झारखंड का शेफील्ड कहा जाने वाला भेंडरा में बनेगा फैसिलिटी कॉमन सेंटर, विकास में लगी टीम

केंद्र सरकार की स्फूर्ति योजना के तहत लगभग दो करोड़ रुपये से भेंडरा में फैसिलिटी कॉमन सेंटर की स्थापना होगी. इसे लेकर आइआइटी की टीम ने एक माह भेंडरा गांव का सर्वेक्षण कर एक प्रोजेक्ट बनाया है. इसमें पारंपरिक तकनीक का आधुनिकीकरण कर इस उद्योग को विकसित करने की योजना है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 30, 2022 10:43 AM
an image

Bokaro News: लौहनगरी भेंडरा के कुटीर उद्योग को विकसित करने पर कार्य चल रहा है. आइआइटी आइएसएम धनबाद के अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर की सीइओ डाॅ आकांक्षा सिन्हा की नेतृत्व वाली टीम ने इसका प्रोजेक्ट तैयार किया है. केंद्र सरकार की स्फूर्ति योजना के तहत लगभग दो करोड़ रुपये से भेंडरा में फैसिलिटी कॉमन सेंटर की स्थापना होगी. बताते चलें कि भेंडरा को झारखंड का शेफील्ड कहा जाता है. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो डाॅ आकांक्षा सिन्हा, मैनेजर केमिलिया चौधरी, भेंडरा मुखिया नरेश कुमार विश्वकर्मा आदि के साथ एक दिसंबर को राज्य के उद्योग सचिव से मिलने वाले हैं. बैठक में कुटीर उद्योग के विकास पर बात होगी.

आधुनिक तकनीक से बनाये जायेंगे औजार

डाॅ आकांक्षा सिन्हा ने बताया कि यदि भेंडरा काे ट्रेडमार्क मिल जाये तो इसकी पहचान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बना सकेगी.

भेंडरा के विकास में लगी

आइआइटी की टीम ने एक माह भेंडरा गांव का सर्वेक्षण कर एक प्रोजेक्ट बनाया है. इसमें पारंपरिक तकनीक का आधुनिकीकरण कर इस उद्योग को विकसित करने की योजना है. भेंडरा में शेरशाह के जमाने से उनकी सेना के लिए हथियार बनाये जाते थे. आज भी पारंपरिक तकनीक से तलवार, भाला, कटार, फरसा, कुल्हाड़ी, हसुआ, हथौड़ा, चाकू, बैसुली, कुदाल आदि बनाये जाते हैं. ये औजार कोयला पर लोहे को गर्म करने के बाद हथौड़े से पीट-पीट कर बनाये जाते हैं. गांव के लगभग 200 घरों में यह कार्य होता है. इसमें लगभग 150 कारीगर और 300 मजदूर प्रतिदिन बिना सुरक्षा के लौह सामग्री बनाते हैं. इन्हें उचित मजदूरी भी नहीं मिल पाती है.

Also Read: धनबाद IIT-ISM में आज रात 12 बजे से कैंपस सीजन का होगा आगाज, प्लेसमेंट के लिए पहुंच रहीं 50 कंपनियां
कम खर्च पर तैयार होगा बेहतर प्रोडक्ट

डाॅ. आकांक्षा सिन्हा ने बताया कि भेंडरा में 50 डिसमिल भूमि चिह्नित की गयी है, जिस पर फैसिलिटी कॉमन सेंटर बनेगा. वहां के कुशल कारीगरों को प्रशिक्षित कर आधुनिक तकनीक से लौह सामग्री बनाने की कला सिखायी जायेगी. इससे कम खर्च में बेहतर सामान का निर्माण हो सकेगा. साथ ही, कारीगरों व मजदूरों की सुरक्षा भी होगी. फैसिलिटी काॅमन सेंटर में समीप की जामुनिया नदी से पानी, पास के विद्युत सब स्टेशन से बिजली, नजदीकी शहरों से कच्ची लौह सामग्री और सीसीएल कोलियरी से कोयला की आपूर्ति होगी. भेंडरा निर्मित लौह सामग्री की पहचान के लिए ट्रेडमार्क की भी स्वीकृति दिलायी जायेगी. वर्तमान में भेंडरा में बने सामान को व्यापारी कोलकाता ले जाते हैं. वहां कुछ काम कर सामान पर अपनी मार्किंग कर मूल्य तय करते हैं.

केंद्र सरकार के पास प्रोजेक्ट भेज कर स्वीकृति दिलाने का प्रयास होगा. प्रोजेक्ट के धरातल पर उतरने के बाद भेंडरा की देश भर में प्रसिद्धि होगी. साथ ही यहां के कारीगरों, मजदूरों और व्यापारियों का उत्थान होगा.

जगरनाथ महतो, शिक्षा मंत्री

रिपोर्ट : मनोज वर्णवाल, नावाडीह (बोकारो

Exit mobile version