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सड़क पर उतरे आदिवासी-मूलवासी, NH 23 का चक्का जाम, वन अधिकार कानून और पेशा कानून के कार्यान्वयन की मांग

दर्जनों वक्ताओं ने धरना को संबोधित किया. कार्यक्रम का नेतृत्व ग्राम सभा मंच के केंद्रीय प्रभारी राजेश महतो एवं मंच का संचालन सुरेंद्र कुमार टुडू ने किया. जाम में हजारों गाड़ियों की लंबी कतार लग गयी. इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा.

  • बोकारो जिला ग्राम सभा मंच के आह्वान पर धरना कार्यक्रम का आयोजन

प्रतिनिधि, पेटरवार : वन अधिकार कानून 2006 और पेशा कानून 1996 के कार्यान्वयन के लिए बोकारो जिला ग्राम सभा मंच के आह्वान पर सोमवार को पेटरवार वन क्षेत्र पदाधिकारी कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना कार्यक्रम का आयोजन किया गया. पेटरवार के तेनु चौक पर सभा करते हुए एनएच 23 के बोकारो-रामगढ़ पथ, पेटरवार-तेनुघाट व पेटरवार-कसमार पथ को दोपहर दो बजे से शाम छह बजे तक चक्का जाम कर दिया गया. कार्यक्रम में बोकारो जिला के आठ प्रखंडों के 200 गांवों के हजारों आदिवासी-मूलवासी शामिल थे. सभी महिला-पुरुष पारंपरिक हथियार और गाजा-बाजा से लैस थे. दर्जनों वक्ताओं ने धरना को संबोधित किया. कार्यक्रम का नेतृत्व ग्राम सभा मंच के केंद्रीय प्रभारी राजेश महतो एवं मंच का संचालन सुरेंद्र कुमार टुडू ने किया. जाम में हजारों गाड़ियों की लंबी कतार लग गयी. इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. गोमिया विधायक डॉ लंबोदर महतो ने अपने संबोधन में कहा कि गरीब आदिवासी-मूलवासियों को वन अधिकार कानून के तहत हक मिलना चाहिए. विधायक ने रेंजर को लंबित वादों का निष्पादन करने को कहा. कहा कि वन विभाग अतिक्रमण हटाये. पेटरवार प्रखंड के रोहर में 100 एकड़ जमीन के मामले में उचित कार्रवाई करे. कहा कि जरूरत पड़ने पर विधानसभा में मामला उठाया जायेगा.

लंबी वार्ता के बाद माने आंदोलनकारी

राजेश महतो के नेतृत्व में आंदोलनकारी, विधायक डॉ महतो, अनुमंडल पदाधिकारी शैलेश कुमार, बीडीओ संतोष कुमार महतो, वन क्षेत्र पदाधिकारी विनय कुमार, सीओ अशोक राम, थाना प्रभारी विनय कुमार आदि के बीच जाम स्थल पर लंबी वार्ता चली. आंदोलनकारी मांग मानने के लिखित आश्वासन पर अड़े हुए थे. अंत में वन क्षेत्र पदाधिकारी विनय कुमार ने माइक से घोषणा की कि 30 नवंबर से वन पट्टा देना शुरू करेंगे एवं 30 दिसंबर से लंबित मामलों का निष्पादन होगा. लिखित घोषणा के बाद जाम हटाया गया. जाम हटाने में पुलिस बल को घंटों कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

क्या हैं, मुख्य मांगें

सामुदायिक वन अधिकार प्रमाण पत्र निर्गत करने, जल, जंगल, जमीन एवं संसाधनों पर ग्राम सभा का अधिकार एवं मालिकाना कायम करने, वन अधिकार कानून 2006 एवं पेशा कानून 1996 की क्रियान्वयन करने की.

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