कोयला उद्योग में दो जुलाई से तीन दिनी राष्ट्रव्यापी हड़ताल
मान्यता प्राप्त मजदूर संगठन एटक, इंटक, बीएमएस, एचएमएस और सीटू ने पांच सूत्री मांगों को लेकर दो से चार जुलाई तक तीन दिवसीय कोयला उद्योग में हड़ताल की घोषणा की है. यह निर्णय रविवार को पांचों यूनियन के वरीय नेताओं की हुई ऑनलाइन वार्ता के बाद हुआ
बेरमो : मान्यता प्राप्त मजदूर संगठन एटक, इंटक, बीएमएस, एचएमएस और सीटू ने पांच सूत्री मांगों को लेकर दो से चार जुलाई तक तीन दिवसीय कोयला उद्योग में हड़ताल की घोषणा की है. यह निर्णय रविवार को पांचों यूनियन के वरीय नेताओं की हुई ऑनलाइन वार्ता के बाद हुआ. 18 जून को कोल इंडिया की सभी अनुषांगिक कंपनियों के एरिया व हेडक्वार्टर के सामने विरोध-प्रदर्शन करते हुए हड़ताल की नोटिस दी जायेगी. वार्ता के बाद को एक पत्र लिख कर काॅमर्शियल माइनिंग के तहत 18 जून को होने वाले कोयला खदानों के ऑक्शन पर रोक लगाने की मांग की.
यूनियनों की पांच सूत्री मांगों में कोयला उद्योग का निजीकरण व कॉमर्शियल माइनिंग बंद करने, सीएमपीडीआइ को कोल इंडिया से अलग नहीं करने, मेडिकल अनफिट 9:4:0 को लागू करने तथा ठेका मजदूरों के लिए गठित हाइ पावर कमेटी की अनुशंसाओं को लागू करने की बात शामिल है.
ऑनलाइन वार्ता में एटक के रमेंद्र कुमार व लखनलाल महतो, बीएमएस के डॉ बीके राय, एचएमएस के नाथुलाल पांडेय व राजेश कुमार सिंह, सीटू के डीडी रामानंदन तथा इंटक से एसक्यू जामा व कुमार जयमंगल सिंह शामिल हुए. मालूम हो कि 11 जून को केंद्र सरकार कॉमर्शियल माइनिंग के तहत करीब 50 कोल ब्लॉक का ऑक्शन करने जा रही थी, लेकिन इसे स्थगित करते हुए अब कोल ब्लॉक के ऑक्शन की अगली तिथि 18 जून निर्धारित है.
10-11 जून को मजदूर संगठनों ने मनाया था विरोध दिवस : कॉमर्शियल माइनिंग के खिलाफ 10-11 जून को भी मजदूर संगठनों ने पूरे कोल इंडिया में विरोध दिवस मनाया था. 10 जून को सभी एरिया जीएम कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञौपन सौंपा गया था. 11 जून को कोलकर्मियों ने काला बिल्ला लगा कर काम किया था. मजदूर संगठनों ने सरकार का पुतला फूंका था.
24 सितंबर 2019 को हुई थी ऐतिहासिक हड़ताल : माइनिंग क्षेत्र में सौ फीसदी विदेशी पूंजी निवेश (एफडीआइ) को मंजूरी दिये जाने के विरोध में कोयला उद्योग में 24 सितंबर 2019 को मजदूरों ने ऐतिहासिक हड़ताल की थी. कॉमर्शियल माइनिंग के खिलाफ वर्ष 2015 में 6-10 जनवरी तक कोयला उद्योग में कार्यरत कोल फेडरेशनों ने पांच दिवसीय हड़ताल की घोषणा की थी.
लेकिन, हड़ताल के दूसरे दिन सात जनवरी को तत्कालीन कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने मजदूर संगठनों से वार्ता की तथा कॉमर्शियल माइनिंग नहीं किये जाने की बात कही थी. इसके बाद यूनियनों ने हड़ताल वापस ले लिया था. बाद में वर्ष 2015 में राष्ट्रीयकरण कानून में संशोधन कर कॉमर्शियल माइनिंग के रास्ते खोलते हुए कोल ब्लॉक का आवंटन शुरू कर दिया गया. इसी तरह कोलकर्मियों के सीएमपीएफ का इपीएफ में मर्जर के सवाल पर मजदूर संगठनों ने वर्ष 2016 में कोल इंडिया में तीन दिन की हड़ताल की नोटिस दी थी. लेकिन सरकार से वार्ता के बाद हड़ताल वापस ले ली गयी थी.
Posted By : Pritish Sahay