बोकारो : आम तौर पर मार्च से लेकर जून का महीना बैंड पार्टी व इससे संबंधित व्यवसायियों के लिए सबसे अच्छा होता है. लेकिन, इस साल यह सीजन रेस्ट वाला रहा. कारण, कोरोना के कारण लॉकडाउन. स्थिति ऐसी हो गयी कि खुशी की धुन बजाने वाले कारीगर अब दिहाड़ी मजदूरी कर रहे हैं. सिर्फ कारीगर ही नहीं, बल्कि संचालक की स्थिति भी खराब हो रही है. बोकारो जिला में 56 बैंड पार्टी हैं, लॉकडाउन के कारण 1.25 करोड़ का नुकसान इन्हें हुआ है.
जिला में बैंड पार्टी के 980 सूचीबद्ध कारीगर हैं, जबकि 2590 हेल्पर की भूमिका में है. 15 नवंबर से 15 जुलाई के लिए कारीगर का अनुबंध किया जाता है. विभिन्न बैंड पार्टी वाले कारीगर की योग्यता के अनुसार आठ माह के लिए 50 हजार से 1.25 लाख रुपये तक एडवांस देते हैं. कारीगर के पास तो एडवांस का पैसा जमा है, लेकिन हेल्पर की स्थिति कोरोना काल में बिगड़ गयी है. हेल्पर मालिक के रहमोकरम पर ही निर्भर रहा. विवशता में हेल्पर व कुछ कारीगर को दिहाड़ी मजदूरी की ओर कदम रखना पड़ा.
हर बैंड को औसतन 15-20 लाख का नुकसान : बैंड वालों की माने तो चुकि अनुबंध नवंबर में होता है, इस कारण एडवांस भी उसी समय देना होता है. इस साल अनुबंध तो हुआ, लेकिन कोरोना के कारण काम नहीं हो पाया. इससे पूंजी ब्लॉक हो गयी. हर बैंड व्यवसायी को 15-20 लाख का नुकसान तो जरूर हुआ है. व्यवसायियों की माने तो स्थानीय कारीगर से अनुबंध की राशि अगले लगन में वसूला जा सकता है, लेकिन बाहरी कारीगर को दी गयी राशि शायद ही वापस होगी. सबसे ज्यादा एडवांस ट्रंप मास्टर व सिंगर को दी जाती है. उसके बाद वाद्य यंत्र बजाने वाले को एडवांस मिलता है.
सिर्फ तीन लगन शेष रहने पर दूर हुआ कंफ्यूजन : कोरोना के कारण शादी-विवाह कार्यक्रम में कई बंदिशे लगी. सिर्फ 50 लोगों को शामिल होने की बात कही गयी. इससे शादी-समारोह वाले घर में कंफ्यूजन की स्थिति आ गयी थी कि बैंड पार्टी को शामिल करना है या नहीं. इस कंफ्यूजन को दूर करने के लिए बोकारो जिला बैंड समिति 19 जून को जिला प्रशासन से मिली. प्रशासन की ओर से शर्तों के साथ सहमति मिली. लेकिन, यह काम तब हुआ जब इस सीजन का मात्र तीन लगन ही शेष रह गया.
बैंड पार्टी संचालकों ने कहा : दोहरी मार पड़ी
कमाई जीरो हो गया, लेकिन पूंजी पहले ही फंस गयी थी. साथ ही कारीगर व हेल्पर को बीच-बीच में पेमेंट भी करना पड़ा. इससे स्थिति यह हुई कि जमा पूंजी खत्म हो गयी. इसका कोई समाधान भी नहीं दिख रहा है.
सज्जाद हुसैन अंसारी, सेक्टर 09
हालत तो बदत्तर होते जा रही है. इस सीजन कमाई नहीं, सिर्फ पैसा खर्च हुआ है. मजदूरों
को हर संभव मदद दी गयी. लेकिन, जब खुद ही तंगी आ गयी हो, तो दूसरों को कितनी मदद कर पाना संभव है.
विजय कुमार, सेक्टर 08
post by : Pritish Sahay