Bokaro News : नावाडीह के टेको महतो को नहीं मिल पायी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में पहचान

Bokaro News : आजादी के लिए महात्मा गांधी के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ हुए आंदोलन में भाग लेने नावाडीह प्रखंड के पिलपिलो निवासी स्व टेको महतो को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में पहचान नहीं मिल पायी.

By Prabhat Khabar News Desk | January 25, 2025 10:00 PM

बेरमो. आजादी के लिए महात्मा गांधी के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ हुए आंदोलन में भाग लेने नावाडीह प्रखंड के पिलपिलो निवासी स्व टेको महतो को स्वतंत्रता सेनानी की पहचान नहीं मिल पायी. भले ही वह आज इस दुनिया में नहीं है, किंतु उनका कृतित्व लोगों को याद है. उनके वंशजों ने कई ऐसे दस्तावेज सहेज कर रखे है, जो बताते हैं टेको महतो स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लेते थे. घर के एक बक्सा में सुरक्षित रखे कागजात वर्ष 2024 में मिले. इसके बाद उनके वंशज पहचान खोजने के लिए हर सरकारी दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं. बिहार सरकार से बतौर मुआवजा 25 हजार रुपया मिला था, लेकिन जानकारी के अभाव में पैसा लौट गया था.

स्व टेको महतो की बहू मोहनी देवी व पोता नारायण महतो ने बताया कि वर्ष 1930 में आजादी की लड़ाई की दौरान दो बार उन्हें डुमरी और बगोदर थाना और 1942 में तोपचांची थाना की पुलिस ने गिरफ्तार कर पुरूलिया जेल भेजा था. छह माह की सजा काट कर जेल से निकले थे. बिहार के डिप्टी रेवेन्यू मिनिस्टर राधा गोविंद बाबू ने तत्कालीन बिहार सरकार को एक पत्र लिखकर इन्हें आर्थिक सहयोग देने की बात कही थी.

अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए लोगों को करते थे जागरूक

स्वतंत्रता सेनानी टेको महतो 16 वर्ष की अल्प आयु में ही अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में शामिल हो गये थे. स्वतंत्रता सेनानी चुरामन महतो से मुलाकात के बाद कृष्ण बल्लभ सहाय के शिष्य बन गये थे. गांव-गांव जाकर खोरठा भाषा में गीत गाकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए लोगों को जागरूक करते थे. रामगढ़ में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में उन्होंने भाग लिया था, इसमें महात्मा गांधी आये थे.

कुपोषण के कारण हो गयी थी दो बेटों और दो बेटियों की मौत

पिलपिलो-कटहरडीह के किशुन महतो के घर जन्मे टेको महतो दो भाइयों में सबसे बड़े थे. आजादी के बाद मुफलिसी में जीवन व्यतीत कर रहे थे. उनके दो बेटों और दो बेटियों की मौत कुपोषण के कारण हो गयी थी. पत्नी गाय व बकरी चरा कर घर चलाती थी. स्व टेको महतो के बेटे लखन महतो व गनु महतो ने मुफलिसी भरी जिंदगी देखी.

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