24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ढोरी में हुई थी देश की दूसरी सबसे बड़ी खान दुर्घटना, 268 मजदूरों की हुई थी मौत

ढोरी में हुई थी देश की दूसरी सबसे बड़ी खान दुर्घटना, 268 मजदूरों की हुई थी मौत

राकेश वर्मा, बेरमो : देश की दूसरी सबसे बड़ी खान दुर्घटना बेरमो कोलफिल्ड (तत्कालीन हजारीबाग) की ढोरी कोलियरी में 27-28 मई 1965 की रात को हुई थी. रात लगभग पौने एक बजे भयानक विस्फोट हुआ था, जिसमें 268 मजदूरों और कर्मियों की मौत हो गयी थी. दुर्घटना के समय दूसरी पाली के मजदूर बाहर आ रहे थे और तीसरी पाली के मजदूर काम पर जा रहे थे. एकाएक भयानक विस्फोट हो गया और खदान के तीनों मुहानों से लावा फूट पड़ा. लावा दो-ढाई मील तक फैल गया. आकाश चिंगारियों से भर गया और इतनी जोरों की आवाज हुई कि लगा कान के परदे फट जायेंगे. खदान के भीतर काम करने वाले एक भी मजदूर बाहर नहीं आ सके थे. गिरिडीह के तत्कालीन एसपी डीएन सहाय उस वक्त करगली में ठहरे हुए थे. तुरंत दुर्घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े तथा चीफ इंस्पेक्टर ऑफ माइंस को खबर दी थी.

उस वक्त ढोरी कोलियरी के प्रधान खान निरीक्षक जीएस जब्बी थे. अगले दिन खदान से लाशों को निकालने का काम उनके नेतृत्व में शुरू किया गया. रेस्क्यू की 30 टीमें काम में लगी थी. हर टीम में पांच से छह लोग थे. कई लाशें ऊपर ही पड़ी हुई थीं. जो लाशें खदान के भीतर से निकाली गयी, वह क्षत-विक्षत थी. पहचान पाना तक मुश्किल हो गया था. एक इंकलाइन के मुहाने पर स्थित हाजिरी ऑफिस उड़ गया था. हाजिरी बाबू का क्षत-विक्षत शव 25 फीट दूर मिला था. दूसरी इंकलाइन में कम से कम दो सौ वर्ग फीट का एरिया धंस गया था और इंकलाइन का दरवाजा भी बंद हो गया था. अन्य दो इंकलाइनों की ऐसी ही हालत थी. लाशों को ढोने के लिए एनसीडीसी ने ट्रकें मुहैया करायी थी. विधायक बिंदेश्वरी दूबे की देखरेख में एसडीओ और अवर एसपी आदि ने लाशों को जलाने का काम किया. कहते हैं बिंदेश्वरी दूबे ने खुद अपने हाथों से कई लाशों को जलाया था. उनके साथ मजदूर नेता संतन सिंह भी थे. दुर्घटनास्थल पर रामनारायण शर्मा, विधायक व मंत्री एसदास गुप्ता, एनसीडीसी के एरिया जेनरल मैनेजर आदि पहुंचे थे.

बताया जाता है कि कोलियरी में करीब 20 से 25 दिनों की हड़ताल के समाप्त होने के बाद मजदूरों को काम पर भेज दिया गया था. इससे पहले खान का निरीक्षण खान मालिकों ने नहीं कराया था. इसका परिणाम हुआ कि भयानक विस्फोट हो गया. दुर्घटना के समय कोलियरी का प्रधान मैनेजर कोलियरी में नहीं था और सहायक मैनेजर द्वारा काम चलाया जा रहा था. कहते हैं कि दुर्घटना के दिन खानगी मालिक राजा बहादुर के छोटे भाई बसंत नारायण सिंह ढोरी में ही थे. मगर दुर्घटना के बाद वह घर से बाहर नहीं निकले. घायल मजदूरों के लिए कंपनी की ओर से कुछ भी नहीं किया गया था.

29 मई की सुबह बिहार के मुख्यमंत्री कृष्ण बल्लभ सहाय घटनास्थल पहुंचे और सुरक्षा में लगे कर्मचारियों, सरकारी अधिकारियों तथा मृतकों परिवार से भेंट की थी. सभी तरह की सहायता करने का आश्वासन दिया. पटना पहुंच कर उन्होंने एक लाख रुपया अनुदान भी भेजा था. 29 मई को केंद्रीय उप श्रम मंत्री आरके मालवीय भी केंद्रीय श्रम सचिव के साथ आये थे और हर इंकलाइन में जाकर लाशों को निकालने का काम देखा. शोक संतप्त परिवारों से भी भेंट कर सांत्वना दी और सरकार की ओर से सहायता का आश्वासन दिया. 30 मई को बिहार के सिंचाई और बिजली मंत्री महेश प्रसाद सिंह और राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के संगठन मंत्री एपी शर्मा ने दुर्घटना स्थल का निरीक्षण किया. 31 मई को बिहार के सहकारिता मंत्री हरिनाथ मिश्र घटनास्थल पहुंचे. उसी दिन केंद्रीय श्रम मंत्री डी संजीवैया भी पहुंचे.

जांच अदालत का किया गया था गठन

ढोरी खान दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए सरकार ने जांच अदालत का गठन किया था. जांच आदलत की बैठक और सुनवाई धनबाद में हुई. घटनास्थल का निरीक्षण की और स्थानीय लोगों के बयान भी दर्ज किया. मगर शेष सारी सुनवाई धनबाद में ही हुई. जांच के क्रम में खदान में गैस पायी गयी थी. जांच अदालत की रिपोर्ट में कहा कि दुर्घटना की जिम्मेवारी प्रबंधकों पर है. बीआई 10 खदान के 15वें दक्षिणी लेबुल में इतना मिथेन गैस जमा हो गया था कि गैस के विस्फोट का वातावरण तैयार हो गया था. दुर्घटना की रात एक आदमी खुली बत्ती लेकर उस लेबुल में चला गया. खुली बत्ती से गैस में विस्फोट हो गया और कोयले की धूल जमा रहने के कारण गैस के विस्फोट के साथ-साथ कोयले की धूल का भी विस्फोट हो गया.

ये हैं बड़ी खान दुर्घटनाएं

27 दिसंबर 1975 में बोकारो से सटे चासनाला की भूमिगत खदान में पानी भर जाने से 376 कोलकर्मी मारे गये थे.

वर्ष 1998 में बीसीसीएल के गजलीटांड़ स्थित भूमिगत खदान में अचानक पानी भर जाने से 65 कोलकर्मियों की मौत हुई थी.

वर्ष 1996 में इसीएल की महावीरा भूमिगत खदान में सैकड़ों कोयला मजदूर फंस गये थे. इसमें से दर्जनों मजदूरों की मौत हो गयी थी.

वर्ष 2007 में बीसीसीएल के भाटडीह की नगदा सेक्शन भूमिगत खदान में हुई दुर्घटना में 52 कर्मी काल कलवित हुए थे.

वर्ष 2010 में सीसीएल के भुरकुंडा कोलियरी की बांसगढ़ा भूमिगत खदान में हुई दुर्घटना में 14 कर्मी काल के गाल में समा गये थे.

वर्ष 2012 में इसीएल के अंजन हिल में हुई घटना में 12 अधिकारियों, कोलकर्मियों एवं ठेका मजदूरों की मौत हुई थी.

वर्ष 2013-14 में ढोरी एरिया के 4, 5, 6 इंकलाइन में अचानक पानी भर जाने से मैनेजर पीके सिंह व माइनिंग सरदार अजयकांत यादव की मौत हुई थी.

29 दिसंबर 2016 को इसीएल की राजमहल ललमटिया खुली खदान में 23 मजदूरों की जान गयी थी.

देश-दुनिया में था शोक

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें