम से प्रचलित थी ये मोटरसाइकिल

देश में शान की सवारी कही जाने वाले रॉयल एनफील्ड बुलेट 350 का जो 1986 वाला बिल सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया है, वह उस जमाने में एनफील्ड बुलेट के नाम से जानी जाती थी. उस समय उसकी आवाज इतनी भारी थी कि सुनसान इलाके में करीब एक किलोमीटर दूर से ही लोग जान जाते थे कि एनफील्ड बुलेट आ रही है. मुख्य रूप से बुलेट 350 का इस्तेमाल भारतीय सेना की ओर से सीमावर्ती क्षेत्रों में गश्त लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था.

1984 में सिर्फ 16000 में मिल जाती थी बुलेट

इंस्टाग्राम पर 1986 वाला बिल पोस्ट किए जाने के बाद एक यूजर ने अपने कमेंट में यह भी लिखा है कि मेरे पास एनफील्ड बुलेट का 1984 फरवरी वाला मॉडल है, जिसकी कीमत 16,100 थी. अब भी 38 साल से अधिक समय से मेरा साथी है. एक दूसरे व्यक्ति ने कमेंट किया आजकल आरई पर कोई 250 रुपये की भी छूट नहीं देता है.

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1954 से भारत में लोकप्रिय है एनफील्ड बुलेट

बताते चलें कि भारत में एनफील्ड बुलेट 1954 से ही काफी लोकप्रिय है. सरकार ने 1954 में सेना के लिए एनफील्ड से 800 बुलेट्स खरीदी थी. इसके बाद 1955 और 1956 में सरकार ने सेना के साथ पुलिस के लिए भी बुलेट्स की मांग की. पहली मांग को पूरा करने के लिए रॉयल एनफील्ड को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. इसके चलते कंपनी ने सरकार की अगली डिमांड को पूरा करने के लिए भारत में ही असेंबली यूनिट स्थापित करने का निर्णय लिया.

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1957 से भारत में बुलेट बना रही है रॉयल एनफील्ड

सरकार की ओर से बुलेट की मांग बढ़ने के बाद ब्रिटेन में विंटेज मोटरसाइकिल बनाने वाली एनफील्ड ने 1957 से भारत में ही बुलेट के कम्पोनेंट्स बनाने शुरू कर दिया. जिस समय यह सब हो रहा था, उस समय देश में राजदूत जावा खूब बिकती थी. इसके बावजूद बुलेट की लोकप्रियता कम नहीं हुई. कुछ समय बाद ब्रिटेन में कारखाने के दिवालिया होने के बाद भारत में ‘बुलेट’ का उत्पादन जारी रखा गया और 1999 में एनफील्ड इंडिया ने अपनी ब्रांडिंग को ‘रॉयल एनफील्ड’ में बदल दिया. 1990 में ईशर ने एनफील्ड इंडिया में 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. एनफील्ड नाम के पुराने ब्रिटिश ब्रांड को दूसरा जन्म देने का श्रेय सिद्धार्थ लाल को जाता है, जो ट्रेक्टर बनाने वाली ईशर कंपनी के मालिक हैं.

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