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कोयला उद्योग में कार्यरत ठेका मजदूरों की स्थिति बदतर

फार्म बी व सी में नहीं बनती ठेका मजदूरों की हाजिरी, जमा नहीं होता है पीएफ

फार्म बी व सी में नहीं बनती ठेका मजदूरों की हाजिरी, जमा नहीं होता है पीएफ

राकेश वर्मा, बेरमो .

पूरे कोयला उद्योग में कार्यरत ठेका मजदूरों की स्थिति बद से बदतर है. चाहें उनके मजदूरी भुगतान का मामला हो या फिर अन्य सुविधा का. एक भी एग्रीमेंट को आज तक प्रबंधन ने सही रूप से लागू नहीं किया. ऐसे तो कोल इंडिया की सभी अनुषांगिक कंपनियों में कार्यरत ठेका मजदूर बदहाल हैं, लेकिन सीसीएल, बीसीसीएल व इसीएल में विभिन्न कोल ट्रांसपोर्टरों के अधीन कार्यरत ठेका मजदूरों की स्थिति तो बद से बदतर है. ठेका मजदूरों की हाजिरी फार्म बी व सी रजिस्टर में नहीं बनती. इनका वीटीसी व आइएमइ नहीं कराया जाता है, जो सरासर माइंस एक्ट का उल्लंघन है. ठेका मजदूरों का पीएफ भी जमा नहीं हो रहा है. उन्हें हाई पावर कमेटी की अनुशंसा का लाभ सही रूप से नहीं मिलता. ट्रांसपोर्टर कंपनी से सुविधा के नाम पर हर माह राशि ले लेते हैं. उक्त तीनों कंपनियों में जितनी भी कोल ट्रांसपोर्टिंग चल रही है, सभी में ठेका मजदूर कार्यरत हैं. पीट हेड से कोयला ले जाकर साइडिंग में गिराना माइनिंग एक्ट के अंदर ही आता है.

कोयला मंत्रालय ने गठित की चार सदस्यीय कमेटी :

गत 10 अप्रैल 2024 को कोयला मंत्रालय भारत सरकार ने एक ऑफिस मेमोरेडम जारी किया है, जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि प्राइवेट माइंस लेने वाले संवेदक तथा माइंस में कार्यरत ठेकेदार अपने अधीन कार्यरत ठेका मजदूरों की पीएफ राशि जमा नहीं कर रहे हैं. कंपनी व मजदूर का जो शेयर है, वो जमा हो रहा है या नहीं तथा श्रम कानूनों का पालन हो रहा है या नहीं तथा ठेका मजदूरों को हाई पावर कमेटी की अनुशंसा का लाभ मिल रहा है या नहीं? इसको लेकर कोयला मंत्रालय, भारत सरकार ने एक चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी में यूएस (सीएमपीएफ सेक्शन), एमओसी, असिस्टेंट कमिशनर ऑफ विजिलेंस डिपार्टमेंट सीएमपीएफओ, असिस्टेंट कमिशनर- रीजनल कमिशनर ऑफ द कंन्सर्ड रीजनल ऑफिस ऑफ सीएमपीएफओ तथा जीएम (पर्सनल-सीएमपीएफ) ऑफ द कंन्सर्ड सबसिडरी शामिल हैं. यह कमेटी कोल इंडिया के किसी भी कंपनी के प्रोजेक्ट में विजिट कर वहां कार्यरत ठेका मजदूरों के पीएफ राशि काटने की जानकारी लेंगे तथा इसके बाद रीजनल ऑफिस में जाकर पीएफ जमा होने का प्रोसेस तथा राशि जमा हो रही है या नहीं इसकी जानकारी लेंगे. यूएस (सीएमपीएफ सेक्शन), एमओसी इस कमेटी को लीड करेंगे और किस प्रोजेक्ट में विजिट करना है, यह तय करेंगे. एक अप्रैल 2013 को कोल इंडिया प्रबंधन ने जारी किया था आदेश : गत 23 नवंबर 2012 को कोयला उद्योग में कार्यरत ठेका मजदूरों से संबंधित मजदूरी निर्धारण को लागू कराने के लिए कोल इंडिया की सभी अनुषांगिक कंपनियों के सीएमडी की बैठक कोलकाता में कोल इंडिया के तत्कालीन चेयरमैन नरसिंहा राव की अध्यक्षता में हुई थी. इस मीटिंग में ठेका मजदूरों से संबंधित मजदूरी एवं अन्य सुविधाओं से संबंधित मामलों को लागू करने का निर्णय लिया गया. लिये गये निर्णय के आलोक में सभी कंपनियों के सीएमडी ने अपने-अपने कंपनियों में इसे लागू करने पर सहमति जतायी. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कोल इंडिया में जितने भी आउटसोर्सिंग से संबंधित निविदा आमंत्रित किये जायेंगे, उसमें कम से कम 464 रुपया अकुशल मजदूरों को भुगतान करने के लिए एक शर्त जोड़ा जायेगा. साथ ही समझौता के अन्य बिंदुओं को भी लागू करने का शर्त जोड़ा जायेगा. इस बात पर भी सहमति बनी कि जो पहले आउटसोर्सिंग की निविदा के तहत जहां काम चालू है और उत्पादन हो रहा है. वैसे निविदा में जो न्यूनतम मजदूरी का उल्लेख है और जो समझौता हुआ है, उसके न्यूनतम मजदूरी का डिफरेंस (अंतर) का भुगतान संबंधित कंपनियां करेगी. यह जनवरी 2013 से प्रभावित (देय) होगा. यदि कोई ठेकेदार या आउटसोर्सिंग कंपनियां उक्त राशि को देने में असमर्थ होंगे तो वह रकम कोल इंडिया की अनुषांगिक कंपनियां अग्रिम राशि देकर भुगतान कराया जायेगा. बाद में संबंधित ठेकेदार के बिल से उक्त राशि को काट लिया जायेगा. यह भी निर्णय लिया गया था कि भविष्य निधि कानून माइंस एक्ट एवं श्रम कानून के अन्य बिंदुओं को जो ठेकेदारी मजदूरों से संबंधित है, उसे लागू किया जायेगा. बैठक में यह भी निर्णय लिया गया था कि कोयला उद्योग में कार्यरत ठेका मजदूरों की पहचान के लिए भी सभी अनुषांगिक कंपनियां आवश्यक कदम उठाये. बैठक में लिये गये निर्णय से संबंधित मिनट्स को सर्कुलेट भी कर दिया गया. कोल इंडिया प्रबंधन ने एक अप्रैल 2013 को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया.

बैठक में क्या कहा था एमसीएल के सीएमडी ने :

ठेका मजदूरों से संबंधित इस अहम बैठक में एमसीएल के तत्कालीन एमडी एएन सहाय ने मजदूरी भुगतान का मामला उठाते हुए कहा था कि ठेका मजदूरों का वेज एग्रीमेंट को अगर नहीं लागू किया गया तो हमारी कंपनी में कोयला उत्पादन पर इसका गहरा असर पड़ेगा. मालूम हो कि एमसीएल में 80 फीसदी ठेका मजदूर कार्यरत हैं.

किन मजदूरों का मिलना है वेज एग्रीमेंट का लाभ :

ठेका मजदूरों के लिए हुए वेज एग्रीमेंट का लाभ वैसे ही मजदूरों को मिलने की बात कही गयी है जो कोयला उद्योग अंतर्गत कोयला खदानों के माइनिंग ऑपरेशन में लगे हुए हैं. इसमें मुख्य रूप से कोल प्रोडेक्शन, ओबी रिमूअल, ड्रेनिंग, ब्लास्टिंग, फेस से लेकर कोल स्टॉक तक कोयला ट्रांसपोर्टिंग में कार्यरत चालक व उपचालक सहित भूमिगत खदान अंतर्गत एयर क्रांसिंग, स्टॉपिंग, ब्लास्टिंग ड्रिलिंग (अदर देन सिविल जॉब) मुख्य रूप से शामिल है. माइंस एक्ट के सेक्शन 2 (एच) में इसको डिफाइन किया गया है.

कब हुआ था ठेका मजदूरों का वेज एग्रीमेंट :

कोयला उद्योग के विभिन्न अनुषांगिक कंपनियों में आउटसोर्स में लगे ठेका मजदूरों का वेज एग्रीमेंट गत 23 नवंबर 2012 को कोयला मंत्रालय भारत सरकार द्वारा ठेका मजदूरों के लिए वेज निर्धारण व सामाजिक सुरक्षा गांरटी के लिए गठित की गयी हाई पावर कमेटी की आठवीं बैठक में हुई थी. इसके बाद गत 28 जनवरी को कोलकाता में कोल इंडिया एपेक्स व कोल इंडिया सेफ्टी बोर्ड की बैठक में जब ट्रेड यूनियन नेताओं ने ठेका मजदूरों के वेज एग्रीमेंट को लागू करने का सवाल उठाया तो चेयरमैन नरसिंह राव ने कहा कि एग्रीमेंट एप्रूवल के लिए कोयला मंत्रालय भेजा गया है, लेकिन कोयला मंत्रालय ने वापस इसे कोल इंडिया प्रबंधन को लौटा दिया. फिर गत 13 फरवरी को कोल इंडिया बोर्ड की बैठक में चेयरमैन ने ठेका मजदूरों के मजदूरी भुगतान का एग्रीमेंट कर दिया. लेकिन पूरे कोल इंडिया में कहीं भी भुगतान शुरू नहीं हुआ. ठेका मजदूरों के वेज एग्रीमेंट को लागू करने के लिए गत 19 फरवरी 2013 को एटक ने कोल इंडिया में कार्यरत ठेका मजदूरों की हड़ताल करायी, लेकिन 18 फरवरी 2013 को चेयरमैन ने सभी कंपनियों को मजदूरी भुगतान का आदेश दिया, लेकिन ठेका मजदूरों का वेतन भुगतान के प्रारुप को लेकर कंपनी के अधिकारियों के समक्ष ठोस निर्णय नहीं लिये जाने के कारण भुगतान नहीं हो सका. अंतत: गत 12 मार्च 2013 को कोलकाता में संपन्न सीएमडी मीट में कोल इंडिया प्रबंधन ने मजदूरी भुगतान का आदेश जारी कर दिया.

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