सुनील तिवारी ( बोकारो ) : सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” अक्सर कहते थे कि वे ही वसंत के अग्रदूत हैं. वसंत के प्रति निराला का प्रेम अप्रतिम था. वसंत ऋतु के प्रति अपने इस प्रेम को पंक्तिबद्ध कर निराला ने साहित्य जगत को सम्मोहित किया है : सखि, वसन्त आया भरा हर्ष वन के मन, नवोत्कर्ष छाया. किसलय-वसना नव-वय-लतिका मिली मधुर प्रिय उर-तरु-पतिका मधुप-वृन्द बन्दी-पिक-स्वर नभ सरसाया…
वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा-05 फरवरी) पर्व समीप होने के साथ हीं प्रकृति का रूप निखरने लगा है. शहर के बागीचों में इन दिनों खूबसूरत फूल खिलखिला रहे हैं. सर्दियों में फूलों की विभिन्न किस्में आने के चलते लोग इन्हें पसंद कर रहे हैं. लोगों ने अपने घर, गार्डन व छत आदि जगहों पर फूल के पौधे लगा रखे हैं. फूलों से नकारात्मकता दूर होती है.
बोकारो में 500 वेराइटी के 15 हजार से अधिक गुलाब व 300 वेराइटी के 25 हजार से अधिक खिले सिजनल फूल बसंत के आगमन का संदेश दे रहे हैं. 145 एकड़ में फैले सिटी पार्क के रोज गार्डेन में 300 प्रकार के लगभग 3200 गुलाब के फूल खिले हुए हैं. इनमें एचटी रोज, सूर्यबंदा, मिनियेचर, फोकलर, ग्रेनडा, ब्यूटीफुल भोपाल, क्रिसएंड डायर, लव, सेंचूरी टू, मुंटीजुमा, कलकत्ता 300, गार्डेन पार्टी आदि शामिल हैं.
पार्क के टेरेस गार्डेन में गुलदाउदी, डहलिया, गेंदा के अलावा विभिन्न प्रकार के फूल खिले हैं. सैकड़ों की संख्या में हैब्रिड फूल क्यारियों को आकर्षक बना रहे हैं. पार्क के उद्यान पर्यवेक्षक आरएन झा ने बताया कि कोचिजिनिया, गेलेडिया, बटन फ्लावर, कॉस्मोस सहित दर्जनों सिजनल फूल खिले हैं.
नागार्जुन की कविता ‘वसंत की अगवानी’ में वह वसंत का मानवीकरण करते हुए बड़ी सुंदरता से वसंत के आगमन का वर्णन करते हैं : रंग-बिरंगी खिली-अधखिली/ किसिम-किसिम की गंधों-स्वादों वाली ये मंजरियां/ तरुण आम की डाल-डाल टहनी-टहनी पर/ झूम रही हैं…/ चूम रही हैं-/ कुसुमाकर को! ऋतुओं के राजाधिराज को… इन पंक्तियों में किस तरह वसंत के आ जाने से प्रकृति यूं झूम उठी है, जैसे लंबे समय के बाद किसी त्योहार पर कोई पर कोई घर लौटा हो.
वसंत का वर्णन अक्सर इस प्रकार इसलिए किया जाता है, क्योंकि पतझड़ के बाद वसंत प्रकृति को पुनर्जीवित कर देता है. इस रूपक का उपयोग अक्सर हमारे जीवन के कठिन दौर के बाद आने वाले सुखद दिनों की कामना और उम्मीद में भी किया जाता है.
सेक्टर-04 में 127 एकड़ में फैले जैविक उद्यान में 100 वेराइटी के 500 से अधिक गुलाब खिले हुए हैं. साथ हीं 50 से अधिक वेराईटी के सिजनल फूल भी उद्यान को आकर्षक रूप प्रदान कर रहे हैं. इसके अलावा बीएसएल के निदेशक प्रभारी आवास, बीएसएल प्रशासनिक भवन, एचआरडी सेंटर सहित प्लांट के अंदर व बाहर विभिन्न विभागों के उद्यान में खिले फूल मन को प्रफुल्लित कर रहे हैं.
इधर, सेक्टरों में भी लोगों के क्वार्टरों में कई तरह के फूल घर-आंगन की शोभा बढ़ा रहे हैं. इधर, पार्क व उद्यान सहित शहर के पेड़-पौधे भी बसंत के आगमन का अहसास करा रहे हैं. बोकारो की फिजां की खूबसूरती देखते हीं बन रही है. मानो बसंत की आगवानी के लिए बोकारो सज-धज कर तैयार हो गया है.
सरसों धानी चुनरिया पहने सजी-धजी खेत-खेत उछल कूद मचा रही है. चना पैरों में घुंघरू बांधकर धुम्मरदार नाच रहा है. आम का रोम-रोम गा उठा है. महुआ झरबारकर समूचे वातावरण में मादकता भरने लगा है. डफली और मृदंग पर थापें पड़ने लगी हैं. नृत्यमय पैर थिरकने लगे हैं. कई रंगों और वैराइटीज में उपलब्ध इन फूलों पर हर कोई फिदा है.
फूलों की किस्मों की बहार हर किसी को लुभा रही है. इनमें कई किस्में ऐसी भी हैं, जिन्हें कम देखभाल के साथ भी उगाया जा सकता है. गुलाबों की अलग-अलग वैराइटीज खासी पसंद की जा रही हैं. बसंत पंचमी में फूलों की बहार आ गयी है. खेतों में सरसों के पीले रंग के फूल, जौ और गेहूं की बालियां खिल गयी है. रंग-बिरंगी तितलियां मंडरा रही हैं. सभी बसंत की आगवानी कर रहे हैं.