बोकारो. विद्यार्थियों को अपनी गौरवशाली संस्कृति, परंपरा व कलात्मक धरोहरों से अवगत कराने के उद्देश्य से दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) बोकारो में शनिवार को एक विशेष कार्यशाला ‘कलाकृति’ आयोजित की गयी. राजकीय सम्मान से नवाजे जा चुके पश्चिम बंगाल के जाने-माने टेराकोटा शिल्पकार बरेन कुंभकार मुख्य रूप से आमंत्रित थे. पंचमुरा (पश्चिम बंगाल) से पहुंचे श्री कुंभकार ने कार्यशाला में उपस्थित छात्र-छात्राओं को टेकारोटा कला की बारीकियों से अवगत कराया. श्री कुंभकार ने कहा कि कला के क्षेत्र में भी करियर की असीम संभावनाएं हैं. बताया कि टेराकोटा आर्ट तैयार करने के लिए तीन तरह की मिश्रित, लवण-रहित व उच्च ताप-सहन क्षमता वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है. श्री कुंभकार ने ऑन द स्पॉट भगवान गणेश, हाथी, शंख, घोड़ा सहित कई कलाकृतियां बनाकर बच्चों को अलग-अलग समूहों में इसका व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया. चाक घुमाना, मिट्टी को गढ़ना व सनी हुई मिट्टी से टेराकोटा आर्ट तैयार करना बच्चों के लिए यादगार अनुभव रहा. विद्यार्थियों ने स्वयं में छिपी कलाकृति को मिट्टी से आकार देकर अपनी प्रतिभा दिखायी. विद्यार्थियों को टेकारोटा शिल्पकला का इतिहास बताया गया. सांस्कृतिक विविधता भारत की अनूठी पहचान व धरोहर : डॉ गंगवार प्राचार्य डॉ एएस गंगवार ने बच्चों के कौशल-विकास में इसे अहम बताया. कहा कि सांस्कृतिक विविधता भारत की अनूठी पहचान व धरोहर है. बच्चों में अपनी संस्कृति-परंपरा और लोक कलाओं के प्रति सजगता आवश्यक है. यह उनके सर्वांगीण विकास में सहायक है. भारत की माटी के कण-कण में कलात्मक विरासत छिपी हुई है, जिसे जानना और संजोये रखना जरूरी है. प्राचार्य ने जहां बरेन कुंभकार को विद्यालय की तरफ से स्मृति-चिह्न दिया, वहीं श्री कुंभकार ने भी प्राचार्य डॉ. गंगवार को टेराकोटा शिल्प से तैयार स्वनिर्मित मां दुर्गा की सुंदर कलाकृति भेंट की.
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