राकेश वर्मा, बेरमो :सीसीएल ढोरी एरिया में वर्षों से बंद पिछरी माइंस को फिर से खोलने के लिए प्रबंधकीय कवायद तेज तो होती है, लेकिन माइंस को चालू करने में अभी वक्त लगेगा. इस माइंस को खोलने के लिए सीसीएल को वर्ष 2015 से 2018 तक तीन साल का इसी (इनवायरमेंटल क्लीयरेंस) मिला था, लेकिन समय सीमा के अंदर मांइस चालू नहीं हो पायी. अब नया इसी लेना होगा. इसके अलावा जमीन सत्यापन के बाद विस्थापितों को आरआर पॉलिसी के तहत दो एकड़ जमीन के बदले एक नियोजन के अलावा प्रति एकड़ जमीन पर साढ़े नौ लाख रुपया मुआवजा देना होगा. नौकरी नहीं लेने वालों को जमीन के वर्तमान बाजार दर से चार गुना मुआवजा के अलावा इम्यूनिटी स्कीम के तहत जब तक खदान संचालित होगी, तब तक प्रति माह एक निश्चित रकम दी जायेगी.
दामोदर नदी से सटी इस माइंस में भविष्य में कोई समस्या नहीं हो, इसके लिए नदी किनारे बनाये गये बांध की साइंटिफिक स्टडी करायी जायेगी. इसके लिए सीसीएल की ओर से आइआइटी गुवाहाटी, आइआइटी सूरतकल तथा आइआइटी जयपुर से काफी पहले ब्यौरा मंगाया गया है. इसमें से चयनित संस्थान को माइंस बांध का साइंटिफिक स्टडी कर रिपोर्ट सौंपना था. मालूम हो कि बंद पिछरी खदान खोलने के लिए सरकार ने कुल 458 एकड़ जमीन अधिग्रहण कर सीसीएल को सौंपी थी. वर्ष 2015 में 344.7 एकड़ तथा 2018 में 79 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गयी. यहां 34 एकड़ जमीन कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के समय सीसीएल ढोरी एरिया को मिली थी. पूरी जमीन में 300 एकड़ रैयती तथा 133.2 एकड़ जमीन जीएमजेजे है, जो फोरेस्ट के ही दायरे में आती है.खदान में है 19 मिलियन टन कोयला
प्रबंधन के अनुसार पिछरी माइंस में 19 मिलियन टन कोयला है. 16 वर्षों तक सालाना 1.5 मिलियन टन कोयला का उत्पादन किया जा सकता है. मालूम हो कि विस्थापित रैयतों और प्रबंधन के बीच चल रहा विवाद इस माइंस के खुलने में बाधक बना हुआ है. रैयतों की जमीन के सत्यापन के लिए डेढ़ दर्जन से ज्यादा बार गांव में कैंप लगाया गया. इसके अलावा पिछरी में प्रशासन द्वारा ग्राम सभा भी की गयी, एक प्रबंधकीय टीम भी बनायी थी. इसमें इ-7 बैंक के एक सीनियर मैनेजर, एक सर्वेयर, एक चीफ मैनेजर आदि शामिल थे. जमीन सत्यापन के लिए हायरिंग पर दो अमीन को प्रशासन के सहयोग से रखा गया. जमीन सत्यापन के लिए कागजात की तलाश के लिए प्रबंधन ने पटना के गुलजारबाग तथा हजारीबाग भी अपने अधिकारी को भेज कर पुराने खतियान को खंगाला. वर्ष 2018 में पिछरी के दुगराकुल्ली के 20 मकानों तथा जामटांड़ के 130 मकानों व जमीन की मापी क्षेत्रीय प्रबंधन ने शुरू करायी.455 एकड़ में से 98.4 एकड़ जमीन प्रबंधन ने की थी चिह्नित
प्रबंधन के अनुसार पिछरी माइंस में कुल जमीन 455 एकड़ है, जिसमें 300 एकड़ रैयती तथा शेष जमीन जीएम लैंड के अलावा जेजे (जंगल-झाड़) लैंड है. 455 एकड़ में से 98.4 एकड़ जमीन प्रबंधन ने एक-डेढ़ साल पहले चिह्नित की थी, जो हिडरेंस फ्री है. इसका मास्टर प्लान सीएमपीडीआइ ने बनाया है. क्योंकि इनवायरमेंट क्लीयरेंस लेने के लिए माइनिंग प्लान जरूरी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है