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संगठन की कमजोरी का दिखा असर, भाजपा निकली आगे, कांग्रेस पिछड़ी

विधानसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस को मिला था 99020, भाजपा को 112333 मत, लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को मिले 167044 मत, तो कांग्रेस को 102141

सीपी सिंह, बोकारो, धनबाद लोकसभा चुनाव का परिणाम मंगलवार को निकला. इसमें धनबाद से भाजपा प्रत्याशी ढुलू महतो ने कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह को मात दी. भाजपा की जीत में बोकारो विधानसभा ने अहम भूमिका निभायी. इस विस क्षेत्र से भाजपा को 64903 मतों की लीड मिली. इस लीड ने भाजपा को जहां मजबूती दी, वहीं कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब भी रहा, क्योंकि पिछले विधान सभा चुनाव के मुकाबले यहां भाजपा के वोट बैंक में जहां मजबूती आयी, वहीं कांग्रेस की स्थिति अपेक्षाकृत कम सुधरी. मेहनत के हिसाब से देखें तो कहीं से कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह इसमें पीछे नहीं दिखीं. कम समय में ही उन्होंने अपनी मेहनत के बल बोकारो विधान सभा क्षेत्र में भी अपनी अलग पहचान बनायी. सभा और दौरा के हिसाब से देखें, तो वह कहीं से भी भाजपा प्रत्याशी ढुलू महतो से पीछे नहीं रहीं, पर संगठन की कमजोरी प्रत्याशी के मेहनत पर भारी पड़ी और उन्हें अपेक्षाकृत वो लाभ नहीं मिल सका, जो भाजपा को मिला. सनद रहे वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां 99020 वोट मिले थे, जबकि भाजपा को 112333 वोट. इस परिणाम के आधार पर कांग्रेस खुद को स्थानीय प्रत्याशी मान लोकसभा चुनाव 2024 में बोकारो को मजबूत गढ़ मान रही थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. भाजपा और मजबूत हुई, उसे 54711 वोट अधिक मिले, तो कांग्रेस को 3121 वोटों की मामूली सी बढ़त हुई.

भाजपा की मेहनत रंग लायी, कांग्रेस आश्वस्त रही

जानकारों के अनुसार 2019 के विधानसभा चुनाव में बोकारो विधान सभा क्षेत्र से बीजेपी को मात्र 12313 वोट की लीड मिली थी. इस कम लीड को भाजपा ने चैलेंज के रूप में लिया. इसके बाद भाजपा ने योजनाबद्ध तरीके से यहां खुद को मजबूत किया. कांग्रेस नेत्री रही समरेश सिंह की पुत्रवधु डॉ परिंदा सिंह को भाजपा में शामिल कराया गया, तो चास से मनोज राय भाजपा का महत्वपूर्ण हिस्सा बने. इन लोगों ने भाजपा को मजबूती दी. वहीं स्थानीय विधायक सह मुख्य सचेतक विरंची नारायण की विधान सभा क्षेत्र में मजबूत पकड़ ने भाजपा के गढ़ में सेंधमारी नहीं होने दी और नतीजा तमाम विरोध के बाद भी भाजपा के पक्ष में आया.

टारगेट कर किया गया काम

राजनीतिक जानकारों की माने तो भाजपा ने बोकारो विस क्षेत्र में अगड़ी व पिछड़ी जाति के वोटरों को अलग-अलग तरीके से भाजपा उम्मीदवार से जोड़ा. वहीं, कांग्रेस की रणनीति में कमी भारी पड़ गया.

संगठन की ताकत काम आयी

बोकारो विस में भाजपा ने संगठन की ताकत दिखायी. बूथ से लेकर मंडल व विधानसभा स्तर पर संगठन मजबूती से काम करते दिखा, वहीं सांगठनिक रूप से कांग्रेस कमजोर रही. मतदान के दिन कई बूथ पर कांग्रेस का कार्यकर्ता नहीं दिखा.

अब भाजपा व कांग्रेस में विभीषण की चर्चा

भाजपा ने बोकारो विधानसभा में भले ही 67 हजार से अधिक का लीड लिया है, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले यह लगभग 40 हजार कम है. वहीं कांग्रेस को अनुमान से कम वोट मिले हैं. चर्चा है कि दोनों दल में भीतरघात हुआ है. कुछ माह बाद प्रदेश में विधानसभा का चुनाव भी होना है, ऐसे में दोनों दल खुद विभीषण की तलाश में लग गये हैं.

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