गांधीनगर. विस्थापित संघर्ष मोर्चा के बैनर तले कारो, बैदकारो, चरकपनिया, बंदूकबेड़ा के विस्थापितों, रैयतों व ग्रामीणों की बैठक शनिवार को चरकपनिया गांव में मनोज हेंब्रम की अध्यक्षता में हुई. कारो माइंस का विस्तार कार्य चरकपनिया गांव से शुरू होने और सीएचपी निर्माण कार्य शुरू होने पर स्थानीय विस्थापितों, रैयतों व प्रभावित ग्रामीण को रोजगार देने में प्राथमिकता देने की मांग की गयी. वक्ताओं ने कहा कि ग्रामीण विकास विरोधी नहीं हैं, परंतु हक मिलना चाहिए, वरना खदान नहीं चलने देंगे. एचएमकेपी के प्रदेश महासचिव इंद्रदेव महतो ने कहा कि सीसीएल प्रबंधन यह सुनिश्चित करें कि यहां कार्य करने वाले कंपनियों में तय प्रावधानों के तहत 75 फीसदी रोजगार स्थानीय, विस्थापित रैयतों, प्रभावितों व ग्रामीणों को देना होगा. विस्थापित नेता बन्नू महतो ने कहा कि आने वाले समय में यह परियोजना बेरमो की सबसे बड़ी खदान बनेगी. ऐसे में प्रत्येक तीन माह में पीओ का स्थानांतरण होना संदेह उत्पन्न करता है. स्थाई पीओ का होना आवश्यक है. प्रबंधन स्थानीय विस्थापितों और रैयतों के हितों का ख्याल रखें और उन्हें सिविल कार्यों में भी प्राथमिकता दे. दो लाख रुपये से कम के ठेका कार्यों को पूर्व की भांति ऑफलाइन किया जाये. मौके पर सोनाराम मांझी, कैलाश महतो, लखेदर मरांडी, राजू महतो, मदन सोरेन, मनोज सोरेन, मन्नू मरांडी, सुनील मुर्मू, कर्मा किस्कू, सुरेश टुडू ,सुखदेव मरांडी, ललित मांझी, कुंवर मांझी, लोचन मांझी, पतिया मांझी, सुनील सोरेन, पति महतो, प्रेमचंद महतो, मुकेश सोरेन, प्रेमचंद महतो, अजय मरांडी, किट्टू महतो, कारु मुर्मू, रवींद्र हेमरम, किशोर टुडू ,राजेंद्र हेंब्रम, सुरेंद्र महतो सहित कई ग्रामीण उपस्थित थे.
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