Bokaro News : छोटे-छोटे मामलों खासकर घरेलू हिंसा के मामले में सीधे पुलिस, कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाने से पहले सामाजिक स्तर पर निपटने का प्रयास करना चाहिए. सीधे कोर्ट जाने से कितने घर बर्बाद हो रहे हैं. इसी तरह संपत्ति बंटवारे के कुछ मामले जो लोकल स्तर पर आपसी बातचीत से सुलझाया जा सकता है. इसे भी बहुत सारे लोग कोर्ट लेकर जाते हैं. इसमें वर्षों लग जाता है. कोर्ट पर भी बोझ बढ़ता है. साथ ही लोगों को कानूनी रूप से जागरूक होने की भी जरूरत है, ताकि अपनी हकमारी भी ना हो. ये बातें रविवार को प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में झारखंड हाई कोर्ट रांची सह बोकारो सिविल कोर्ट के अधिवक्ता सह इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स के नेशनल कौंसिल मेंबर रणजीत गिरि ने कही.
हीरापुर (धनबाद) के संजय कुमार पांडेय का सवाल :
पीडब्लूडी में काम किया था. इंजीनियर ने बिल भुगतान के लिए पैसा रिलीज नहीं किया. मांगने पर सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने का केस कर दिया. केस की सुनवाई हुई. फैसला मेरे हक में आया. क्या मानहानि का मुकदमा कर सकते हैं ?अधिवक्ता की सलाह :
आपको न्यायालय ने सही ठहराया है. आपके हक में फैसला सुनाया है. आप मानहानि का मुकदमा कर सकते हैं. हर्जाना को लेकर मुकदमा भी दायर कर सकते हैं. यह आप पर निर्भर करता है कि आप मुकदमा दर्ज करना चाहते हैं या नहीं.गोविंदपुर (बोकारो थर्मल) के हरि शंकर महतो का सवाल :
मैंने बैंक में चेक जमा किया था. बैंक ने मेरे खाता में रकम डिपोजिट नहीं किया. मैं अब कहां जाऊं और क्या करूं ?अधिवक्ता की सलाह :
आपको अपने चेक के बारे में जानकारी लेने का पूरा हक है. बैंक को खाता में डिपोजिट दिखाना होगा या चेक में गड़बड़ी होने पर आपको बैंक द्वारा सूचित करना होगा. बार-बार टहलाना गलत है. आप उपभोक्ता फोरम में मामला दर्ज करायें. सुनवाई वहीं होगी. न्याय भी मिलेगा.सेक्टर तीन (बोकारो) के मनोज कुमार सिंह का सवाल :
पुलिस घर आयी थी. बताया कि वर्ष 2009 में आप किसी मनोज कुमार सिंह का बेलर बने थे. वह व्यक्ति कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहा है. ऐसे में कोर्ट ने आपको न्यायालय में बुलाया है. याद नहीं आ रहा है कि मैं किसका बेलर बना था. ऐसे में क्या करें ?अधिवक्ता की सलाह :
इस मामले में आपको कोर्ट जाकर पूरी जानकारी लेनी चाहिए. घबराये बिल्कुल नहीं. कोर्ट जाने पर पूरी जानकारी आपको मिलेगी. आपको याद आयेगा कि आप किस व्यक्ति के बेलर बने थे. न्यायालय आपको न्याय देने के लिए है. आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है.सेक्टर नौ (बोकारो) के महेश वर्णवाल का सवाल :
परिचित को 50 हजार रुपया दिया था. बदले में उसने चेक दिया. चेक बाउंस कर गया है. पैसे मांगने पर परिचित व्यक्ति टाल मटोल का रवैया अपना रहा है. ऐसे में क्या करें ?अधिवक्ता की सलाह :
घबराने की जरूरत नहीं है. परिचित को एक नोटिस भेजे. 30 दिन के अंदर जवाब नहीं मिलने पर 15 दिन तक इंतजार करें. इसके बाद भी पैसा नहीं मिला, तो न्यायालय में मामले को लेकर केस दर्ज किया जा सकता है. न्यायालय स्तर से कार्रवाई होगी.बाघमारा (धनबाद) के राजेश कुमार का सवाल :
कुंभ जाने के लिए टिकट कटावाया था. टिकट कंर्फम था. भीड इतनी अधिक थी कि मैं ट्रेन में नहीं चढ पाया. ऐसे में क्या मुआवजा का हकदार हैं?अधिवक्ता की सलाह :
आप मुआवजा के हकदार हैं. इसके लिए आपको रेलवे ट्रिब्यूनल कोर्ट जाना होगा. जो धनबाद में है. वहां मामले को ले जायें. सुनवाई के बाद आपको मुआवजा मिलेगा.सेक्टर 12 बघरायबेड़ा (बोकारो) के निर्मल सोरेन का सवाल :
बघरायबेड़ा में पिछले कई वर्षों से झोपड़ी बना कर रह रहा हूं. एक व्यक्ति ने रास्ते को बंद कर दिया है. ऐसे में क्या किया जा सकता है ?अधिवक्ता की सलाह :
आपको चास स्थित एसडीओ कोर्ट जाना होगा. वहां मामला दर्ज करायें. रास्ते में आपका जमीन नहीं भी पड़ता है, फिर भी एसडीओ कोर्ट से आपको आने-जाने का रास्ता दिलाया जायेगा. परेशान होने की जरूरत नहीं है. जहां-तहां भटकना भी नहीं पड़ेगा.धनबाद के शिव शंकर यादव का सवाल :
धनबाद के अपार्टमेंट में एक फ्लैट व पार्किंग का पूरा पैसा चुका दिया गया है. अब तक बिल्डर ने पार्किंग नहीं दिया. मामला सिविल न्यायालय में चल रहा है. लगातार परेशान हैं?अधिवक्ता की सलाह :
आपका मामला सिविल कोर्ट का नहीं है. मामले को कंज्यूमर कोर्ट में लेकर जाये. निश्चित रूप से सुनवाई होगी. अधिक परेशान होने की जरूरत नहीं है.गोविंदपुर (धनबाद) के राजीव कुमार दत्ता का सवाल :
पोस्ट ऑफिस में मेरा एकाउंट है. साथ में पत्नी ज्वाइंट है. खाता से लगातार ट्रांजक्शन हो रहा है. उस एकाउंट को अब फ्रिज कर दिया गया है. अब इसमें मैं क्या करूं.अधिवक्ता की सलाह :
मामला साइबर फ्रॉड से जुड़ा लग रहा है. पहले आप अपनी शिकायत पुलिस के पास लेकर जायें. जांच-पड़ताल के बाद पता चलेगा कि एकाउंट को फ्रिज क्यों किया गया. साथ ही ट्रांजक्शन का मामला कैसे शुरू हुआ. जांच-पडताल के बाद ही एकाउंट रेग्युलर होगा.धनबाद के संदीप कुमार पांडेय का सवाल :
मेरे ससुर की संपत्ति में मेरी पत्नी को कैसे हिस्सा मिलेगा. कौन सा कानूनी रास्ता है. जिसे आसानी से संपत्ति मिले ?अधिवक्ता की सलाह :
आपके ससुर को वसीयत बनानी होगी. जिसमें आपकी पत्नी का नाम होगा. वसीयत रजिस्ट्री कार्यालय में रजिस्ट्रार के सामने बनायी जा सकती है.कतरास (धनबाद) के शशि भूषण का सवाल :
मेरे पिता के हम दो संतान हैं. पिता का सबसे प्यारा बड़ा भाई है. पिता लगातार संपत्ति मेरे बड़े भाई को देते जा रहे हैं. घर मेरी माता जी के नाम है. क्या पिताजी बड़े भाई के नाम कर सकते हैं.अधिवक्ता की सलाह :
यदि घर माता जी के नाम है, तो पिता जी किसी भी स्थिति में नहीं बेच सकते हैं. यदि माता जी का देहांत हो जाता है, तो घर दोनों पुत्रों के बीच बंट जायेगा. पिता चाह कर भी बड़े भाई को नहीं दे सकते हैं.इन्होंने भी ली कानूनी सलाह :
गणेश कुमार गिरि, कृष्ण मुरारी पाठक, नीरज कुमार सिंह, आरएस तिवारी, अनिल कुमार यादव, आनंद कुमार केशरी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है