Jharkhand News, बोकारो न्यूज (राकेश वर्मा) : झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि पारा शिक्षकों के साथ वे आज भी खड़े हैं. केंद्र सरकार पारा शिक्षकों की कटौती की गयी राशि को वापस करे. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को प्राइवेट स्कूलों की तुलना में आज भी सुविधाएं कम मिल रही हैं. गांव में स्मार्ट फोन नहीं है. कहीं बिजली नहीं है तो कहीं नेटवर्क नहीं है. खुद वे ही ऑनलाइन शिक्षा से संतुष्ट नहीं हैं. आपको बता दें कि इलाज के लिए चेन्नई गये श्री महतो अभी तक झारखंड नहीं लौटे हैं.
झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि पारा शिक्षकों के साथ वे आज भी खड़े हैं. केंद्र सरकार पारा शिक्षकों की कटौती राशि को वापस करे. आज शनिवार को जारी बयान में उन्होंने कहा कि पारा शिक्षकों को केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले 1500 करोड़ रुपए की कटौती कर दी गयी है. इस कोरोना काल में पैसे की कटौती नहीं होनी चाहिए थी. उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि कटौती की गयी राशि को राज्य सरकार को दिया जाये, ताकि पारा शिक्षकों के मानदेय भुगतान में परेशानी नहीं हो.
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि वे अभी भी पारा शिक्षकों के साथ खड़े है. जल्द झारखंड लौटेंगे. इसके बाद अगर सरकार द्वारा फिर से विभाग की जवाबदेही दी जाती है तो वे पारा शिक्षकों के कल्याण कोष के गठन, स्थायीकरण सहित अन्य मांगों पर ठोस पहल करेंगे. उन्होंने कहा कि 28 सितंबर 2020 को पारा शिक्षकों के लिए गठित कमेटी की बैठक होनी तय थी, लेकिन संयोगवश उसी दिन उनकी तबीयत बिगड़ गयी थी और वह इतने दिनों तक अस्पताल में रहे. अभी भी वे झारखंड लौटे नहीं हैं. वे चेन्नई में हैं.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोई भी काम को छोटा नहीं है. जनप्रतिनिधि का काम है जनता का काम करना. जनता के बीच रहे तभी चार बार लगातार विधायक बने. अभी अस्पताल में रहकर भी फोन पर लोगों की समस्या का समाधान करवाते हैं. उन्होंने कहा कि महज मुझे तीन माह का समय मिला इसी बीच विद्यालयों का निरीक्षण करता रहा. यह जानने की कोशिश कर रहा था कि प्राइवेट स्कूलों की तरफ अभिभावकों व बच्चों का झुकाव क्यों है. फिर वापस लौटकर मैं इस पर काम करुंगा. कोई भी चीज कठिन नहीं है.
जगरनाथ महतो ने कहा कि सही दिशा में काम करने की जरूरत है. कोरोना में शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई है. यह झारखंड नहीं पूरे देश की समस्या है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को प्राइवेट स्कूलों की तुलना में आज भी सुविधाएं कम हैं. गांव में स्मार्ट फोन नहीं है. कहीं बिजली नहीं है तो कहीं नेटवर्क नहीं है. खुद वे ही ऑनलाइन शिक्षा से संतुष्ट नहीं हैं.
Posted By : Guru Swarup Mishra