बरलंगा-कसमार पथ निर्माण में मुआवजा संबंधी समस्या को लेकर लगा विशेष शिविर
118 रैयतों में 108 ने आपत्ति के साथ लिया नोटिस, 10 रहे अनुपस्थित, डीसी के समझाने पर माने रैयत
कसमार. कसमार प्रखंड के खुदीबेड़ा में शुक्रवार को भूमि मुआवजा को लेकर विशेष शिविर का आयोजन किया गया. इसमें बोकारो डीसी जाधव विजया नारायण राव भी मौजूद थीं. गोला प्रखंड के बरलंगा से शिबू सोरेन के पैतृक गांव नेमरा होते हुए कसमार तक निर्माणधीन पथ चौड़ीकरण व मजबूतीकरण कार्य के अंतर्गत खुदीबेड़ा मौजा की अधिग्रहित भूमि के एवज में मुआवजा राशि भुगतान में उत्पन्न समस्याओं को लेकर यह शिविर लगाया गया. इस दौरान कुल 118 रैयतों में 110 ने आपत्ति के साथ नोटिस प्राप्त किया. 10 रैयत अनुपस्थित थे. हालांकि, नोटिस 18 मई की तिथि का होने पर भी रैयत आपत्ति कर रहे थे, जिस पर डीसी ने समझाया कि इससे कोई समस्या नहीं आयेगी.
बता दें कि खुदीबेड़ा के रैयतों ने दूसरे गांवों की अपेक्षा मुआवजा राशि को कम बताते हुए नोटिस लेने से इंकार कर दिया था. स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक अधिकारियों व संवेदक के प्रयासों के बावजूद रैयत नोटिस लेने को तैयार नहीं थे. इसके चलते इस पथ का निर्माण कार्य इस गांव में बाधित हो गया था. जानकारी के अनुसार, मामले को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद ने संज्ञान में लिया. मुख्यमंत्री के निर्देश पर डीसी ने मामले के समाधान के लिए गांव में ही विशेष शिविर लगाया. शिविर में कई रैयतों ने अपनी बात रखी व कहा कि उनकी मुआवजा राशि काफी कम है. इसलिए नोटिस नहीं ले रहे हैं. रैयतों की सुनने के बाद डीसी ने उन्हें समझाया और नियमों का हवाला देते हुए आपत्ति के साथ नोटिस लेने की अपील की.डीसी ने बताया कि किसी भी परियोजना के लिए जब भूमि के एवज में मुआवजा राशि तय की जाती है, तो संबंधित गांवों के पिछले तीन सालों की जमीन खरीद-बिक्री की उच्चतम दर को ध्यान में रख कर मुआवजा राशि तय होती है. इस गांव के साथ भी यही हुआ है. अब नियमों को बदलना उनके हाथ में नहीं है. लेकिन इसका उपाय जरूर है. डीसी ने कहा कि परियोजना का काम रूक नहीं सकता है. लेकिन हम यह भी चाहते हैं कि रैयतों को वाजिब मुआवजा मिले. इसलिए आपत्ति के साथ नोटिस और मुआवजा प्राप्त करें. एक अगस्त को नयी संशोधित दर तय होनी है. उसमें मूल्यांकन के बाद इस गांव की जमीन की कीमत में अगर बढ़ोतरी होती है, तो बाद में रैयतों को बढ़ी हुई मुआवजा राशि भी प्राप्त होगी. डीसी के समझाने के बाद रैयत माने तथा नोटिस लेना शुरू किया. मुआवजा भुगतान को लेकर वाउचर वितरण भी किया गया. ग्रामीणों ने पथ निर्माण कार्य में संबंधित एजेंसी एवं स्थानीय प्रशासन का सहयोग करने की बात कहीं.
रैयत खुद हटा लें संरचना
डीसी ने बताया कि बरलंगा-कसमार पथ के अलावा बहादुरपुर-पिरगुल (सेवाती) मुख्य पथ, जिसका निर्माण करीब पांच साल पहले हुआ था और उसमें जिन रैयतों को मुआवजा नहीं मिल पाया था, उन्हें भी मुआवजा राशि उपलब्ध करायी जा रही है. डीसी ने बताया कि बरलंगा-कसमार पथ चौड़ीकरण के लिए चिन्हित जमीन पर जिनकी संरचना बनी हुई है, उसका भी मुआवजा मिलेगा. हालांकि, अधिकारियों ने यह अपील की कि रैयत अपनी संरचना खुद हटा लें तो अधिक बेहतर होगा. क्योंकि अगर प्रशासन हटाएगा तो उसका खर्च भी रैयत को ही वहन करना पड़ेगा.ये थे मौजूद :
मौके पर अपर समाहर्ता मुमताज अंसारी, जिला परिवहन पदाधिकारी वंदना सेजवलकर, बेरमो एसडीओ अशोक कुमार, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी द्वारिका बैठा, कसमार बीडीओ अनिल कुमार, सीओ सुरेश कुमार सिन्हा, प्रमुख नियोती कुमारी, प्रखंड बीस सूत्री अध्यक्ष दिलीप हेंब्रम, थाना प्रभारी भजनलाल महतो, गंगा कंस्ट्रक्शन के संवेदक विपिन पांडेय, नरेंद्र पांडेय, हिसीम मुखिया बबीता देवी, पंसस जगेश्वर मुर्मू, सिंहपुर पंसस विनोद महतो, घनश्याम महतो, मनोज कुमार महतो, कुलदीप करमाली, तुलसीदास जायसवाल, भुवनेश्वर महतो, गोविंद गंझू, विपिन गोस्वामी, अमीन अनुज कुमार, एएसआई राजिद अहमद, मुजम्मिल अंसारी, प्रणव गोस्वामी, मलय गोस्वामी, दिगंबर महतो, छत्रु महतो आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है