Bokaro News: 2011 की जनगणना के अनुसार बोकारो की जनसंख्या लगभग 21 लाख है. वहीं, वाहनों की संख्या 4,65,719 है. इस तरह से देखा जाये तो हर पांचवें व्यक्ति के पास एक गाड़ी है. दूसरी ओर जिला में पथ प्रमंडल की 550 किमी लंबी सड़क व ग्रामीण विकास विभाग की 750 किमी सड़क है. जिला में लगभग 80 किमी दूरी तय करनेवाला दो एनएच भी है. कुल मिलाकर जिला में सड़क का जाल बिछा है, तो वाहनों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. जिला में पांच प्रमुख बाजार भी है. जहां जाम की स्थिति साफ तौर पर देखी जा सकती है. हालांकि, मुख्य बाजार के अलावा छोटे-मोटे बाजार भी हैं, लेकिन वहां की स्थिति भी कमोबेश एक जैसी ही है. कई कारणों से जाम लगता है. इसमें सड़क पर अतिक्रमण भी बड़ा कारण है. कई स्थानों पर बाजार की सड़क तो अतिक्रमण के कारण लगभग गायब ही हो गयी है.
जिला में चास और फुसरो में बाजार को देखते हुए दो बाइपास बनाये गये हैं, ताकि मालवाहक वाहनों की इंट्री से जाम की स्थिति नहीं बने. इसके बावजूद इन दोनों बाजार में जाम हर दिन लगता है. कारण है कि एक ओर जहां दुकानदारों ने सड़क पर अतिक्रमण कर लिया है, वहीं दूसरी ओर पार्किंग स्थल नहीं होने लोग बेतरतीब तरीके से गाड़ी खड़ी कर देते हैं. वहीं, फुटपाथ दुकानदार जीविकोपार्जन के लिए दुकान लगाते हैं. स्थायी दुकानदारों की मानें तो हम अपना सामान बाहर नहीं रखेंगे तो कोई और दुकान के सामने ही अस्थायी दुकान लगाने लगेगा. इससे हमारा नुकसान होगा. कुल मिलाकर परेशानी आम लोगों को ही होती है.
चास बाजार के ठीक बगल में बाइपास बनाया गया है. इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि इससे जाम की स्थिति सुधरेगी, लेकिन व्यवसायियों ने बाइपास को ही बाजार बना दिया. अब पुराना बाजार से ज्यादा रौनक बाइपास में ही रहती है. पुराना बाजार में जाम की स्थिति तो नहीं सुधरी, उल्टे बाइपास में ही जाम लगने लगा. आम लोग भी जहां मन किया वहीं गाड़ी खड़ी कर देते हैं. इससे सड़क संकरी होती गयी और रफ्तार कम. इसी तरह फुसरो बाजार में भी बाइपास बनाया गया. जाम से निपटने के लिए ओवरब्रिज भी बना, लेकिन वर्तमान में निश्चित समय के बाद यदि कोई भारी वाहन इस ब्रिज से गुजर जाये तो बाजार में जाम लगना तय है. इसके अलावा ऑटो-टेंपो समेत अन्य वाहनों का जहां-तहां खड़ा होना आम बात है.
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सेक्टर-4 स्थित सिटी सेंटर को हर्ट ऑफ द सिटी कहा जाता है. यहां शाम में जाम की स्थिति ऐसी होती है कि वाहन की बात कौन करे कई बार पैदल चलना तक दूभर हो जाता है. नतीजा यह हो गया है कि शाम के वक्त लोग यहां आने से कतराते हैं. यहां जाम का मुख्य कारण पार्किंग स्थल पर अतिक्रमण कर अस्थायी दुकानें जमा लेना है. अब तो हालात यह हो गया है कि सिटी सेंट के कॉरिडोर में स्थायी व अस्थायी दुकानदारों ने कब्जा जमा लिया है. इसी तरह चास के धर्मशाला मोड़, जोधाडीह मोड़ व अन्य क्षेत्र की स्थिति है. इन स्थानों पर जाम के कारण लोगों का सब्र जवाब देने लगता है. चास में पैदल यात्री के लिए पेवर ब्लॉक बिछाया गया था, लेकिन यहां भी दुकानदारों का ही कब्जा है.
वाहनों का रजिस्ट्रेशन व रेवेन्यू कलेक्शन करने के मामले में बोकारो झारखंड में पांचवें स्थान पर है. 1991 में जिला बनने के बाद अब तक 4,64,774 वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. वहीं, अब तक कुल रेवेन्यू कलेक्शन 5,38,44,11,306 रुपये है. 2022 में नवंबर तक 24,416 वाहन रजिस्टर्ड हुए हैं और 67,55,18,461 रुपये रेवेन्यू आया है. जिला में यातायात व मालवाहक 51,591 वाहन चल रहे हैं. इनमें डीजल से चलनेवाले 58,507 व पेट्रोल से चलनेवाले 3,95,879 वाहन हैं. वहीं बीएस-03 केटेगरी के 1,72,579 वाहन दौड़ रहे हैं. वर्तमान में जिला में बीएस-06 के 69,948 वाहन और 780 इलेक्ट्रिक वाहन दौड़ रहे हैं.
साल- वाहन का पंजीयन
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2018- 41796
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2019- 35983
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2020- 30743
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2021- 27464
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2022- 24416
रिंग बस की सुविधा
बोकारो जिला का बाजार बहुत हद तक चास व सिटी सेंटर पर केंद्रित है. इस कारण लोग अन्य प्रखंड से यहां आते हैं. जिला मुख्यालय होने के कारण भी लोग अन्य काम का निपटारा करने के बाद बाजार करते हैं. यहां आने के लिए लोग निजी वाहन का इस्तेमाल करते हैं, कारण है कि जिला में रिंग बस की सुविधा नहीं है. ऐसे में लोग ऑटो का भी प्रयोग करते हैं. रिंग बस की सुविधा होने से सड़क पर से अतिरिक्त वाहन का भार कम होगा.
फुटपाथ दुकानदारों का स्थायीकरण
जिला में एक भी वेंडिंग जोन नहीं है. इस कारण फुटपाथ दुकानदार सड़क किनारे दुकान लगाने को विवश हैं. इससे सड़क संकरी होती जा रही है. जाम की स्थिति बनती है. सिटी सेंटर हो या चास के तमाम बाजार हर जगह स्थिति कमोबेश एक जैसी ही है.
ट्रांसपोर्ट नगर की व्यवस्था
चास को जिला का मुख्य व्यावसायिक केंद्र माना जाता है. यहां से अन्य जिलों के लिए खाद्यान्न समेत अन्य उत्पादों का आयात-निर्यात होता है. हालांकि, बाजार में निश्चित समय के बाद बड़े वाहन की इंट्री पर पाबंदी है. इसके बावजूद कई बार बड़े वाहन नियम की अनदेखी करते हुए माल उतारने के लिए बाजार में घुस जाते हैं, ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस समस्या से निपटने के लिए ट्रांसपोर्ट नगर की मांग लंबे समय से हो रही है, लेकिन धरातल पर कुछ उतरा नहीं है.
रिपोर्ट : सीपी सिंह, बोकारो