बेरमो. बेरमो विस क्षेत्र में भाजपा, कांग्रेस व जेएलकेएम के बीच त्रिकोणीय संघर्ष में जनता यह तय नहीं कर पा रही है कि आखिर जीत का सेहरा, किसके सिर सजेगा. राजनीतिक विरासत रहेगी या एक नया अध्याय शुरू होगा. हालांकि सभी तीनों प्रमुख प्रत्याशी इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस के कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह, एनडीए की ओर से भाजपा के रवींद्र कुमार पांडेय तथा जेएलकेएम के जयराम महतो और उनके समर्थक अपनी-अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं.
मतगणना के एक दिन पूर्व कुमार जयमंगल देवघर बाबाधाम पूजा के लिए निकले तो रवींद्र कुमार पांडेय दिन भर घर पर रहे. कांग्रेस प्रत्याशी की ओर से बोकारो काउंटिग हॉल में जाने के लिए 20 टेबुल के अनुसार 20 काउंटिंग एजेंट के अलावा एक आरओ तथा आठ पोस्टल बैलेट यानि कुल 29 लोग शुक्रवार की देर शाम बोकारो के लिए रवाना हुए. भाजपा प्रत्याशी रवींद्र कुमार पांडेय की ओर से भी 20 टेबुल के लिए 20 काउंटिंग एजेंट के अलावा एक आरओ तथा आठ पोस्टल बैलेट यानि कुल 29 लोग शुक्रवार की देर शाम बोकारो के लिए रवाना हुए. शनिवार सुबह से ही बेरमो विस क्षेत्र के लोग विभिन्न माध्यमों से चुनाव परिणाम जानने के लिए उत्सुक रहेंगे. कोई मोबाइल पर लगा रहेगा, तो कोई टीवी से चिपके रहेगा. सुबह मतगणना शुरु होने के बाद दोपहर 12 बजे तक जैसे-जैसे रुझान जिन प्रत्याशी के पक्ष में आना शुरू हो जायेगा, उनके पक्ष में बेरमो से समर्थकों का रैला दोपहिया व चारपहिया वाहनों से बोकारो के लिए कूच करेगा. जीत के बाद समर्थकों का जुलूस बोकारो से बेरमो तक निकलेगा.अब तक 11 बार कांग्रेस की झोली में गयी है सीट : बेरमो विधानसभा सीट पर 1957 से लेकर 2020 के उप चुनाव तक सर्वाधिक 11 दफा कांग्रेस की जीत हुई है. इसमें चार बार पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे, छह बार पूर्व मंत्री व इंटक नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह तथा एक बार राजेंद्र सिंह के पुत्र कुमार जयमंगल ने चुनाव जीता है. भाजपा ने तीन दफा इस सीट पर कब्जा जमाया है.
एक बार मजदूर नेता व पूर्व सांसद रामदास सिंह ने तथा दो बार योगेश्वर महतो बाटुल ने चुनाव जीता है. एक बार जनता पार्टी के टिकट पर मजदूर नेता मिथिलेश सिन्हा ने इस सीट को अपने नाम किया था. इसमें एकमात्र योगेश्वर महतो बाटुल को छोड़कर शेष सभी विधायकों का कार्य क्षेत्र मूलत: बेरमो कोयलांचल ही रहा. 2005 के बाद से राजनीतिक गणित बदला : वर्ष 1957 से वर्ष 2000 तक बेरमो विस क्षेत्र में लोकल प्रत्याशियों के पक्ष में बहुत बड़ा समर्थन का उभार नहीं दिखता था. वर्ष 2005 के चुनाव में भाजपा ने पहली बार स्थानीय नेता के रूप में योगेश्वर महतो बाटूल को प्रत्याशी बनाया तो उनके पक्ष में लोकल वोटरों का समर्थन बढ़ा. यह सिलसिला 2020 के उप चुनाव तक देखने को मिला. इस बार लोकल नेता के रूप में जेएलकेएम नेता जयराम महतो की जबरदस्त इंट्री बेरमो विधानसभा सीट में हुई.झामुमो लगायेगा छक्का या नया चेहरा बनेगा विधायक
नावाडीह. डुमरी विधानसभा क्षेत्र के दो लाख 24 हजार मतदाता 20 नवंबर को इवीएम का बटन दबाकर अपना फैसला दे चुके हैं. झामुमो की बेबी देवी, आजसू की यशोदा देवी जेएलकेएम के जयराम महतो सहित मौलाना अब्दुल मोबिन रिजवी, रकीब आलम, मोहनलाल साव, बैजनाथ महतो, शिवशंकर महतो, विजय महतो, रोशनलाल तुरी, हरि प्रसाद महतो व मनसूर अंसारी की किस्मत इवीएम में बंद है.
किसके सिर ताज सजेगा, इसका फैसला शनिवार को गिरिडीह बाजार समिति में मतगणना के बाद होगा. यदि बेबी देवी जीतीं तो लगातार दूसरी बार विधानसभा पहुंचेंगी और झामुमो लगातार छठी जीत दर्ज करेगा. इससे पूर्व 2004, 2009, 2014 व 2019 के चुनाव में झामुमो के जगरनाथ महतो तथा वर्ष 2023 के उप चुनाव में झामुमो की बेबी देवी जीत हासिल कर चुके हैं. यदि यशोदा देवी या जयराम महतो जीत दर्ज करते हैं तो ना सिर्फ झामुमो का किला ध्वस्त होगा, बल्कि पहली बार विधानसभा चुनाव लड़कर जीत हासिल करेंगे.गोमिया में 16 प्रत्याशी हैं मैदान में
ललपनिया. गोमिया विधानसभा में 16 प्रत्याशी मैदान में हैं. लोगों का कहना है कि मुख्य मुकाबला तीन पार्टियों के बीच है. इसमें एनडीए के डॉ लंबोदर महतो, इंडिया गठबंधन के योगेंद्र प्रसाद और जेएलकेएम की पूजा कुमारी हैं. पूर्व विधायक माधवलाल सिंह के पुत्र प्रकाश लाल सिंह भी चौथा कोण बनाने के प्रयास में लगे हैं. सबकी नजर जेएलकेएम पर है. विभिन्न दलों के कार्यकर्ता अपने-अपने प्रत्याशी की जीत का दावा कर रहे हैं. चितरंजन साव, इफ्तेखार महमूद, इसराफिल अंसारी भी मैदान में हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है