BOKARO NEWS : पिता ने शफीक खान को मजदूरों का सिपाही बनने की दिखायी थी राह

BOKARO NEWS : पिता ने शफीक खान को मजदूरों का सिपाही बनने की दिखायी थी राह

By Prabhat Khabar News Desk | October 21, 2024 11:55 PM
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बेरमो. बेरमो कोयलांचल के यूनियन नेता स्व शफीक खान सादगी व ईमानदारी के प्रतिमूर्ति थे. 50 के दशक में बिहार के गया जिले में रिक्शा यूनियन की स्थापना से लेकर ट्रेड यूनियन की राजनीति में शिखर तक पहुंचे. कोयलांचल में श्रमिक राजनीति को एक नया आयाम दिया. एक साधारण कृषक परिवार में जन्मे शफीक खान के पिता कैफू खान अंग्रेजी हुकूमत के सिपाही थे. पिता ने ही उन्हें मजदूरों का सिपाही बनने की राह दिखायी थी. वर्ष 1950 में गया कॉलेज में दाखिला लेने के बाद इनकी मित्रता मसूद मल्लिक, रविशंकर और ब्रह्मानंद जैसे प्रगतिशील विचारों वाले छात्र नेताओं से हुई. बाद में छात्र संगठन एआइएसएफ में शामिल हो गये. वर्ष 1951 में उन्हें भाकपा का सदस्य बनाया गया. इनकी इच्छा वकील बनने की थी. लेकिन जल्द ही उनकी पहचान रिक्शा मजदूरों के नेता के रूप में गया शहर में हो गयी. वर्ष 1953 में उन्हें कोयला मजदूरों के बीच काम करने के लिए गिरिडीह भेजा गया. यहां इनकी मुलाकात पूर्व केंद्रीय मंत्री चतुरानन मिश्र से हुई. वर्ष 1954 में वह गिरिडीह से बेरमो आ गये. कोल वर्कर्स यूनियन के संस्थापक सदस्यों में से एक अलीजान मियां ने उन्हें गिरिडीह से बेरमो पहुंचाया था. यहां चार नंबर में स्वतंत्र रूप से कोयला मजदूरों के बीच काम करने लगे. जब वे यहां आये तो उन्हें रहने के लिए दर्शन गोप, तिलक तेली, प्रेम सरदार, अंजोरी सरदार, शंकर आदि अपने मजदूर धौड़े में ले आये. शफीक खान जब मजदूर सभा को संबोधित करते थे तो संडेबाजार के बदरु मियां का टमटम तथा गिरिडीह से भोपू मंगाया जाता था. 1956 में बेरमो सीम में आम सभा के दौरान लठैतों ने उन पर हमला किया था. तब मजदूरों ने जवाबी प्रतिक्रिया कर इन्हें लठैतों के हमले के बाद भी सुरक्षित निकाला था. इसी तरह 60 के दशक में कथारा में एटक व भाकपा की सभा हो रही थी. मुख्य वक्ता केंद्रीय मंत्री चतुरानन मिश्र थे. कहते हैं सभा के बीच में ही कांग्रेसियों ने हमला कर दिया. शफीक खान पार्टी का झंडा लगा हुआ डंडा लेकर हमलावरों पर टूट पड़े. शफीक खान जिस वक्त बेरमो में एटक व भाकपा की राजनीति में सक्रिय थे, चार नंबर के इलाके में इंटक व सोशलिस्ट आदि संगठनों का वर्चस्व हुआ करता था.

धनबाद जेल में एके राय से हुई थी मुलाकात

शफीक खान की पहली जेलयात्रा धनबाद के सुदामडीह कोलियरी के श्रमिकों के आंदोलन के नेतृत्व के क्रम में 60 के दशक में हुई. जेल में ही इनकी मित्रता मासस नेता एके राय से हुई. वर्ष 1971 में धनबाद में कोल वर्कर्स यूनियन के हुए सम्मेलन में एटक ने नीतिगत फैसला के तहत कोल वर्कर्स यूनियन का नाम बदलकर यूनाइटेड कोल वर्कर्स यूनियन रखा. बेरमो आने के बाद स्व खान बिंदेश्वरी सिंह व महेंद्र कुमार भारती से मिले. इसके अलावा उनकी दोस्ती दंदू तेली, गणेश मरार, हनुमुखी, मजीद मियां आदि से हुई.

1962 के वेज एग्रीमेंट में दिया था सुझाव

वर्ष 1962 में पहली बार कोयला मजदूरों के लिए सेंट्रल वेजबोर्ड फॉर कोल माइनिंग इंडस्ट्री का गठन भारत सरकार ने किया था. यह कमेटी जगह-जगह घूमकर विचार ले रही थी. शफीक खान ने कोयला मजदूरों के हित में अपना विचार व सुझाव दिया था. वर्ष 1979 से कोयला मजदूरों के लिए शुरू हुए वेजबोर्ड-दो से लगातार वेजबोर्ड-सात के आधे तक शफीक खान जेबीसीसीआइ की बैठकों में शामिल होते रहे. शफीक खान चार नंबर स्थित मजदूर धौड़ा में छत्तीसगढी कोयला मजदूरों के बीच रहा करते थे. शफीक खान भाकपा के टिकट पर बेरमो विधानसभा से लगातार खड़े होते रहे. लेकिन कभी भी उन्हें सफलता नहीं मिली.

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