विस्थापितों ने कारो खदान में उत्पादन कार्य किया ठप

विस्थापितों ने कारो खदान में उत्पादन कार्य किया ठप

By Prabhat Khabar News Desk | July 1, 2024 12:39 AM

फुसरो. कारो बस्ती के विस्थापितों ने नियोजन, मुआवजा व पुनर्वास की मांगों को लेकर सीसीएल बीएंडके प्रक्षेत्र अंतर्गत कारो खदान में उत्पादन कार्य रविवार से अनिश्चितकाल के लिए ठप कर दिया. विस्थापितों ने प्रबंधन की नीतियों का विरोध किया और कहा कि आरपार की लड़ाई लड़ेंगे. जानकारी पाकर बेरमो बीडीओ मुकेश कुमार व बेरमो थाना प्रभारी अशोक कुमार पहुंचे. परंतु बीएंडके महाप्रबंधक के नहीं पहुंचने के कारण आंदोलनकारियों से वार्ता नहीं हो सकी.

विस्थापित सोहनलाल मांझी ने कहा कि प्रबंधन की नीति सिर्फ कोयला उत्पादन करना है. विस्थापित अपने अधिकार के लिए दर-दर भटक रहे हैं. हर बार बैठक में प्रबंधन मिनट्स बनाता है, परंतु उस पर अमल नहीं होता है. 30 मार्च को बंदी के दौरान प्रबंधन द्वारा लिखित अपील के साथ आश्वासन दिया गया था कि विस्थापितों का लंबित नियोजन देने व आदर्श आचार संहिता के बाद ग्रामसभा कर वंशावली बनायी जायेगी. परंतु तीन माह बाद भी प्रबंधन द्वारा पहल नहीं की गयी है. प्रबंधन द्वारा अजय गंझू, संजय गंझू, मेघलाल गंझू ेके नियोजन का मामला को बेवजह लंबित रखा गया है.

हेमलाल महतो व संजय गंझू ने कहा कि प्रबंधन विस्थापितों को भ्रमित कर कोयला निकासी करना चाहता है. कारो के खुदी गंझू और मोदी गंझू के परिवार का वंशावली सत्यापन नहीं होने से उन्हें अधिकार नहीं मिल पा रहा है. साहिदा खातून, सोरामुनि देवी का घर तोड़ कर मुआवजा का भुगतान अभी तक नहीं किया गया. ने प्रबंधन मंदिर शिफ्टिंग के दौरान बेरोजगारों को लोडिंग प्वाइंट, चेक पोस्ट, लिफ्टिंग में काम देने का भरोसा दिलाया था. परंतु इस पर पहल नहीं की गयी. आउटसोर्सिंग कंपनी में कार्य करने के बाद भी मनोज तुरी, मुकेश हेंब्रम, गौतम महतो काे दो-दो माह का मानदेय भुगतान नहीं किया गया और उन्हें काम से भी बैठा दिया गया. जब तक अधिकार नहीं मिलेगा, विस्थापित नहीं हटने वाले हैं. विस्थापित आंदोलन स्थल में ही सामूहिक रूप से खिचड़ी बना कर खा रहे हैं. कारो परियोजना के मैनेजर जीएन सिंह ने आंदोलनकारियों को समझा कर आंदोलन वापस लेने का आग्रह किया. परंतु विस्थापित अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. मौके पर जीबू विश्वकर्मा, मेघलाल गंझू, अजय गंझू, कुलदीप गंझू, चैता गंझू, कुंवर मांझी, ममता देवी, गीता देवी, गुड़िया देवी, कामिनी देवी, सोरमुनि देवी, भूखली देवी, मीना देवी, फागुनी देवी, तारा देवी, सुनीता देवी, सोनी देवी, खगेश्वर रजक, लखन हांसदा, मिथिलेश गंझू आदि मौजूद थे.

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