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आनंदनगर में तीन दिवसीय आनंद पूर्णिमा धर्म महासम्मेलन संपन्न

आनंदनगर में तीन दिवसीय आनंद पूर्णिमा धर्म महासम्मेलन संपन्न

बोकारो़ आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से आनंदनगर में आयोजित तीन दिवसीय आनंद पूर्णिमा धर्म महासम्मेलन का समापन रविवार को हुआ. कार्यक्रम की शुरुआत प्रभात संगीत गायन, बाबा नाम केवलम…अखंड कीर्तन और सामूहिक ध्यान से हुई. मार्ग गुरु प्रतिनिधि आचार्य विकासानंद अवधूत ने श्री श्री आनंदमूर्तिजी के दर्शन भक्ति के बारे में वक्तव्य रखा. कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि भाग्य के कारण ही जीवन में बड़ी उपलब्धि मिलती है. कुछ कहेंगे अचानक हो गया. लेकिन, सब पूर्व संस्कारों का परिणाम है. मनुष्य को इसका पता नहीं होता है और वह इसी को भाग्य मान लेता है. मनुष्य दुनिया में परमपुरुष को पाने के लिए आया है. लेकिन, इस यात्रा में जीव और परमपुरुष के बीच बाधा डालने वाली शक्ति है माया. लेकिन सभी को याद रखना चाहिए कि उनका ध्येय एकमात्र परमपुरुष हैं. उनके प्रति भक्ति ही सबसे बड़ा उद्देश्य है. संसार की सभी वस्तुएं नश्वर हैं, यहां तक कि मानसिक शक्ति भी.

परमपुरुष से कुछ मांगना हो तो पराभक्ति मांगे : आचार्य ने कहा कि एक बड़ा विद्वान है, कल पागल हो गया तो उसे लोग विद्वान नहीं, पागल कहेंगे. लेकिन, भक्ति एक स्थायी भाव है. यही मानसिक शक्ति भी देती है. भक्ति ही अंत तक साथ रहेगी. यही सही मित्र है. बचपन से ही भक्ति की शिक्षा दी जानी चाहिए. विद्या-बुद्धि सब धरती पर ही रह जायेगी. साथ चलेगी सिर्फ भक्ति. यदि कुछ मांगना हो तो उस पुरमपुरुष से पराभक्ति मांगे. मौके पर आनंद मार्ग प्रचारक संघ की सांस्कृतिक शाखा रेनासा आर्टिस्टस एंड राइटर्स एसोसिएशन रावा की ओर से प्रभात संगीत का गायन और प्रभात संगीत पर आधारित नृत्य नाटिका प्रणाम तुम्हें सदाशिव… का मंचन किया गया.

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