परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का शहादत दिवस आज
BOK NEWS : परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का शहादत दिवस आज
राकेश वर्मा, बेरमो : 10 सितंबर 1965 ऐसा दिन है, जिससे आने वाली पीढ़ियां राष्ट्रभक्ति प्रेरणा लेती रहेगी. यह दिन परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के शहादत का था. उनकी शहादत के आगे पूरा देश नतमस्तक है. लोग उस माटी को नमन करना नहीं भूलते, जहां वीर हमीद का जन्म हुआ था. उनका जन्म उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिला के धामुपूरा गांव में एक जुलाई 1933 को हुआ था. पिता उस्मान व मां सकीना के दो बेटों में वह सबसे बड़े थे. उनकी शहादत के बाद समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया उनके गांव पहुंचे थे और वहां की मिट्टी को नमन किया था. ग्रामीणों के दबाव के बाद पांच मार्च 1999 को इस गांव का नाम हमीद धाम किये जाने की औपचारिकता पूरी की गयी.
इंनफेंटरी इंडिया आर्मी के फोर्थ बटालियन में हवलदार थे हमीद
अब्दुल हमीद वर्ष 1954 से 1965 तक इंनफेंटरी इंडिया आर्मी के फोर्थ बटालियन में हवलदार के पद पर रहे. वर्ष 1966 में मृत्युपरांत उन्हें परमवीर चक्र का सम्मान मिला. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने गणतंत्र दिवस के अवसर उनकी पत्नी रसूलन बीबी को यह पुरस्कार दिया था. वर्ष 1988 में फिल्म निर्देशक चेतन आनंद ने परमवीर चक्र सीरियल बनाया था, जिसमें अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने अब्दुल हमीद की भूमिका अदा की थी.शहीद की पत्नी को बेरमो में करना पड़ा था अपमान का सामना
स्व हमीद की पत्नी रसूलन बीबी ने दो अगस्त 2019 को अपने आवास पर अंतिम सांस ली थी. उनके चार बेटे हैं. जैनुल हसन, अली हसन, जैनुद आलम और तहत महमूद. एक बेटी नाजबून निंशा है. तलत महमूद बेरमो में सीसीएल के बीएंडके एरिया से वर्ष 2018 में सुरक्षा गार्ड के पद से सेवानिवृत हुए. वर्ष 1999 में स्व हमीद की पत्नी रसूलन बीबी को बेरमो में अपमान का सामना करना पड़ा था. उनके छोटे बेटे तलत महमूद पर अपने ही एक साथी सुरक्षा प्रहरी की हत्या के षडयंत्र में लिप्त होने का आरोप लगा था. वह तेनुघाट उपकारा में थे. रसूलन बीबी उनसे मिलने पहुंची तो तेनुघाट उपकारा मुख्य द्वार पर चिलचिलाती धूप में खड़ी रसूलन बीबी को तब तक बेटे से मिलने नहीं दिया गया, जब तक वह नजराना दस रुपये देने को तैयार नहीं हुई.इस वर्ष सिल्वर जुबली समारोह का आयोजन
बाद में पत्रकार सह सामाजिक संगठन शोषित मुक्ति वाहिनी के संरक्षक सुबोध सिंह पवार ने रसूलन बीबी को बेरमो लाकर सम्मानित किया. उसी समय से हर वर्ष 10 सितंबर को शोमुवा की ओर से रसूलन बीबी के साथ उपकारा में हुए अपमान को प्रायश्चित करने के लिए समारोह का आयोजन कर स्व हमीद का शहादत दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष शोमुवा की ओर से अब्दुल हमीद का शहादत दिवस सिल्वर जुबली समारोह के रूप में मनाया जायेगा. इस अवसर पर गांधीनगर दुर्गा मंदिर परिसर में लोक नृत्य व संगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा. समारोह को लेकर जरीडीह मोड़ स्थित अब्दुल हमीद की प्रतिमा को सजाया गया है. प्रतिमा स्थल से लेकर आयोजन स्थल तक झंडे लगाये गये हैं.
क्या कहते हैं शोमुवा के एक्टिविस्टजयनाथ तांती (प्रमुख सलाहकार, शोमुवा) : संगठन की ओर से 25 वर्षों से परमवीर अब्दुल हमीद का शहादत दिवस बेरमो में मनाया जा रहा है. यह आयोजन आपसी समरसता का प्रतीक बन गया है.
श्याम मुंडा (केंद्रीय अध्यक्ष, शोमुवा) : यह आयोजन बेरमो में एक पहचान बना चुका है. प्रत्येक वर्ष भिन्न-भिन्न क्षेत्र में भाईचारे के संदेशों के साथ शहादत दिवस मनाया जाता है. यह आयोजन सभी धर्म के लोगों का को जोड़ने का सशक्त माध्यम है.निर्मल नाग (कोषाध्यक्ष, शोमुवा) : संस्था ने जिन उद्देश्यों के साथ परमवीर का शहादत दिवस मनाना शुरू किया, वह आज एक मुकाम तक पहुंचा है. संस्था लगातार समाज को जोड़ने का काम कर रही है.
अविनाश सिन्हा (अध्यक्ष, संडे बाजार शाखा) : इस आयोजन ने क्षेत्र के दलित, शोषित, पिछड़ों को आवाज दी है. यह आयोजन समाज के सभी वर्गों को जोड़ता है. इस दीप को हमेशा जलते रहना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है