उग्रवाद प्रभावित झुमरा पहाड़ की तलहटी में संतोष ने लायी हरियाली, बंजर भूमि में उगाये टमाटर

गोमिया प्रखंड अंतर्गत उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र झुमरा पहाड़ के तलहटी स्थित पंचमो पंचायत के रहावन गांव में परती पड़ी टांड़ एवं बंजर भूमि में युवा किसान संतोष कुमार ने दो एकड़ में टमाटर की खेती कर इलाके में हरियाली बिखेर दी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 18, 2020 7:44 PM

ललपनिया (बोकारो) : गोमिया प्रखंड अंतर्गत उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र झुमरा पहाड़ के तलहटी स्थित पंचमो पंचायत के रहावन गांव में परती पड़ी टांड़ एवं बंजर भूमि में युवा किसान संतोष कुमार ने दो एकड़ में टमाटर की खेती कर इलाके में हरियाली बिखेर दी है. पढ़े नागेश्वर की यह रिपोर्ट.

उग्रवाद प्रभावित झुमरा पहाड़ की तलहटी में बसा है रहावन गांव. यह गांव पंचमो पंचायत के अंतर्गत आता है. इस गांव के युवा किसान संतोष कुमार ने अपनी अथक मेहनत से परती पड़ी टांड़ व बंजर भूमि में टमाटर की खेती कर पलायन करने वाले लोगों को एक संदेश दिया है. संतोष कहते हैं कमाने के लिए राज्य से बाहर जाने की क्या जरूरत, जब अपने गांव-पंचायत के बंजर भूमि का उपयोग कर बेहतर आमदनी हो सकती है.

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गांव के शिक्षित बेरोजगार संतोष कुमार स्नातक पास हैं. स्नातक के बाद कई जगह नौकरी की तलाश में भटका, लेकिन नौकरी नहीं मिली, तो सोचा क्यों न अपने गांव में ही खेती-बारी शुरू की जाये. शुरुआत में उन्होंने टमाटर लगाने को सोचा. अपनी परती पड़ी टांड़ व बंजर जमीन पर ही खेती करने की शुरुआत की. सबसे पहले परती व बंजर जमीन को उर्वरक बनाया. फिर 8 हजार टमाटर के पौधों को लगाकर ड्रिप इरिगेशन से पटवन करना शुरू किया.

श्री कुमार के पिता देवनाथ साव को मनरेगा से चार साल पहले कुआं मिला था, जो आज भी अधूरा है. किसी तरह उसी कुएं से पटवन के लिए पानी का उपयोग होने लगा. लेकिन, जब गर्मी में पानी कम पड़ जाती, तो पड़ोसी के कुएं से पानी पंप द्वारा लाकर टमाटर की खेती करने लगे. संतोष दो एकड़ में टमाटर की खेती कर रहे है. आज टमाटर की खेती देखने लायक हो गया है. दो एकड़ में लगी टमाटर लहलहा रही है. बे मौसम बारिश से टमाटर की खेती में कुछ नुकसान भी उठाना पड़ा है. फिर भी, हजारीबाग से दवा लाकर खेती को संभाल रहे हैं.

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सगे- संबंधियों से आर्थिक सहयोग लेकर कृषि कार्य में जुड़ा

युवा किसान संतोष कहते हैं कि परिवार की स्थिति काफी दयनीय है. पैसे की कमी से आगे की पढाई नहीं कर सका. जीवन चलाने के लिए कुछ तो करना होगा. अपने सगे- संबंधियों से कर्ज लेकर टमाटर की खेती करने में जुटा हूं, पर मौसम साथ नहीं दे रहा है. बार- बार बारिश और ओलावृष्टि होने से फसलों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. भले ही परती और बंजर भूमि को उपजाऊ बना दिये, लेकिन सगे-संबंधियों से लिए पैसे को लौटाने की चिंता हमेशा सताते रहती है.

सहयता मिले, तो तीन- चार फसल उगायेंगे

संतोष का कहना है कि क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति नियमित नहीं होने पर पटवन ठीक से नहीं कर पा रहे हैं. प्रखंड के कृषि विभाग द्वारा कृषि विकास के लिए सौर ऊर्जा सहित मोटर पंप आदि का सहयोग मिले, तो उसी खेत में तीन- चार किस्म की खेती और कर सकते हैं. इससे जहां अच्छी आमदनी हो सकती है, वहीं अपने परिवार का भरण- पोषण भी बेहतर तरीके से कर सकते हैं.

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छोटे भाई का मिला सहयोग

श्री कुमार के साथ इंटर में पढाई कर रहे छोटे भाई धीरज कुमार का भी खेती-बारी में सहयोग मिल रहा है. दोनों भाई काफी मेहनत कर रहे हैं. उन्हें पूरी उम्मीद है कि जिस प्रकार से मेहनत कर टमाटर की खेती किया, उससे लाभ मिलेगा और सगे- संबंधियों से लिए आर्थिक सहयोग को वापस कर पायेंगे.

किसानों के विकास के लिए सरकार कृतसंकल्पित

प्रखंड के तकनीकी प्रबंधक सह सहायक उप निदेशक राजन मिश्रा ने युवा किसान संतोष कुमार के कार्यों की तारीफ की. हालांकि, उन्होंने कहा कि इस संबंध में पूरी जानकारी नहीं मिल पायी है. उन्होंने आशा जतायी कि राज्य के किसानों के बेहतर विकास के लिए राज्य सरकार कृतसंकल्पित है. सरकार की कोशिश है कि प्रगतिशील किसानों को सरकारी सहायता मुहैया करायी जाये, जिससे उन्हें खेती- बारी में सहूलियत मिल सके.

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