दुनिया छोड़ गये अपनों को याद रखने का अनोखा तरीका, बोकारो के 56 गांवों के लोग लगाते हैं आम के पौधे
समाज से जुड़े 56 गांवों में पूर्वजों को याद रखने की इस परंपरा का पालन हो रहा है. समाज के लोगों का मानना है कि मृत्यु के बाद भले ही आत्मा शरीर त्याग कर चली जाती है, लेकिन लगाये गये पौधों की देखभाल और सेवा से आने वाली पीढ़ी को पूर्वजों का प्यार और आशीर्वाद मिलता रहता है.
जैनामोड़ (बोकारो), विप्लव सिंह : कहते हैं किसी अपने का गुजर जाना बहुत सारे भाव लेकर आता है. अपने करीबियों के जाने के बाद हम किसी भी तरह उनकी उपस्थिति को अपने साथ महसूस करना चाहते हैं. उनसे जुड़ी हर एक याद को सहेजना चाहते हैं. अब जरा सोचिए कि अगर आप उनकी यादों को और उनको अपने साथ सालों-साल रख पायें तो… जी हां, इसे मुमकिन कर रहा है धनबाद-बोकारो क्षेत्रीय राजपूत समाज. समाज करीब 10 सालों से मृत्यु-भोज और श्राद्धकर्म के मौके पर लोगों को दिवंगत की याद में आम के पौधे लगाने के लिए प्रेरित करता आ रहा है.
समाज से जुड़े 56 गांवों में पूर्वजों को याद रखने की इस परंपरा का पालन हो रहा है. समाज के लोगों का मानना है कि मृत्यु के बाद भले ही आत्मा शरीर त्याग कर चली जाती है, लेकिन लगाये गये पौधों की देखभाल और सेवा से आने वाली पीढ़ी को पूर्वजों का प्यार और आशीर्वाद मिलता रहता है. श्राद्ध-पक्ष में पितरों को तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन के साथ ही पौधे लगाकर भी संतुष्ट करना चाहिए. श्राद्धकर्म में पौधे लगाने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है. पेड़ की छाया और फल उन्हें सुकून देता है. साथ ही पर्यावरण की रक्षा भी होती है.
क्या सोचते हैं समाज के लोग
समाज के लोग 10 सालों से श्राद्धकर्म पर फलदार पौधे लगाते आ रहे हैं. 56 गांवों के लोग इस मुहिम का समर्थन करते हुए परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं.
– जन्मेजय सिंह, केंद्रीय अध्यक्ष, धनबाद-बोकारो क्षेत्रीय राजपूत समाज
लोग अपनों की याद में स्कूल-कॉलेज, मंदिर बनवाते हैं. पौधरोपण भी स्मारक की तरह ही है. यह ज्यों-ज्यों बड़ा होता है, प्रियजन की याद भी बड़ी होती जाती है.
-रामचरित्र सिंह, कोषाध्यक्ष
ऐसे पौधों की सेवा भी श्रद्धा भाव से की जाती है. पौधों को देख पूर्वजों से लगाव बरकरार रहता है. इस पुनित कार्य से पर्यावरण की भी सुरक्षा हो रही है.
-राधानाथ राय, वरिष्ठ सलाहकार
तर्पण और पिंडदान के साथ ही पौधे लगाकर भी पितरों को संतुष्ट करना चाहिए. पौधे लगाने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है. यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा है.
-सूर्यनारायण सिंह, पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष
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श्राद्ध में पिंडदान के बाद पीपल, बरगद व आम के पौधे लगाने चाहिए, क्योंकि इसमें जल दिया जाये तो उसका भाग पितरों को सीधे मिलता है और वे तृप्त होते हैं.
-अतुल सिंह, पूर्व अध्यक्ष
अपने दिवंगत के नाम से पौधे लगायें. इससे पितरों को तृप्ति मिलती है. साथ ही पर्यावरण की भी रक्षा होती है. हमें दिवंगत की याद में पौधे जरूर लगाने चाहिए.
-डॉ अंबिका सिंह, संगठन मंत्री