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बीएसएल-सेल के सेवारत व रिटायर्ड कर्मियों पेंशन योजना की उम्मीदें अब सुप्रीम कोर्ट के स्पेशल बेंच पर टिकी

बीएसएल-सेल के सेवारत व रिटायर्ड कर्मियों पेंशन योजना की उम्मीदें अब सुप्रीम कोर्ट के स्पेशल बेंच पर टिकी हुई हैं. सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर रिट पिटीशन डाला हुआ है. इस रिट में कुल 63,000 पिटीशनर हैं. इन पर सुनवाई दो से चार अगस्त तक एक साथ होगी.

सुनील तिवारी, बोकारो

Bokaro SAIL BSL News: सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन WP(C) 1134 of 2018, जिसमें फेडरेशन ऑफ रिटायर्ड सेल एम्प्लाइज-फोर्स के चेयरमेन डॉ. वीएन शर्मा लीड पिटीशनर है. और इस रिट में कुल 63,000 पिटीशनर हैं. इसके अतिरिक्त और 68 रिट की सुनवाई दो से चार अगस्त तक एक साथ होगी. इसके लिए स्पेशल बेंच का गठन मुख्य न्यायाधीश ने कर दी है. सभी संबंद्ध पक्षों से इस तीन दिन में बहस पूर्ण करने को कहा गया है. मूल रिट 189 एज का है. अब बीएसएल सहित सेल के लाखों सेवारत व रिटायर्ड कर्मियों की उम्मीदें व टकटकी सुप्रीम कोर्ट के स्पेशल बेच पर टिकी हुई है. यह देश के लाखों कर्मियों के लिए आशा की एक किरण की तरह है. लोगों में इसके जल्द निर्णय होने का बेसब्री से इंतजार है. फोर्स इसके लिये लंबे अरसे से प्रयासरत है.

रिट में की गयी है 31.5.2017 को जारी सर्कुलर को रद्द करने की मांग

फोर्स के महामंत्री राम आगर सिंह ने ”प्रभात खबर” को बताया : रिट में कई तरह का प्रे किया गया है. जैसे, GSR 609 (E) को रद्द करने, जिसमें सेवारत या सेवानिवृत दोनों तरह के कर्मचारियों को 1.9.2014 से 15000 से ऊपर वेतन पाने को वास्तिक वेतन के 8.33% मालिक के अंशदान को पेंशन फंड में भेजने पर रोक लगाती है. इसमें एक अन्य संशोधन को रद्द करने की अपील की गयी है. जिसके द्वारा पहले संसद से पास कानून के अनुसार पिछले 12 माह के औसत वेतन की जगह 60 माह की गणना करने का प्रावधान किया है. जो अभी लागू है. 31.5.2017 को जारी सर्कुलर को रद्द करने की मांग है. जिसके द्वारा एक्सम्पेटेड ट्रस्ट या प्रतिष्ठानों पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश, जो आरसी गुप्ता केस में तहन जजों के पीठ ने 2016 में दिया था, पर रोक लगा दी गयी है.

कोर्ट के आदेश को एक तय समय सीमा के अन्दर लागू करने की मांग

श्री सिंह ने बताया : रिट में 23.3.2017 को ईपीएफओ द्वारा जारी आदेश को बहाल रखने की गुजारिश की गयी है. जो भारत सरकार के द्वारा स्वीकृत की गयी थी और बिना सरकार के आदेश के इसपर रोक लगाना निहायत ही गैर कानूनी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप जब वास्तिक वेतन पर पेंशन के लिए आवेदन करने वाले को अपने अंशदान वाली वास्तिक रकम के साथ-साथ उसपर समय-समय पर मिलने ब्याज की रकम देनी है. तब पेंशन में मिलने वाली रकम पर भी ब्याज दिलाने की अपील इस रिट में की गयी है. इसमें पेंशन मद में मिलने वाली रकम को कर्मचारियों द्वारा जमा की जाने वाली रकम में एडजस्ट कर, जो बाकी रकम बचे उसे हीं भुगतान करने का आदेश दिया जाय. इस कोर्ट के आदेश को एक तय समय सीमा के अन्दर लागू करने का आदेश निर्गत किया जाय. क्योंकि अधिकांश लोग 70 की उम्र से अधिक के हो चुके हैं. अब कुछ ही समय तक इसका लाभ ले सकेंगे.

क्या कहते हैं फेडरेशन के अधिकारी

भारत सरकार सुप्रीम कोर्ट में सभी हथकंडे अख्तियार कर वास्तविक वेतन पर पेंशन को लागू होने से रोकने का हर संभव प्रयत्न कर रही है. लेकिन कानूनी रूप से कर्मचारियों का पक्ष इतना मजबूत है कि सुप्रीम कोर्ट में सरकारी तिकड़म को नाकाम किया जा सकेगा. इसके लिए दर्जनों दस्तावेज, जो करीब 500 से ऊपर पन्ने में है और आरटीई के माध्यम से जमा किया गया है. जो सरकारी पक्ष से निबटने के लिए काफी है.

– राम आगर सिंह, महामंत्री – फेडरेशन ऑफ रिटायर्ड सेल एम्प्लाइज-फोर्स

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