BSL के बुलंद अतीत की याद दिलायेगा रशियन क्लब
बीएसएल प्रबंधन ने ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है. पहले चरण में क्लब की साफ-सफाई के साथ निरीक्षण का काम शुरू हो गया है. मरम्मत के बाद क्लब का उपयोग व इसका रख रखाव कैसे हो आदि पर प्रबंधन ने मंथन शुरू कर दिया है.
‘रसियन क्लब’ सेक्टर चार बोकारो स्टील प्लांट के अतीत को बुलंदी के साथ याद दिलायेगा. कारण जर्जर हो चुके इस क्लब का कायाकल्प किया जायेगा. इसके लिए बीएसएल प्रबंधन ने ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है. पहले चरण में क्लब की साफ-सफाई के साथ निरीक्षण का काम शुरू हो गया है.
प्रबंधन की पहल पर लोगों में उत्साह
क्लब की मरम्मत समेत अन्य सुविधाओं को पुन: बहाल करने में क्या खर्च आयेगा, मरम्मत के बाद क्लब का उपयोग व इसका रख रखाव कैसे हो आदि पर प्रबंधन ने मंथन शुरू कर दिया है. बीएसएल प्रबंधन की इस पहल से शहरवासियों के अलावा बीएसएल अधिकारियों व कर्मचारियों में भी उत्साह है. ज्ञात हो कि रख-रखाव व मरम्मत के अभाव में क्लब जर्जर हो गया है. स्थित यह है कि अब सिर्फ इसका ढांचा ही बचा है. बीएसएल प्रबंधन ने क्लब के पुराने दिनों को लौटाने की कवायद शुरू कर दी है.
भारत और रूस की दोस्ती का प्रतीक
बोकारो स्टील सिटी के मध्य भाग में घूमने पर एक सुंदर आवासीय कॉलोनी दिखती है, जो 1970 के दशक में रूसी नागरिकों के लिए बसायी गयी थी. सेक्टर चार में दोनों ओर कतारबद्ध हरे-भरे पेड़ों से युक्त चौड़ी सड़कों के मध्य स्थित रसियन कॉलोनी व सोवियत क्लब अब भी अपनी मौजूदगी दर्शाता है. यह भारत और रूस के बीच दोस्ती का प्रतीक है.
बीएसएल से जुड़ा है रसियन क्लब का इतिहास
रसियन क्लब का इतिहास बीएसएल से भी जुड़ा है. भारत और रूस के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने के बीच दोनों देशों के सहयोग की यह इमारत मिसाल है. बोकारो इस्पात संयंत्र (बीएसएल) सोवियत संघ के तकनीकी सहयोग से तीसरी पंचवर्षिय योजना के तहत स्थापित हुआ था.
32 क्वार्टर के साथ बनी थी रसियन कॉलोनी
बीएसएल के निर्माण में रूसी प्रौद्योगिकी की मदद ली गयी थी. ऐसे में सोवियत रूस के तकनीशियन व विशेषज्ञ भी यहां चार दशकों से अधिक समय तक रहे और संयंत्र में काम किया. भारत और तत्कालीन सोवियत संघ के बीच संयंत्र के लिए समझौते पर हस्ताक्षर के बाद से यहां रूसी नागरिकों का आगमन शुरू हुआ. रसियन कॉलोनी बनायी गयी. यहां कुल 32 क्वार्टर बने.
मनोरंजन की याद को ताजा करता है क्लब
रूसियों के रसियन कॉलोनी में नहीं रहने के बावजूद इसका नाम कभी नहीं बदला गया. यह अब भी भारत और रूस के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों का प्रतीक है. यहां के क्वार्टर अहसास कराते हैं कि यह कॉलोनी कभी रूसी नागरिकों से गुलजार रहा करती थी. कॉलोनी स्थित सोवियत क्लब उस समय के मनोरंजन की याद को ताजा करता है.
विभिन्न सेक्टरों में क्लबों की हो रही मरम्मत
बीएसएल प्रबंधन की ओर से विभिन्न सेक्टरों के क्लब की मरम्मत का कार्य चरणबद्ध तरीके से चल रहा है. इसके तहत सेक्टर 12 क्लब की मरम्मत का काम लगभग पूरा हो गया है. यहां बिजली का कुछ काम बाकी है. इधर, सेक्टर तीन क्लब की मरम्मत चल रही है. यहां स्वीमिंग पुल व बैंडमिंटन कोर्ट की सुविधा भी बहाल की जा रही है, जो पहले नहीं थी. इसके बाद सेक्टर आठ क्लब की मरम्मत की जायेगी. इसी तरह सभी सेक्टर के क्लबों की मरम्मत की जायेगी.
एयरकंडीशंड व ओपन थियेटर से थी रौनक
जिस समय क्लब बना था, उस समय यहां मनोरंजन व खेलकूद के लिए व्यवस्था थी. एयरकंडीशंड व ओपन थियेटर थे. एयरकंडीशंड थियेटर में रूस की फिल्में दिखायी जाती थीं. ओपन थियेटर में विदेशी कलाकार नाटक का मंचन करते थे. वहीं स्वीमिंग पूल व बास्केटबाल कोर्ट का भी निर्माण कराया गया था. यह क्लब मनोरंजन का प्रमुख केंद्र था.