मूसलाधार बारिश में मचल उठा सेवाती वाटर फॉल, खूबसूरत और मनमोहक हुआ घाटी का दृश्य
बारिश में भींग कर भी लोग पहुंच रहे वाटर फॉल का नजारा देखने, झारखंड-बंगाल अंतरराज्यीय सीमा पर स्थित है कसमार की सेवाती घाटी
दीपक सवाल, कसमार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा पर अवस्थित कसमार प्रखंड की सेवा की घाटी में शुक्रवार को मूसलाधार बारिश में सेवाती वॉटरफॉल मचल उठा. वाटरफॉल में पानी के तेज बहाव के कारण घाटी का दृश्य खुशनुमा और काफी आकर्षक हो गया है. तेज बारिश के बावजूद अनेक लोग वाटरफॉल के इस नजारे को देखने के लिए पहुंच रहे हैं. मालूम हो की सेवाती की घाटी कसमार प्रखंड के प्रमुख रमणिका स्थलों में एक है. यहां की हसीन वादियां लोगों को खूब लुभाती है. खासकर यहां का वाटरफॉल पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र होता है. लोग सालों भर यहां भ्रमण एवं शांति सुकून के दो पल गुजारने के लिए आते रहते हैं. जनवरी में पिकनिक मनाने वालों का जमावड़ा लगा रहता है. वहीं, मकर संक्रांति के अवसर पर यहां तीन दिवसीय विशाल टुसू मेला भी लगता है. अंतरराज्यीय सीमा होने के कारण दोनों राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में मेला में शामिल होते हैं. उस दौरान वाटरफॉल पर दर्जनों टुसुओं का विसर्जन भी धूमधाम से होता है. हालांकि, सामान्य दिनों में वाटरफॉल में इतना बहाव अथवा ऐसा नजारा लोगों को देखने को नहीं मिल पाता है. यही कारण है कि शुक्रवार को इस खूबसूरत नजारे को अपने मोबाइल व कैमरे में कैद करने के लिए मूसलाधार बारिश में भींगकर भी अनेक लोग घाटी में पहुंचे. मालूम हो कि इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की संभावनाएं काफी है. इसी के मद्देनजर पिछले लंबे समय से इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग भी उठती रही है. कई जनप्रतिनिधि इसके लिए प्रयासरत भी रहे हैं. गोमिया के वर्तमान विधायक डॉ लंबोदर महतो की पहल पर इसे झारखंड सरकार के पर्यटन सूची में इस वर्ष शामिल भी कर लिया गया है. जबकि, जनवरी 2024 में बोकारो डीएफओ रजनीश कुमार ने सेवाती घाटी का जायजा लेकर वन विभाग के फंड से भी यहां कई योजनाओं पर कार्य करने की घोषणा की है. मालूम हो कि मुचरीनाला नामक इस झरना (वाटरफॉल) का पानी बहता हुआ पश्चिम बंगाल सीमा में चला जाता है. यहां चैक डैम बना कर आसपास के दोनों राज्यों के दर्जनों सीमावर्ती गांवों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी जा सकती है. इसकी मांग भी लंबे समय से उठती रही है. लेकिन, शासन-प्रशासन का ध्यान अब-तक इस ओर नहीं गया है.
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