बेरमो. नावाडीह के चर्चित साहित्यकार शिरोमणि राम महतो को विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर द्वारा विद्या वाचस्पति सम्मान दिया जायेगा. यह सम्मान डॉक्टरेट की मानद उपाधि के समकक्ष माना जाता है. विद्यापीठ के कुल सचिव देवेंद्रनाथ शाह ने यह सूचना पत्र के माध्यम से दी है. सम्मान समारोह का आयोजन 10 नवंबर को भागलपुर के बाराहाट में होगा. मालूम हो कि शिरोमणि राम महतो की नौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और कई सम्मान भी मिल चुके हैं. कथादेश, हंस, कादम्बिनी, पाखी, नया ज्ञानोदय वागर्थ, आजकल, परिकथा, तहलका, समकालीन भारतीय साहित्य एंव अन्य पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं. उनकी प्रकशित पुस्तकों में उपेक्षिता (उपन्यास), कभी अकेले नहीं (कविता संग्रह), संकेत-3 (कवितओं पर केंद्रित पत्रिका), भात का भूगोल (कविता संग्रह), करमजला (उपन्यास) , चांद से पानी (कविता संग्रह), झारखण्ड की समकालीन कविता (संपादन), समकाल की आवाज (चयनित कविताएं), सभ्यता के गुणसूत्र (कविता संग्रह) शामिल हैं. श्री महतो को नागार्जुन स्मृति राष्ट्रीय सम्मान, सव्यसाची सम्मान, परिवर्तन लिटरेचर अचीवर्स आवार्ड, जयशंकर प्रसाद स्मृति सम्मान, स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान मिल चुका है. मराठी, सिंधी, ऊर्दू, उड़िया, गुजराती, संथाली,अंग्रेजी, नेपाली भाषा में उनकी कई रचनाओं का अनुवाद प्रकाशित हुई है. उपन्यास “करमजला ” पर रीता देवी वीमेन्स यूनिवर्सिटी भुवनेश्वर तथा वर्द्धमान यूनिवर्सिटी में लघु शोध कार्य हुआ. “महुआ ” एवं पंख पत्रिका का संपादन श्री महतो करते है. इधर कुछ सालों से महुआ पत्रिका का नि:शुल्क वितरण किया जाता है. इन्होंने दो सौ से अधिक साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन व संचालन किया है.
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